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IS ने मोसुल में ऐतिहासिक अल-नूरी मस्जिद को किया ध्वस्त, खलीफा का है जन्म स्थल
मोसुल: इस्लामिक स्टेट (आईएस) के आतंकवादियों ने इराकी शहर मोसुल में 12वीं सदी में निर्मित मस्जिद 'अल नूरी' को ध्वस्त कर दिया। मोसुल आतंकवादी समूह की विचारधारा का केंद्र और उसके स्वयंभू खलीफा का जन्म स्थल है। समाचार एजेंसी एफे न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इराक के प्रधानमंत्री हैदर अल-अबादी ने कहा कि अल-नूरी मस्जिद और उसकी झुकी मीनारों का का ध्वस्त होना 'आईएस की हार की आधिकारिक घोषणा' है।
अल-अबादी ने कहा, "अल-हद्बा मीनार तथा अल-नूरी को उड़ाया जाना आधिकारिक तौर पर हार को स्वीकार करना है।"
इराकी सुरक्षाबलों ने कहा कि आईएस के आतंकवादियों ने प्राचीन मस्जिद तथा उसकी प्रसिद्ध झुकी मीनार को बुधवार को उड़ा दिया, क्योंकि जेहादी सरकार समर्थित सैनिकों को रोकने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।
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यह वही मस्जिद है, जहां से तीन साल पहले आंतकवादी सरगना अबु बकर अल-बगदादी ने जुलाई 2014 में खुद को खलीफा घोषित किया था।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, आईएस ने दावा किया है कि अमेरिकी हवाई हमले में मस्जिद तबाह हुई है, जिसे अमेरिका ने खारिज किया है।
अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन सेना द्वारा प्रदान की गई हवाई तस्वीरों के मुताबिक मस्जिद जमींदोज हो चुकी है।
मस्जिद को तबाह करने की कड़ी निंदा की गई है। इराक में वरिष्ठ अमेरिकी कमांडर ने कहा है कि आईएस ने 'मोसुल तथा इराक के एक नायाब खजाने को नष्ट कर दिया।'
मेजर जनरल जोसेफ मार्टिन ने कहा, "यह मोसुल के लोगों और समस्त इराक के खिलाफ अपराध है और इस बात का उदाहरण है कि इस बर्बर संगठन को क्यों खत्म किया जाना चाहिए।"
इराक के संयुक्त अभियान कमांडर मेजर जनरल अब्देल आमिर याराल्लाह ने इसे आईएस द्वारा 'एक और ऐतिहासिक अपराध' करार दिया।
एफे न्यूज के मुताबिक, इराकी संयुक्त ऑपरेशन्स कमान के प्रवक्ता याहया रासौल ने रुडॉ टीवी को बताया कि आईएस ने मस्जिद को उस समय उड़ा दिया जब वे शहर से भागने की तैयारी में थे।
इराकी सेना ने अक्टूबर, 2016 में मोसुल को आईएस के कब्जे से छुड़ाने का अभियान शुरू किया था और पिछले सोमवार को सेना ने जेहादियों के खिलाफ अंतिम कार्रवाई शुरू की।