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ISIS-Khorasan: आल मुहाजिर है आईएसआईएस खोरासान का सरगना, जानिए कितना खतरनाक है ये आतंकी
ISIS-Khorasan: शहाब अल मुहाजिर उर्फ सनाउल्लाह। ये नाम है आईएसआईएस खोरासान के सरगना का जो जून 2020 से इस संगठन को कंट्रोल कर रहा है।
ISIS-Khorasan: शहाब अल मुहाजिर उर्फ सनाउल्लाह। ये नाम है आईएसआईएस खोरासान के सरगना का जो जून 2020 से इस संगठन को कंट्रोल कर रहा है। इसके पहले असलम फारूकी इस संगठन का सरगना था जिसे अफगान स्पेशल फोर्स ने आईएसआईएस के कई सीनियर सदस्यों के साथ पकड़ लिया था।
बताया जाता है कि अल मुहाजिर पहले हक्कानी नेटवर्क में कमांडर था और अब भी वह हक्कानी नेटवर्क से सहयोग करता है जहां से मुहाजिर को हमलों के लिए जरूरी सपोर्ट मिलता है आईएसआईएस खोरासान का पहला सरगना था हाफिज सईद खान जिसे आईएसआईएस के सुप्रीम नेता अब बकर अल बगदादी ने खुद चुन कर संगठन का पहला 'अमीर' घोषित किया था। सईद तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का कमांडर रह चुका था और उसने अक्टूबर 2014 में अल बगदादी के साथ गठजोड़ कर लिया था। सईद के साथ तहरीक के कई सीनियर सदस्य और नेता आईएसआईएस खोरासान में शामिल हो गए थे और इस संगठन की पहली लीडरशिप काउंसिल यानी शूरा में ये सब शामिल थे।
तालिबान के पूर्व कमांडर अब्दुल रउफ कदीम को सईद का डिप्टी कमांडर बनाया गया था जबकि आईएसआईएस खोरासान के शुरुआती लड़ाकों में पाकिस्तानी तालिबान और लश्कर-ए-इस्लाम आतंकी गुटों के लोग शामिल थे। बाद में लश्कर-ए-तैयबा, जमात-उद-दावा और इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज़्बेकिस्तान के भी आतंकी आईएसआईएस खोरासान में शामिल हो गए।
2016 में इस गुट के सदस्यों की संख्या 4 हजार तक पहुंच चुकी थी। लेकिन 2018 में आईएसआईएस के खिलाफ अमेरिका के नेतृत्व में चले अभियान के परिणामस्वरूप खोरासान गुट के लड़ाकों की संख्या 1500 के आसपास रह गई। लेकिन तमाम झटके खाने और बड़ी संख्या में लड़ाकों के मारे जाने के बावजूद इसका वजूद खत्म नहीं हुआ और आज भी इसके सदस्यों की संख्या 2200 बताई जाती है और ये लोग कुनार व नंगहर प्रान्तों के अलावा काबुल में जमे हुए हैं। इसी वजह से इनका खतरा लगातार बना हुआ है।
खोरासान गुट का सरगना हाफिज सईद खान और उसके 30 साथी जुलाई 2015 में अमेरिका के ड्रोन हमले में मारे गए थे। इसके बाद अब्दुल हसीब को नया सरगना बनाया गया, लेकिन 27 अप्रैल 2017 में उसे भी अमेरिकी और अफगान स्पेशल फोर्स ने मार गिराया। हसीब के मारे जाने पर अबु सईद को नेता बनाया गया, लेकिन दो महीने बाद वो भी अमेरिका के हमले में मार डाला गया।
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