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Israel-Hamas War: सोशल मीडिया पर भी लड़ा जा रहा इजरायल - हमास युद्ध

ज्यादातर सर्च में लोग सफल भी हो रहे हैं लेकिन युद्ध के बारे में अंतरंग जानकारी की उसी मांग ने फेक न्यूज़ फैलाने वालों, दुष्प्रचार करने वालों, साजिश की शंका फैलाने वालों और प्रचार करने वालों के लिए पर्याप्त अवसर पैदा कर दिए हैं।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 15 Oct 2023 6:00 PM IST (Updated on: 15 Oct 2023 7:29 PM IST)
Israel-Hamas war is being fought on social media also
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सोशल मीडिया पर भी लड़ा जा रहा इजरायल - हमास युद्ध: Photo- Social Media

Israel-Hamas War: इजराइल-हमास युद्ध को हफ्ता भर हो चुका है। रियल टाइम में इस क्रूर संघर्ष को समझने की उम्मीद में लाखों लोगों ने एक्स, टिकटॉक और इंस्टाग्राम सहित तमाम प्लेटफार्मों का रुख किया है। हाल के दिनों में टिकटॉक पर ट्रेंडिंग सर्च शब्द लोगों की भूख को दर्शाते हैं : "ग्राफिक इज़राइल फुटेज" से लेकर "अभी इज़राइल में लाइव स्ट्रीम" तक, इंटरनेट यूजर्स अनफ़िल्टर्ड जानकारी की तलाश कर रहे हैं।

ज्यादातर सर्च में लोग सफल भी हो रहे हैं लेकिन युद्ध के बारे में अंतरंग जानकारी की उसी मांग ने फेक न्यूज़ फैलाने वालों, दुष्प्रचार करने वालों, साजिश की शंका फैलाने वालों और प्रचार करने वालों के लिए पर्याप्त अवसर पैदा कर दिए हैं। इन सबका एक जबर्दस्त- दुर्भावनापूर्ण प्रभाव पड़ रहा है जिसकी बानगी यूक्रेन युद्ध में देखी जा चुकी है। क्या सही है और क्या झूठ, कोई नहीं जानता, न कोई बताना चाहता है।

Photo- Social Media

एक हालिया टिकटॉक वीडियो है जिसे 300,000 से अधिक यूजर्स ने देखा है। इस वीडियो में हमास हमलों की उत्पत्ति के बारे में साजिश के सिद्धांतों को बढ़ावा दिया गया है। जिसमें झूठे दावे भी शामिल थे कि वे हमले मीडिया द्वारा आयोजित किए गए थे। 1,00,000 से अधिक बार देखा गया एक अन्य वीडियो गेम "अरमा 3" का एक क्लिप दिखाता है जिसका शीर्षक है, "इज़राइल का युद्ध।" उस वीडियो की टिप्पणियों में कुछ यूजर्स ने उल्लेख किया कि उन्होंने इस फुटेज को रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के समय भी देखा था।

एक्स, जो पहले ट्विटर था, पर एक पोस्ट को 20,000 से अधिक बार देखा गया और लंदन स्थित सोशल मीडिया वॉचडॉग रीसेट द्वारा इसे भ्रामक के रूप में चिह्नित किया गया। इस वीडियो में इजरायलियों को कैमरे के सामने नागरिकों को मारते हुए दिखाया गया था। एक और एक्स पोस्ट, जिसे 55,000 बार देखा गया, उसमें एक यहूदी विरोधी मीम था।इंस्टाग्राम पर एक वीडियो दिखाया गया जिसमें भीड़ में पैराशूटर्स के उतरने का दृश्य था। ये वीडियो भी फेक था क्योंकि इसमें जो दृश्य थे वह मिस्र में पैराशूट जंपर्स के थे।

Photo- Social Media


ईयू की चेतावनी

यूरोपीय संघ के अधिकारियों ने टिकटॉक, फेसबुक और इंस्टाग्राम-पैरेंट मेटा, यूट्यूब और एक्स को चेतावनी भेजी है और उनके प्लेटफार्मों पर युद्ध के बारे में भ्रामक या अवैध सामग्री की रिपोर्टों को उजागर किया गया है। ईयू ने सोशल मीडिया कंपनियों को याद दिलाया कि अगर जांच में पता चला कि उन्होंने ईयू के मॉडरेशन कानूनों का उल्लंघन किया है तो उन्हें अरबों डॉलर का जुर्माना भरना पड़ सकता है। अमेरिका और ब्रिटेन के सांसदों ने भी उन प्लेटफार्मों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया है कि वे घृणित और अवैध सामग्री के खिलाफ अपने नियमों को लागू करें। दरअसल जब से इज़राइल में हिंसा शुरू हुई है , तबसे उटपटांग सामग्री में वृद्धि देखी गई है।मीडिया वॉचडॉग ग्रुपों का कहना है कि अमेरिकी विरोधियों, घरेलू चरमपंथियों से लेकर इंटरनेट ट्रोल और आम जन तक हर कोई अपने व्यक्तिगत या राजनीतिक लाभ के लिए सोशल मीडिया पर युद्ध का फायदा उठा रहा है।

इज़राइल, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका के स्कूलों ने पेरेंट्स से आग्रह किया है कि वे अपने बच्चों के सोशल मीडिया ऐप्स को हटा दें क्योंकि हमास हाल के दिनों में पकड़े गए बंधकों के परेशान करने वाले वीडियो प्रसारित करेगा। बच्चों सहित मृत या खून से सने शवों की तस्वीरें इस सप्ताह पहले ही फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिकटॉक और एक्स पर फैल चुकी हैं।

Photo- Social Media

टेक वॉचडॉग ग्रुप कैंपेन फॉर अकाउंटेबिलिटी ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें एक्स पर हमास आइकनोग्राफी के साथ स्पष्ट प्रचार वीडियो साझा करने या आधिकारिक हमास वेबसाइटों से लिंक करने वाले कई खातों की पहचान की गई है। एक्स को युद्ध से असंबद्ध वीडियो को जमीनी फुटेज के रूप में प्रस्तुत करने और मालिक एलोन मस्क की एक पोस्ट के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है, जिसमें यूजर्स को उन खातों का अनुसरण करने का निर्देश दिया गया था जो पहले गलत सूचना साझा करते थे। सूचना विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ सोशल मीडिया कंपनियों की नैतिकता और सुरक्षा टीमों सहित तकनीकी उद्योग में बड़े पैमाने पर छंटनी के कारण महत्वपूर्ण क्षण में प्लेटफॉर्मों के कम तैयार होने का जोखिम है। युद्ध से संबंधित अधिकांश सामग्री अरबी और हिब्रू भाषा में भी फैल रही है, और इन्हें फ़िल्टर करने के उपाय कम पड़ रहे हैं।



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Shashi kant gautam

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