TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

71 और 99 की लड़ाई: इजरायल ने की है कई नाजुक मौकों पर भारत की मदद

India–Israel Relations: इजरायल ने की है कई नाजुक मौकों पर भारत की मदद : इजराइल ने तब भारत की मदद की थी जबकि दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध भी नहीं थे। भारत ने 1948 में इज़राइल के निर्माण के खिलाफ मतदान किया था।

Yogesh Mishra
Published on: 14 Oct 2023 3:51 PM IST
India–Israel Relations
X

India–Israel Relations (Photo-Social Media)

India–Israel Relations: भारत और इजरायल के बीच 1992 भले ही राजनयिक सम्बन्ध नहीं थे। भारत एक समय में फलस्तीन और फलस्तीनी नेता यासर अराफात का हिमायती था। लेकिन फिर भी इजरायल ने समय समय पर नाजुक मौकों पर भारत की मदद की है। चाहे वह 1971 की लड़ाई हो या 1999 का कारगिल युद्ध।

मई 1999 में भारतीय सेना को कारगिल-द्रास सेक्टर में पाकिस्तान की बड़े पैमाने पर सैन्य घुसपैठ के बारे में पता चला। इसके बाद एक जवाबी आक्रमण ‘ऑपरेशन विजय’ हुआ। निकोलस ब्लारेल ने अपनी पुस्तक ‘द इवोल्यूशन ऑफ इंडियाज़ इजरायल पालिसी’ में लिखा है - दुर्गम और ऊंचे इलाकों में अग्रिम चौकियों पर पाकिस्तान की चरणबद्ध घुसपैठ में भारत की क्या चूक हुई, कैसे और क्या गलत हुआ, इस चर्चा के बीच, भारत ने इज़राइल की ओर रुख किया, जो सीमा नियंत्रण और आतंकवाद-निरोध में प्रौद्योगिकी और अनुभव वाला देश है। इज़राइल ने मोर्टार और गोला-बारूद से भारत की सहायता की और उन कुछ देशों में से एक बन गया जिन्होंने सीधे भारत की मदद की। ब्लैरेल की किताब के अनुसार, इज़राइल ने भारत को अपने लड़ाकू विमानों और निगरानी ड्रोनों के लिए लेजर-निर्देशित मिसाइलें भी प्रदान कीं।

भारतीय वायु सेना को जमीनी सैनिकों को हवाई सहायता प्रदान करते समय विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिनमें "गलत अनिर्देशित मिसाइलों और पाकिस्तानी बंकरों की सीमित दृष्टि" शामिल थी। यहां तक कि उन्हें किसी भी हालत में एलओसी पार न करने का भी आदेश था। इस समय, इज़राइल ने मिराज लड़ाकू विमानों के लिए लेजर-निर्देशित मिसाइलें प्रदान कीं। तब सटीक बमबारी सामग्री ने पाकिस्तानी सैनिकों को रोक दिया और एलओसी पार न करने के आदेशों का उल्लंघन किए बिना भारत की मदद की। कारगिल युद्ध दौरान अमेरिका और अन्य देशों द्वारा इज़राइल को उन हथियारों की खेप की डिलीवरी में देरी करने के लिए मजबूर किया गया था, जिनका ऑर्डर घुसपैठ से पहले दिया गया था। हालाँकि, इज़राइल ने ऑर्डर तुरंत वितरित कर दिया।

इजराइल ने तब भारत की मदद की थी जबकि दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध भी नहीं थे। भारत ने 1948 में इज़राइल के निर्माण के खिलाफ मतदान किया था। लेकिन जब इज़राइल हथियारों की कमी का सामना कर रहा था, तब भी पूर्व प्रधानमंत्री गोल्डा मेयर ने 1971 के युद्ध के दौरान ईरान के लिए हथियारों को भारत में भेजने का फैसला किया। श्रीनाथ राघवन की एक पुस्तक से पता चला है कि गोल्डा मेयर ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को संबोधित एक नोट भी भेजा था जिसमें हथियारों के बदले में राजनयिक संबंधों की मांग की गई थी।

कारगिल के बाद, भारत ने अपनी रक्षा खामियों पर आत्मनिरीक्षण किया । अपनी सेनाओं को आधुनिक बनाने का निर्णय लिया। और 2000 में, भारत के विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी के साथ इज़राइल का दौरा किया, जिससे देश में मंत्री स्तर की यात्राओं की श्रृंखला शुरू हुई।

भारत के इजरायल के साथ भले ही राजनयिक संबंध नहीं रहे हों, लेकिन सन 71 की लड़ाई के पहले नई दिल्ली ने चुपचाप इजरायल से हथियार मांगे और हासिल कर लिए। श्रीनाथ राघवन की पुस्तक में नई दिल्ली में नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय में रखे गए पीएन हक्सर के दस्तावेजों के हवाले से कई जानकारियां दीं गईं हैं। हक्सर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सलाहकार भी थे।

राघवन के शोध से पता चलता है कि फ्रांस में भारत के राजदूत डीएन चटर्जी ने 6 जुलाई, 1971 को विदेश मंत्रालय को एक नोट के साथ इजरायली हथियार प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू की, जिसमें कहा गया था कि "प्रचार, वित्त और यहां तक कि हथियार और तेल की खरीद" के लिए इजरायल से बेशकीमती सहायता मिलेगी। इंदिरा गांधी ने तुरंत प्रस्ताव स्वीकार कर लिया । देश की खुफिया एजेंसी रॉ के माध्यम से हथियार प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू की। उस समय भारत के इज़राइल के साथ राजनयिक संबंध नहीं थे, 1948 में इसके निर्माण के खिलाफ मतदान किया था और इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष में लगातार अरबों का समर्थन किया था।



\
Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

Next Story