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OMG : भ्रष्टाचार और रिश्वत लेने के आरोप में फंसे नेतन्याहू

raghvendra
Published on: 17 Feb 2018 5:45 PM IST
OMG : भ्रष्टाचार और रिश्वत लेने के आरोप में फंसे नेतन्याहू
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इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इन दिनों गहरी मुसीबत में फंस गए हैं। पिछले कुछ दिनों से उन पर भ्रष्टाचार और रिश्वत लेने के आरोप का मामला गरमाया हुआ है। अब इजराइल की पुलिस का कहना है कि नेतन्याहू पर रिश्वत लेने, धोखाधड़ी करने और भरोसा तोडऩे के आरोपों में मुकदमा चलना चाहिए। पुलिस का कहना है कि नेतन्याहू पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।

दूसरी ओर नेतन्याहू इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं मानते। इजराइल के सरकारी टीवी पर अपना पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा कि उन पर लगाए गए सारे आरोप पूरी तरह बेबुनियाद हैं। उन्होंने पद से इस्तीफा देने से साफ इनकार कर दिया। 2009 से इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू आरोप तो पहले भी लगे हैं मगर ऐसा पहली बार है जब वे गंभीर मुसीबत में फंस गए हैं। नेतन्याहू पर मुकदमा चले या नहीं, इस बात का फैसला अब अटॉर्नी जनरल को करना है।

महंगे तोहफे लेने का आरोप

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करीबी मित्र माने जाने वाले नेतन्याहू पर एक गंभीर आरोप यह लगा है कि उन्होंने हॉलीवुड निर्माता आर्नन मिलचन से करीब एक लाख डॉलर के तोहफे लिए। येरूशलम पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक इन तोहफों में महंगी शराब और सिगार शामिल था। ये तोहफे प्रधानमंत्री को मिलचन को अमेरिकी वीजा लेने में मदद के बदले दिए गए थे। पुलिस ने मिलचन पर भी रिश्वत देने के आरोपों में मुकदमा चलाने की सिफारिश की है।

हेरेट्ज अखबार के मुताबिक नेतन्याहू ने तोहफे लेने के बाद मिलचन कानून पारित करने पर जोर दिया। इस नए कानून के तहत विदेशों से वापस लौटने वाले इसराइली नागरिकों को दस साल तक टैक्स की छूट मिलनी है। इसके अलावा नेतन्याहू पर एक अखबार येदियत अहरोनात के मालिक से एक प्रतिद्वंद्वी प्रकाशक पर दबाव बनाने के बदले सकारात्मक कवरेज कराने का आरोप है। पुलिस का कहना है कि येदियत अहरोनोत के संपादक आरनन मोजेस पर भी मुकदमा चलना चाहिए।

पद छोडऩे से नेतन्याहू का इनकार

नेतन्याहू पर ऑस्ट्रेलियाई अरबपति जेम्स पैकर से जुड़े एक मामले में भी धोखाधड़ी करने और लोगों का भरोसा तोडऩे का शक है। पैकर ने पुलिस को प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी को कीमती तोहफे देने की बात बताई है। दूसरी ओर नेतन्याहू के वकील का कहना है कि ये तोहफे दोस्ती में दिए गए हैं।

इजराइल पुलिस ने सात बार नेतन्याहू से पूछताछ कर चुकी है। इन आरोपों के बाद इजराइल में नेतन्याहू पर पद छोडऩे का दबाव बढ़ रहा है। हालांकि उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि मैंने हमेशा देश हित में ही काम किया है। मुझ पर लगाए गए आरोप पूरी तरह झूठे हैं। इजराइल के न्याय मंत्री ऐयेलेत शाकेद का कहना है कि कोई भी प्रधानमंत्री जिन पर मुकदमा दर्ज हो वो इस्तीफा देने के लिए मजबूर नहीं है।

पहले भी लग चुके हैं आरोप

वैसे यह पहला मौका नहीं जब नेतन्याहू पर आरोप लगे हैं। दूसरी बार देश की कमान संभालने वाले नेतन्याहू पर पहले भी आरोप लग चुके हैं। नेतन्याहू के पहले कार्यकाल के बाद पुलिस ने प्रधानमंत्री रहते हुए मिले तोहफे अपने पास रखने पर उनके और उनकी पत्नी सारा के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की थी।

बाद में आरोप रद्द कर दिए गए थे। तीन साल पहले भी वे उस समय विवादों में फंस गए थे जब उन पर एक ठेकेदार को अपने लिए किए गए निजी काम के बदले सरकारी धन से पैसे देने के आरोप लगे थे। हालांकि बाद में यह आरोप भी रद्द कर दिया गया था।

नंवबर 2016 में जर्मनी से खरीदे गए नए युद्धपोतों में गड़बड़ी को लेकर जांच हुई थी। इस सौदे में नेतन्याहू के वकील के शामिल होने के दावों के बाद जांच शुरू हुई थी। जून 2016 में एक फ्रांसीसी दलाल ने दावा किया था कि उन्होंने 2009 के चुनावी कैंपेन में नेतन्याहू को लाखों यूरो दिए था ताकि नेतन्याहू चुनाव जीत सकें। हालांकि नेतन्याहू ने इस आरोप को खारिज कर दिया था।

इसराइली मीडिया भी खिलाफ

इसराइल में जब तक कोर्ट दोषी नहीं ठहरा देता तब तक किसी व्यक्ति को गुनाहगार नहीं माना जा सकता। इजराइल के कानून के अनुसार आरोप लगने भर से कोई अपने पद से इस्तीफा दे दे,ऐसा जरूरी नहीं। नेतन्याहू पहले प्रधानमंत्री नहीं हैं जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।

इससे पूर्व भी प्रधानमंत्रियों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के मामलों में जांच हो चुकी है। पूर्व प्रधानमंत्री एहुद ओलमर्ट को तो भ्रष्टाचार के मामले में इस्तीफा तक देना पड़ा। बाद में उन्हें जेल की हवा खानी पड़ी। इसराइल के पूर्व पीएम एरियल शेरॉन की मौत जांच के दौरान ही हो गई थी।

अब लोगों को इस बात का इंतजार है कि नेतन्याहू के मामले में क्या होता है? इजराइल के मीडिया में भी नेतन्याहू के खिलाफ आवाज उठने लगी है। इसराइली मीडिया का कहना है कि जो व्यक्ति किसी अपराध में संदिग्ध है उसके हाथों में इसराइल की कमान नहीं होनी चाहिए। इसराइली मीडिया के मुताबिक देश को पूर्णकालिक प्रधानमंत्री चाहिए। ऐसा पीएम नहीं चाहिए जो अपना आधा समय जांचकर्ताओं से पूछताछ या बचाव पक्ष के वकीलों के साथ रणनीति पर काम करने में नष्ट करे।

बेटे के टेप पर विवाद

नेतन्याहू अपनी पत्नी ही नहीं बल्कि बेटे के कारण भी विवादों में फंस चुके हैं। उनकी भारत यात्रा से पहले उनके 26 वर्षीय बेटे याइर नेतन्याहू का एक ऑडियो टेप सार्वजनिक हुआ था। ऑडियो में 26 वर्षीय याइर नेतन्याहू गैस टायकून कोबी मैमोन के बेटे ओरी से एक वेश्या पर खर्च करने के लिए पैसे उधार मांगते दिखे। यह टेप 2015 का बताया गया है। इस टेप में याइर कह रहे हैं कि मेरे पिता ने तुम्हारे लिए 20 अरब डॉलर का सौदा कराया है और तुम मुझे उधार नहीं दे सकते? इस टेप के आने के बाद भी नेतन्याहू से इस्तीफे की मांग हुई थी।

इस मामले में सफाई देने के लिए नेतन्याहू को खुद सामने आना पड़ा था। इस बाबत प्रधानमंत्री के कार्यालय की ओर से कहा गया कि उनका कोबी मैमोन से कोई संबंध नहीं है और उन्हें अपने बेटों के संबंधों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। कहा गया कि याइर को गैस सौदे के बारे में कोई जानकारी नहीं है और अगर उन्होंने इस बारे में कोई टिप्पणी की भी है तो ऐसा मजाक में ही किया है।

इस मामले में दिलचस्प यह है कि जिस शाम नेतन्याहू के बेटे का आडियो टेप सार्वजनिक हुआ उसी रात इसराइली एयरफोर्स ने सीरियाई आर्मी ठिकानों पर हमला किया। इस पर न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा इस तरह के हमले में प्रधानमंत्री की सीधी संलिप्तता होती है। यह हमला नेतन्याहू के बेटे के टेप सार्वजनिक होने से उपजे विवाद से ध्यान हटाने के लिए था।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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