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Russia Ukraine: इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के फैसले मानना जरूरी, दलवीर भंडारी भी हैं इसके न्यायाधीश
Russia Ukraine War: इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (International Court of Justice) ने रूस से यूक्रेन में युद्ध (russia ukraine war) रोकने को कहा है।
New Delhi: इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (International Court of Justice) ने रूस से यूक्रेन में युद्ध (russia ukraine war) रोकने को कहा है। यूक्रेन से भी कोर्ट ने कहा है कि वह कोई भड़काऊ कार्रवाई न करे। आईसीजे (ICJ) में संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद द्वारा नौ साल के कार्यकाल के लिए चुने गए 15 न्यायाधीशों का एक पैनल होता है। एक ही समय में प्रत्येक राष्ट्रीयता के एक से अधिक न्यायाधीशों का अदालत में प्रतिनिधित्व नहीं किया जा सकता है।
फोकस इस बात पर होता है कि न्यायाधीशों को सामूहिक रूप से दुनिया की प्रमुख सभ्यताओं और कानूनी प्रणालियों को प्रतिबिंबित करना चाहिए। द हेग, नीदरलैंड्स में पीस पैलेस में स्थित आईसीजे एकमात्र प्रमुख संयुक्त राष्ट्र अंग है जो न्यूयॉर्क शहर में स्थित नहीं है। इसकी आधिकारिक कामकाजी भाषाएं अंग्रेजी और फ्रेंच हैं। 22 मई 1947 को अपना पहला मामला दर्ज होने के बाद से, ICJ ने सितंबर 2021 तक 181 मामलों पर विचार किया है।
भारत के जस्टिस भंडारी
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) के आदेश बाध्यकारी होते हैं सो कोई देश इन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकता है। इस ग्लोबल अदालत के एक जस्टिस सदस्य भारत के दलवीर भंडारी भी हैं।न्यायमूर्ति भंडारी को भारत सरकार द्वारा जनवरी 2012 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश के पद के लिए अपने आधिकारिक उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया था। ये वेकैंसी जॉर्डन के सदस्य न्यायाधीश अवन शौकत अल-खसावनेह के इस्तीफे के बाद बनी थी। खसावनेह दरअसल जॉर्डन के प्रधानमंत्री नियुक्त किये गए थे इसलिए उन्होंने आईसीजे का पद छोड़ दिया था।
20 नवंबर 2017 को दूसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुने गए थे भंडारी
27 अप्रैल 2012 को हुए चुनावों में, भंडारी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने प्रतिद्वंद्वी, फ्लोरेंटिनो फेलिसियानो के लिए 58 के मुकाबले 122 वोट हासिल किए। फेलिसियानो को फिलीपींस सरकार द्वारा नामित किया गया था। ब्रिटेन के नामित क्रिस्टोफर ग्रीनवुड द्वारा अपना नामांकन वापस लेने के बाद 20 नवंबर 2017 को भंडारी को दूसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुना गया था
भंडारी 1973 से 1976 तक राजस्थान उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करते रहे। उन्होंने 1977 में अपनी प्रैक्टिस दिल्ली में स्थानांतरित कर दी और मार्च 1991 में दिल्ली उच्च न्यायालय में अपनी पदोन्नति तक सुप्रीम कोर्ट के वकील थे।