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राष्ट्रपति शी जिनपिंग को सत्ता में बनाए रखने के लिए एक नया प्रस्ताव

raghvendra
Published on: 28 Feb 2018 9:54 AM GMT
राष्ट्रपति शी जिनपिंग को सत्ता में बनाए रखने के लिए एक नया प्रस्ताव
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चीन की राजनीति में प्रभावशाली चेहरा बन चुके शी जिनपिंग को सत्ता में बनाए रखने के लिए एक नया प्रस्ताव रखा गया है। चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने राष्ट्रपति के कार्यकाल पर लगी सीमा को हटाने का प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव को ऐसा कदम माना जा रहा है जो जिनपिंग को सत्ता में बनाए रखेगा। इस कदम को चीन की राजनीति में एक निर्णायक घड़ी के रूप में देखा जा रहा है।

इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने पर जिनपिंग 2023 के बाद भी चीन के राष्ट्रपति बने रहेंगे। वे 2013 से इस पद पर काबिज हैं। शी जिनपिंग ने चीन के विभिन्न वर्गों पर अपनी पकड़ काफी मजबूत कर ली है। सेना व व्यापारी वर्ग पर उन्होंने मजबूत पकड़ बना ली है। इसके साथ पार्टी पर उनकी पकड़ काफी मजबूत हो चुकी है। यही कारण है कि उन्हें देश के क्रांतिकारी संस्थापक माओत्से तुंग के बाद सबसे शक्तिशाली नेता माना जाता है। सरकारी गानों तक में उनके आधिकारिक छोटे नाम पापा शी का इस्तेमाल होता है।

भ्रष्टाचार विरोधी कैंपेन ने किया मजबूत

चीन की स्थितियों में अब बदलाव दिख रहा है। कम्युनिस्ट पार्टी ने इस देश पर दशकों से राज किया है। पार्टी का देश पर मजबूत नियंत्रण रहा है। अभी तक यह होता रहा है कि पार्टी के सबसे ऊंचे पद पर बैठे व्यक्ति के हाथ में सीमित वक्त के लिए ही कमान आती थी मगर जिनपिंग अपनी उसी पार्टी को पछाड़ कर स्पॉटलाइट में आए हैं।

जिनपिंग ने पद पर बैठने के शुरुआती दिनों में ही इस सिस्टम को तोडऩा शुरू कर दिया था। जिस पार्टी ने उन्हें ऊंचाई पर पहुंचाया, जिनपिंग अब उससे भी ताकतवर होते दिख रहे हैं। पिछले हफ्ते करीब 80 करोड़ लोगों ने टीवी पर चीनी नए साल का जश्न देखा जहां पूरे प्रोग्राम में शी के चीन की नई सोच का जमाना का प्रचार होता रहा।

सत्ता पर काबिज होते ही जिनपिंग ने भ्रष्टाचार विरोधी कैंपेन शुरू किया। इससे रिश्वत लेने या सरकारी पैसे का दुरुपयोग करने वाले 10 लाख से ज्यादा पार्टी प्रतिनिधि अनुशासित हो गए। इसी कैंपेन ने जिनपिंग के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को भी खत्म कर दिया और शक जताने वालों को चुप करवा दिया।

नहीं नजर आता कोई विकल्प

चीन में जिनपिंग इतने ताकतवर हो चुके हैं कि अगले पांच साल में उनकी जगह लेने वाला कोई नजर नहीं आता। पिछले अक्तूबर में पार्टी की एक अहम बैठक में जिनपिंग ने परंपरा तोड़ते हुए किसी उत्तराधिकारी का नाम आगे नहीं किया। जिनपिंग ने अपने पद के शुरुआती दिनों में ही अपना राजनीतिक विजन साफ दिखा दिया था जब उन्होंने अंतरराष्ट्रीय व्यापार के रास्ते बनाने के लिए वन बेल्ट वन रोड‘ जैसे प्रोजेक्ट को बढ़ावा दिया और 2020 तक चीन से गरीबी हटाने की योजना का ऐलान किया।

सोशल मीडिया पर प्रस्ताव का विरोध

जिनपिंग को अनिश्चितकाल तक राष्ट्रपति बनाए रखने की इस चाल का देश में व्यापक विरोध भी हो रहा है। सोशल मीडिया पर लोग इसका विरोध कर रहे हैं और इसकी तुलना उत्तर कोरिया से कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि चीन भी उत्तर कोरिया की राह पर आगे बढ़ रहा है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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