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Kazakhstan Protest: हिंसा की आग में जला कजाखस्तान, दर्जनों लोग मारे गए

Kazakhstan Protest: कजाखस्तान में सरकार द्वारा इस्तीफा देने के बावजूद महंगाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी हैं और आज भड़की हिंसा में दर्जनों प्रदर्शनकारी और 12 पुलिसवाले मारे गए।

Neel Mani Lal
Report Neel Mani LalPublished By Deepak Kumar
Published on: 6 Jan 2022 3:06 PM GMT
kazakhstan violent protest across the country
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कजाखस्तान में हिंसा। 

Kazakhstan Protest: कजाखस्तान (Kazakhstan) में सरकार द्वारा इस्तीफा देने के बावजूद महंगाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी हैं और आज भड़की हिंसा में दर्जनों प्रदर्शनकारी और 12 पुलिसवाले मारे गए। देश के सबसे बड़े शहर अलमाटी में आज प्रदर्शनकारियों और पुलिसकर्मियों के बीच कई हिंसक झड़पें हुईं। पुलिस के मुताबिक कई प्रदर्शनकारी उनके दफ्तरों में घुसने का प्रयास कर रहे थे, जिसके बाद हुई झड़प में वे मारे गए। हिंसा के बीच कई सरकारी इमारतों में आग लगा दी गयी। एक पुलिसवाले का तो सर कटी लाश बरामद हुई है।

देश में दो हफ्तों का किया आपातकाल लागू

कजाखस्तान (Kazakhstan) में मंहगाई के खिलाफ कई हफ्तों से विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। प्रदर्शन तब और तेज हो गए, जब अधिकारियों ने एलपीजी की कीमतों पर लगी सीमा हटा ली, जिसके बाद ईंधन की कीमतों में तेज वृद्धि देखने को मिली। फिर 5 जनवरी को राष्ट्रपति कासिम जोमाट तोकायेव (President Kasim Zomat Tokayev) ने सरकार का इस्तीफा स्वीकार करते हुए अलीखान समाईलोव को कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया। साथ ही, उन्होंने देश में दो हफ्तों का आपातकाल लागू किया और सरकार को तेल की कीमतें नियमित करने का आदेश दिया।

देशभर में बैंकों का कामकाज बंद रखने का किया फैसला

विरोध प्रदर्शनों का स्तर देखते हुए राष्ट्रपति तोकायेव (President Kasim Zomat Tokayev) ने देश के नाम संबोधन में कहा था कि सरकार और सेना के दफ्तरों पर हमले का आह्वान पूरी तरह गैरकानूनी है। ईंधन कीमतों में वृद्धि के बाद 4 जनवरी को जब प्रदर्शन तेज हुए, तो बीते दो दिनों में आठ पुलिसकर्मी और नेशनल गार्ड के सैनिक मारे गए। फिर कजाखस्तान (Kazakhstan) के राष्ट्रपति ने रूसी सुरक्षाबलों से मदद मांगी, जिन्होंने शांति-सेना भेजने का प्रस्ताव दिया था।

कजाखस्तान (Kazakhstan) के नेशनल बैंक ने अपने कर्मचारियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए देशभर में बैंकों का कामकाज बंद रखने का फैसला किया है। पूरे देश में इंटरनेट भी लगभग बंद है। एलपीजी को यहां ऑटोगैस के नाम से भी जाना जाता है, जो यहां का प्रमुख ईंधन है। इसके बाद से विरोध की यह लहर पूरे देश में फैल गई और जहां तहां हजारों लोग सड़कों पर उतर कर विरोध में शामिल हो गए।

प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन को लगा दी आग

प्रदर्शनकारी अलमाटी में भी सड़कों पर उतरे जो पहले यहां की राजधानी हुआ करता था और वहां राष्ट्रपति भवन को आग लगा दी गई। इसके साथ ही म्युनिसिपल्टी की इमारतों, पुलिस की गाड़ियों को आग लगाने और हथियारबंद पुलिस अधिकारियों के गश्त, गोलीबारी और धमाकों की भी खबरें आ रही हैं।

जमीनी हालात भले ही अभी साफ नहीं लेकिन एक बात जरूर है कि लंबे समय से निरंकुश सरकार के साये में स्थिर रहने वाला कजाखस्तान इतने बड़े राजनीतिक संकट में इससे पहले कभी नहीं फंसा और इसके नतीजे काफी बड़े हो सकते हैं। आखिरकार यह सोवियत संघ का पूर्व सदस्य देश है और रूस के साथ करीबी संबंध बनाए हुए है। हाल में झानाओजेन से जो विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ है उसकी नींव 10 साल पहले पड़ी थी। तब तेल कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे। प्रदर्शन करने वालों पर अधिकारियों की कार्रवाई में दर्जनों लोगों की मौत हुई थी। 2011 में मजदूरी को लेकर कर्मचारियों की हड़ताल हुई। हालांकि इस बार झानाओजेन के निवासी ऑटोगैस की कीमतें बढ़ने के कारण सड़कों पर उतरे। ज्यादातर लोग अपनी कार में इसी का इस्तेमाल करते हैं और नए साल में इसकी कीमत दोगुनी हो गई है। अब इस्तीफा दे चुकी सरकार का कहना है कि उत्पादन में कमी और मांग में भारी बढ़ोत्तरी के कारण गैस की कीमत बढ़ी है।

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Deepak Kumar

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