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हमास और हिजबुल्लाह: आखिर ये हैं क्या?

Hamas and Hezbollah: हिजबुल्लाह एक शिया गुट है, जबकि हमास सुन्नी है। हिजबुल्लाह और हमास हमेशा एक दूसरे से सहमत नहीं रहे हैं। दोनों इस्लामी समूह सीरिया के विद्रोह से गृहयुद्ध में विपरीत पक्षों की ओर से लड़े।

Neel Mani Lal
Published on: 30 Sept 2024 3:41 PM IST
Hamas and Hezbollah
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Hamas and Hezbollah

Hamas and Hezbollah: हमास और हिजबुल्लाह पर इजरायल कहर बन कर टूटा हुआ है। दोनों उग्रवादी संगठनों के तमाम बड़े नेता और कमांडर ढूंढ ढूंढ कर मारे जा चुके हैं। हिजबुल्लाह का सुप्रीम नेता नसरल्लाह का सफाया इजरायल की बहुत बड़ी कामयाबी रही है। पश्चिम एशिया में मचे भीषण युद्ध के दो प्लेयर हमास और हिजबुल्लाह आखिर हैं क्या ये भी जानना जरूरी है। इन दोनों संगठनों के बारे में जानते हैं :

फिलिस्तीन स्थित सुन्नी संगठन ‘हमास’

हमास का पूरा नाम ‘हरकत अल-मुकावामा अल-इस्लामिया’ यानी इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन है और इसकी स्थापना एक फलस्तीनी मौलवी शेख अहमद यासीन ने की थी जो मुस्लिम ब्रदरहुड का एक कार्यकर्ता था। यासिन ने दिसंबर 1987 में गाजा में ब्रदरहुड की राजनीतिक शाखा के रूप में हमास की स्थापना की। उस समय हमास का उद्देश्य ब्रदरहुड के लिए फिलिस्तीनी समर्थन को बहाल करने के साधन के रूप में इजरायलियों के खिलाफ हिंसा में शामिल होना था। हमास ने 1988 में अपना चार्टर प्रकाशित किया, जिसमें यहूदियों की हत्या, इजरायल के विनाश और इजरायल के स्थान पर ऐतिहासिक फिलिस्तीन में एक इस्लामी समाज की स्थापना का आह्वान किया गया। इसने 2006 में चुनावों में अपनी प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक पार्टी फतह को हराने के बाद गाजा पट्टी पर कब्ज़ा कर लिया था।


हमास दरअसल एक आतंकी आंदोलन या संगठन है और फिलिस्तीनी क्षेत्र के दो प्रमुख राजनीतिक दलों में से एक है। यह गाजा पट्टी में बीस लाख से अधिक फ़िलिस्तीनियों पर शासन करता है। दर्जनों देशों ने हमास को एक आतंकवादी संगठन नामित किया है, हालांकि कुछ लोग इस लेबल को केवल इसकी सैन्य शाखा पर लागू करते हैं। चूँकि फलस्तीन की आबादी सुन्नी मुस्लिम है सो हमास भी सुन्नी समुदाय का गुट है। इसकी प्रतिद्वंद्वी पार्टी, ‘अल फतह’ है जो फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) पर हावी है और वेस्ट बैंक में शासन करती है। लेकिन अल फतह ने हिंसा छोड़ रखी है। फिलिस्तीनी नेतृत्व में विभाजन और हमास की इजरायल के प्रति अटूट शत्रुता है।

हमास ने 2017 में एक नया दस्तावेज़ प्रस्तुत किया, जिसमें छह-दिवसीय युद्ध से पहले स्थापित "ग्रीन लाइन" सीमा पर एक अंतरिम फिलिस्तीनी राज्य को स्वीकार किया गया था, लेकिन फिर भी उसने इज़राइल को मान्यता देने से इनकार कर दिया। 1993 में पीएलओ नेता यासर अराफात और इजरायली प्रधान मंत्री यित्ज़ाक राबिन द्वारा ओस्लो समझौते पर हस्ताक्षर करने से पांच महीने पहले हमास ने पहली बार आत्मघाती बम विस्फोट किया था। 1997 में अमेरिका ने हमास को एक विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया। इस संगठन ने 2000 के दशक की शुरुआत में दूसरे इंतिफादा के दौरान हिंसक प्रतिरोध का नेतृत्व किया था।


हमास को कौन देता है मदद

हमास की फंडिंग फ़िलिस्तीनी प्रवासियों और फारस की खाड़ी में निजी दानदाताओं द्वारा होती है। इसके अलावा पश्चिम के देशों में कुछ इस्लामिक चैरिटी ने हमास समर्थित सामाजिक सेवा समूहों को पैसा दिया जाता है। कतर, तुर्की और ईरान भी हमॉस को अलग अलग चैनलों से फंड्स देते हैं। अन्य विदेशी सहायता आम तौर पर पीए और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के माध्यम से गाजा तक पहुंचती है। आज, ईरान हमास के सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक है, जो धन, हथियार और प्रशिक्षण में योगदान दे रहा है। हालाँकि सीरिया के गृहयुद्ध में विरोधी पक्षों का समर्थन करने के बाद ईरान और हमास थोड़े समय के लिए अलग हो गए थे। ईरान वर्तमान में हमास, पीआईजे और अमेरिका द्वारा नामित आतंकवादी संगठनों के रूप में नामित अन्य फ़िलिस्तीनी समूहों को सालाना लगभग 100 मिलियन डॉलर प्रदान करता है। 2002 में राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के सत्ता में आने के बाद तुर्की हमास का एक और कट्टर समर्थक और इज़राइल का आलोचक रहा है। हालांकि अंकारा इस बात पर जोर देता है कि वह केवल राजनीतिक रूप से हमास का समर्थन करता है, उस पर हमास के आतंकवाद को वित्त पोषित करने का आरोप लगाया गया है, जिसमें हमास से प्राप्त सहायता भी शामिल है।


क्या है हिजबुल्ला

हिज़्बुल्लाह का अर्थ है "ईश्वर का दल", ये शियाओं का हथियारबंद राजनीतिक ग्रुप है जिसका गठन 1982 में इज़राइल से लड़ने के लिए किया गया था। इसे ईरान से पूरा सपोर्ट मिलता है। लेबनान में भी बड़ी शिया आबादी है। दरअसल, हिजबुल्ला का उदय 1982 में लेबनान पर इज़राइल के आक्रमण के मद्देनजर ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स द्वारा गठित सशस्त्र समूहों से हुआ था। लेबनान पर इजरायल के करीब 20 साल के कब्जे के दौरान उसके खिलाफ लड़ाई लड़ने में हिजबुल्ला सबसे बड़ी ताकत बन कर उभरा। आज भी यह इस क्षेत्र में इज़राइल के सबसे बड़े दुश्मनों में से एक है।


अभी तक हिजबुल्ला का नेता हसन नसरल्लाह था जिसे हाल ही में इजरायल ने मार गिराया है। उसके पहले 1992 तक हिजबुल्लाह का नेता था शेख़ अब्बास अल-मुसावी जो खुद भी इज़रायली मिसाइल हमले में मारा गया था। नसरल्लाह के नेतृत्व में, हिज़्बुल्लाह ने लंबी दूरी के रॉकेट हासिल किए और इनका जखीरा एक लाख 20 हजार तक बढ़ा लिया। हिजबुल्ला का कहना है कि वह इज़राइल के सभी हिस्सों पर हमला कर सकता है। अमेरिका का अनुमान है कि ईरान ने हाल के वर्षों में हिज़्बुल्लाह को सालाना करोड़ों डॉलर आवंटित किए हैं। लेबनान की सांप्रदायिक राजनीतिक व्यवस्था में हिजबुल्ला सबसे प्रभावशाली राजनीतिक गुटों में से एक है, जिसे शिया आबादी के एक बड़े हिस्से का समर्थन प्राप्त है। सांप्रदायिक आधार पर विभाजित इस देश में राजनीतिक और सैन्य ढांचे के विशाल नेटवर्क के कारण इस संगठन को अक्सर "एक देश के भीतर एक देश" करार दिया जाता है।

हिजबुल्लाह के उद्देश्य

हिजबुल्लाह के लड़ाकों ने लेबनान में इजरायली सेना के खिलाफ निरंतर अभियान चलाया और अन्य देशों में इजरायली नागरिकों पर हमले किए। लगभग 20 वर्षों की घातक लड़ाई के बाद 2000 में इजरायली सेनाएं दक्षिणी लेबनान से एकतरफा वापस चली गईं, जिससे हिजबुल्लाह को खुद को पहली अरब सेना घोषित करना पड़ा जिसने इजरायल को क्षेत्र का नियंत्रण छोड़ने के लिए मजबूर किया। कालांतर में हिजबुल्लाह लेबनान की सबसे प्रभावशाली राजनीतिक पार्टी और लड़ाकू ताकत बन गई और इसने सीरिया, इराक, यमन और मध्य पूर्व के अन्य स्थानों में अपने अभियान का विस्तार किया है। लेबनान में, समाज के कुछ हिस्सों में इसकी गहरी जड़ें हैं और इसके मिशन का समर्थन करने के लिए एक व्यापक तंत्र है, जिसमें सामाजिक सेवाओं, संचार और आंतरिक सुरक्षा के लिए समर्पित कार्यालय शामिल हैं। हिजबुल्लाह और उसके राजनीतिक सहयोगियों ने 2022 में हुए चुनावों में लेबनान की संसद में अपना बहुमत खो दिया, लेकिन यह समूह एक दुर्जेय राजनीतिक ताकत बना हुआ है जो देश के कुछ हिस्सों पर वास्तविक नियंत्रण रखता है, जिसमें उत्तरी इज़राइल की सीमा से लगा दक्षिणी लेबनान भी शामिल है।


हिजबुल्ला को किसका सपोर्ट?

ईरान के समर्थन से गठित हिजबुल्लाह, अभी भी घनिष्ठ वित्तीय, आध्यात्मिक और सैन्य संबंध बनाए रखे है। हिजबुल्लाह ईरान द्वारा अपने "प्रतिरोध की धुरी" कहे जाने वाले ग्रुप का हिस्सा है, जिसमें गाजा में हमास और यमन में हौथी शामिल हैं। ईरानी प्रॉक्सी ग्रुपों में से हिजबुल्लाह को सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली माना जाता है, और यह इज़राइल के लिए सबसे गंभीर सैन्य खतरा है। माना जाता है कि ईरान ने हिजबुल्लाह को शक्तिशाली मिसाइलें दी हैं। हिजबुल्लाह अपने लड़ाकों की पहचान गुप्त रखने के लिए बहुत कुछ करता है, इतना कि उनके पड़ोसियों को तभी पता चलता है जब उनकी मृत्यु की घोषणा की जाती है। ऐसे में कौन हिजबुल्ला का सदस्य है ये बता पाना बेहद मुश्किल है।


हमास से रिश्ते

हिजबुल्लाह एक शिया गुट है, जबकि हमास सुन्नी है। हिजबुल्लाह और हमास हमेशा एक दूसरे से सहमत नहीं रहे हैं। दोनों इस्लामी समूह सीरिया के विद्रोह से गृहयुद्ध में विपरीत पक्षों की ओर से लड़े। हिजबुल्लाह सीरियाई तानाशाह बशर अल-असद की ओर से लड़ रहा था, जबकि हमास के उग्रवादियों ने मुख्य रूप से सुन्नी विपक्ष का समर्थन किया। जब पिछले दशक के अंत में सीरिया के अधिकांश हिस्सों में युद्ध समाप्त हो गया, तो हमास और हिजबुल्लाह ने अपने मतभेदों को किनारे रख दिया। हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह ने दोनों समूहों के बीच बढ़ते गठबंधन की बार-बार प्रशंसा की है। हमास के नेताओं ने पिछले साल कई बार नसरल्लाह से मुलाकात की है, और हमास के तेहरान के साथ गहरे होते संबंध व्यापक रूप से जाने जाते हैं।


लेबनान में क्या है स्थिति

हिजबुल्लाह ने अपने बेस यानी लेबनान से काफी दूर-दूर तक लड़ाई लड़ी है लेकिन लेबनान में ही परेशानियाँ बढ़ी हैं। पिछले दो दशकों में आर्थिक और राजनीतिक संकटों के चक्र ने शिया समर्थन के बाहर इसकी लोकप्रियता को झटका दिया है। हिजबुल्ला अपनी आर्थिक समस्याओं से निपटने में शक्तिहीन साबित हुआ है। इसने भ्रष्टाचार के खिलाफ लेबनानी विरोध प्रदर्शनों का ही विरोध किया। अगस्त 2020 में बेरूत के बड़े हिस्से को बर्बाद करने वाले बंदरगाह विस्फोट की न्यायिक जांच को खत्म करने में भी हिजबुल्लाह काफी हद तक सफल रहा है।


हिज़्बुल्लाह और इज़राइल के बीच हज़ारों हमले हो चुके हैं। हिज़्बुल्लाह ने 2006 के युद्ध के बाद पारित संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का उल्लंघन करते हुए इस सीमा क्षेत्र से इज़राइल पर सेनाएँ तैनात की हैं और टैंक रोधी निर्देशित मिसाइलें दागी हैं। इज़राइल ने भी हिज़्बुल्लाह नेताओं की टारगेटेड हत्याओं के साथ जवाब दिया है। इसमें विशेष रूप से हसन नसरल्लाह शामिल है जिसे इजरायल ने बंकर बस्टर बमों के हमले करके जमीन के गहरे नीचे बने कमांड सेंटर में मार गिराया। नसरल्लाह के अलावा ढेरों अन्य हिजबुल्लाह नेता मारे गए हैं। हजारों पेजर और वॉकी-टॉकी में विस्फोटों से हजारों हिजबुल्लाह लड़ाके बुरी तरह घायल हुए हैं।

Shalini singh

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