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अमेरिका ने चीन पर लगाया उत्तर कोरिया की मदद करने का आरोप

raghvendra
Published on: 5 Jan 2018 1:57 PM IST
अमेरिका ने चीन पर  लगाया उत्तर कोरिया की मदद करने का आरोप
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पेइचिंग : उत्तर कोरिया को लेकर अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर तनातनी फिर बढ़ रही है। ताजे विवाद में अमेरिका ने चीन को लपेट लिया है और चीन पर पिछले दरवाजे से उत्तर कोरिया की मदद करने का आरोप लगाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो चीन को रंगेहाथ पकडऩे का दावा किया है।

ट्रंप ने चीन को घेरते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र के तमाम प्रतिबंधों के बावजूद चीन उत्तर कोरिया को तेल का निर्यात कर रहा है। दूसरी ओर चीन अमेरिका के इस आरोप को बेबुनियाद बताते हुए इसे खारिज कर दिया है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उत्तर कोरिया के चार जहाजों को अन्तरराष्ट्रीय बंदरगाहों तक पहुंचने से रोक दिया। अमेरिकी अनुरोध के बाद इन जहाजों पर प्रतिबंध लगाया गया है।

ट्रंप ने कहा-रंगे हाथ पकड़ा गया चीन

ट्रंप ने दावा किया कि चीन को उत्तर कोरिया को तेल की आपूर्ति करते रंगेहाथ पकड़ा गया है। ट्रंप ने अपने ट्वीट में कहा कि चीन का यह रवैया काफी निराशाजनक है कि वह अभी तक उत्तर कोरिया को तेल का निर्यात कर रहा है। यदि यही रवैया जारी रहा तो उत्तर कोरिया की समस्या का कभी भी शांतिपूर्ण हल नहीं निकलेगा।

ट्रंप का यह ट्वीट इस बात की गवाही दे रहा है कि अमेरिका की लाख कोशिशों के बावजूद उत्तर कोरिया को अन्तरराष्ट्रीय मदद अभी तक नहीं रुकी है। हाल में दक्षिण कोरिया के एक अखबार ने दावा किया कि अमेरिकी सेटेलाइट ने चीनी पोतों के जरिए उत्तर कोरिया को तेल भेजते हुए देखा है। दक्षिण कोरिया के समाचारपत्र चोशुन इल्बो ने एक रिपोर्ट में बताया कि चीन के तेल टैंकर गुप्त रूप से उत्तर कोरिया को तेल दे रहे हैं।

चीन ने अमेरिकी आरोपों को नकारा

इस रिपोर्ट के बाद ही राष्ट्रपति ट्रंप के तेवर तल्ख हुए हैं। अक्टूबर से अब तक कम से कम ऐसे 30 निर्यात हुए हैं। माना जा रहा है कि चीन पिछले दरवाजे से अभी भी उत्तर कोरिया की मदद में लगा हुआ है। वैसे चीन यह मानने को तैयार नहीं है कि वह उत्तर कोरिया की मदद कर रहा है। वह पहले भी उत्तर कोरिया पर लगे संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों का उल्लंघन करने के आरोपों को नकार चुका है।

इस बीच संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के बाद कई देश उत्तर कोरिया से किनारा कर चुके हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रतिबंधों के तहत उत्तर कोरिया को किए जाने वाले तेल निर्यात में करीब 90 प्रतिशत की कमी आई है। संयुक्त राष्ट्र में रखे गए उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव का चीन ने भी समर्थन किया था।

उत्तर कोरिया के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को रोकने के लिए ये प्रतिबंध लगाए गए हैं। अभी तक उत्तर कोरिया अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को धता बताते हुए लगातार मिसाइल परीक्षण करता रहा है।

अमेरिका ने जताई चिंता

अमेरिकी अधिकारियों ने दक्षिण कोरियाई अखबार की रिपोर्ट की पुष्टि तो नहीं की है मगर एक अधिकारी ने यह जरूर कहा कि तेल का यह लेनदेन संभवत: अभी भी चल रहा है। अधिकारी ने कहा कि प्रतिबंधों की अनदेखी कर उत्तर कोरिया को तेल की आपूर्ति करना गहरी चिंता का विषय है।

चीन उत्तर कोरिया का मुख्य व्यापारिक सहयोगी है और वह बार-बार संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के समर्थन की बात करता है। दूसरी ओर चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता रेन ग्वाकियांग ने कहा कि अमेरिका की इस बात में कोई दम नहीं है। जब ऐसी स्थिति है ही नहीं तो इस बारे में सवाल खड़े करना ही गलत है।

इस बीच अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता माइकल केवी ने सभी देशों से उत्तर कोरिया से व्यापारिक संबंध तोड़ लेने की अपील की है। केवी ने कहा कि उत्तर कोरिया की गतिविधियों के चलते ऐसा करना जरूरी है। उसके साथ हर तरीके के आर्थिक संबंध खत्म किए जाने चाहिए।

चार जहाजों को रोका

उधर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों के चलते उत्तर कोरिया की मुसीबतें बढ़ती ही जा रही हैं। परिषद ने उत्तर कोरिया के चार जहाजों को बंदरगाह का इस्तेमाल करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। यह कदम इन जहाजों पर प्रतिबंधित उत्पाद लदे होने के शक के कारण उठाया गया।

अब तक संयुक्त राष्ट्र आठ उत्तर कोरिया जहाजों को ब्लॉक कर चुका है। राजनयिकों ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि अमेरिकी अनुरोध पर परिषद ने यह कदम उठाया है। उन्होंने बताया कि चीन उत्तर कोरिया के सिर्फ चार जहाजों पर प्रतिबंध लगाने पर सहमत हुआ। एक राजनयिक ने बताया कि अभी केवल चार जहाजों पर प्रतिबंध लगाने को स्वीकार किया गया है, लेकिन भविष्य में अन्य जहाजों पर प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया खुली हुई है।

दिया किम को जवाब

इस बीच ट्रंप ने उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग की एटमी जंग की धमकी का जवाब उसी के अंदाज में दिया है। ट्रम्प ने ट्वीट में कहा कि मेरे पास ज्यादा बड़ा और ताकतवर न्यूक्लियर बटन है और यह काम भी करता है। मालूम हो कि नए साल पर किम जोंग उन ने अमेरिका को धमकी दी थी कि एटमी हथियार लॉन्च करने का बटन हमेशा उनकी टेबल पर रहता है और उत्तर कोरिया पूरे अमेरिका को तबाह कर सकता है।

किम जोंग पहले भी अमेरिका और उसके सहयोगियों की इस तरह की धमकी दे चुका है। टीवी पर किम ने कहा कि अमेरिका अब कभी भी हमारे खिलाफ जंग शुरू नहीं कर सकता क्योंकि हमारे एटमी हथियार उसे तबाह कर देंगे। ट्रंप ने एक ट्वीट के जरिए किम को उसी के अंदाज में जवाब दिया। इसमें तंज भी था। ट्रंप ने कहा कि क्या कोई भुखमरी से जूझ रहे देश में उसे (किम जोंग उन को) यह बताएगा कि मेरे पास भी न्यूक्लियर बटन है।

उत्तर कोरिया पर लगे हुए हैं कई प्रतिबंध

संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और अमेरिका उत्तर कोरिया पर पहले ही कई तरह के प्रतिबंध लगाए हुए है। सबसे ताजा प्रतिबंध 28 नवंबर को किए गए बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण के बाद लगाया गया है। अमेरिका का कहना है कि उत्तर कोरिया के इस मिसाइल ने अब तक की सबसे अधिक ऊंचाई हासिल की थी।

ताजा प्रतिबंधों के बाद उत्तर कोरिया बिफर गया था और उसने कहा है कि ये उसके खिलाफ युद्ध छेडऩे की तरह है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप व उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के बीच काफी दिनों से जुबानी जंग चल रही है। सुरक्षा परिषद ने 2017 में उत्तर कोरिया पर तीन चरणों में प्रतिबंध लगाए। इसमें लोहा, कोयला, मत्स्य उद्योग, कपड़ा, तेल आपूॢत और रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों पर प्रतिबंध शामिल हैं।

संयुक्त राष्ट्र ने पांच अक्टूबर को भी प्रतिबंधित सामान लेकर जा रहे चार जहाजों की पहचान की थी और उन पर बंदरगाह तक पहुंचने के लिए प्रतिबंध लगा दिया था जो संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में पहला मामला था।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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