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Kulbhushan Jadhav: कुलभूषण जाधव को अपील करने का अधिकार, कहीं इसमें पाकिस्तान की चाल तो नहीं

Kulbhushan Jadhav: कुलभूषण जाधव(Kulbhushan Jadhav) को लेकर बड़ी खबर है। पाकिस्तान नेशनल असेंबली(Pakistan National Assembly) ने 10 जून गुरूवार को कुलभूषण जाधव को अपील करने का अधिकार देने वाला एक विधेयक पारित कर दिया है।

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Newstrack NetworkPublished By Vidushi Mishra
Published on: 11 Jun 2021 1:39 AM GMT
The Pakistan National Assembly on Thursday 10 June passed a bill giving Kulbhushan Jadhav the right to appeal.
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कुलभूषण जाधव(फोटो- सोशल मीडिया)

Kulbhushan Jadhav: पाकिस्तान(Pakistan) की जेल में कैद कुलभूषण जाधव(Kulbhushan Jadhav) को लेकर बड़ी खबर है। पाकिस्तान नेशनल असेंबली(Pakistan National Assembly) ने 10 जून गुरूवार को कुलभूषण जाधव को अपील करने का अधिकार देने वाला एक विधेयक पारित कर दिया है। जाधव मामले में इंटरनेशनल कोर्ट (International Court) के फैसले ने पाकिस्तानी असेंबली को 'प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार' करने का निर्देश दिया था।

ऐसे में इंटरनेशनल कोर्ट(International Court) के निर्णय को असरदार बनाने में 'समीक्षा और पुनर्विचार' के अधिकार को प्रदान करने के लिए, पाकिस्तान की इमरान खान सरकार द्वारा पाकिस्तान नेशनल असेंबली(Pakistan National Assembly) में बिल पेश किया गया>

मिल गई मंजूरी

काफी लंबे समय का इंतजार कराने के बाद पाकिस्तान असेंबली ने "इंटरनेशनल कोर्ट (समीक्षा और पुनर्विचार) अध्यादेश, 2020" को मंजूरी दे दी। बता दें, यह कुलभूषण जाधव को देश के हाईकोर्टों में अपनी सजा की अपील करने की इजाजत देगा।

गौरतलब है कि भारतीय नौसेना(Indian Navy) के रिटायर्ड अधिकारी कुलभूषण जाधव(Kulbhushan Jadhav) को पाकिस्तान(Pakistan) की जासूसी करने का आरोप लगाया गया। जिसके चलते पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवाद के आरोपों पर अप्रैल 2017 में जाधव को मौत की सजा सुनाई थी।

लेकिन इसके बाद भारत ने इंटरनेशनल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, और पाकिस्तान द्वारा राजनयिक पहुंच नहीं दिए जाने और मौत की सजा को चुनौती दी थी।

फिर मामले में इंटरनेशनल कोर्ट ने जुलाई 2019 में दिए एक फैसले में कहा कि पाकिस्तान कुलभूषण जाधव को दोषी ठहराने के फैसले और सजा की प्रभावी तरीके से समीक्षा और पुनर्विचार करे। आगे कोर्ट ने पाकिस्तान को बिना देरी के भारत को राजनयिक पहुंच मुहैया कराने को भी कहा था।

इसके अलावा भारत द्वारा इस मामले में स्वतंत्र और न्यायपूर्ण सुनवाई के लिए भारतीय वकील की नियुक्ति या काउंसल की नियुक्ति की मांग की गई थी। लेकिन पाकिस्तान इसे बार-बार मना करता रहा।

Vidushi Mishra

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