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Indian Engineers in Kuwait: कुवैत में हजारों भारतीय इंजीनियरों की नौकरी खतरे में
Indian Engineers in Kuwait: कुवैत में भारतीय दूतावास के सामने इस मुद्दे को लगातार उठाया जा रहा है, लेकिन मामला अभी भी अनसुलझा है।
Indian Engineers in Kuwait: कुवैत में काम कर रहे भारत के लगभग 12,000 इंजीनियरों की नौकरी खतरे में पड़ गई है। इसकी वजह कुवैत सोसाइटी ऑफ इंजीनियर्स (केएसई) द्वारा उन भारतीय कॉलेजों से उत्तीर्ण स्नातकों को एनओसी जारी नहीं करना है जिनके पास भारत के नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड ( एनबीए) की मान्यता नहीं है। कुवैत में काम करने वाले इंजीनियरों के रेजीडेंसी नवीनीकरण के लिए केएसई की एनओसी अनिवार्य है।
कुवैत में काम कर रहे भारतीय इंजीनियरों के अनुसार, कई भारतीय कॉलेजों द्वारा जारी किए गए इंजीनियरिंग डिग्री सर्टिफिकेट और जो पहले मान्यता प्राप्त थे, अब अचानक गैर-मान्यता प्राप्त हो गए हैं।
सरकार को सौंपे गए एक ज्ञापन में कर्नाटक के इंडियन इंजीनियर्स फोरम ने कहा है कि कुवैत में भारतीय दूतावास के सामने इस मुद्दे को लगातार उठाया जा रहा है, लेकिन मामला अभी भी अनसुलझा है।
भारतीय इंजीनियरिंग कॉलेजों की एनबीए मान्यता का मसला
इससे पहले, केएसई द्वारा भारतीय इंजीनियरिंग कॉलेजों की एनबीए मान्यता का मसला उठाया गया था। ज्ञापन में कहा गया है कि - 2018 में उन्होंने इंजीनियरिंग डिग्री के पुन: सत्यापन के साथ शुरुआत की। बाद में 2020 में उन्होंने कुवैती विदेश मंत्रालय द्वारा फिर से मुहर लगाने के बाद इंजीनियरिंग डिग्री का पुन: सत्यापन शुरू किया। इस वर्ष की शुरुआत में उन्होंने तीसरे पक्ष द्वारा दस्तावेज़ सत्यापन के माध्यम से इंजीनियरिंग डिग्री का पुन: सत्यापन शुरू किया। हाल ही में केएसई ने भारतीय इंजीनियरों के लिए नई अनिवार्यता रखी है जिसमें पूरे 4 साल की इंजीनियरिंग पढ़ाई के लिए एनबीए मान्यता जरूरी है।फोरम ने कहा है कि केएसई अब मार्कशीट में 'पूर्णकालिक' पाठ्यक्रम का उल्लेख करना चाहता है। फोरम के अनुसार, भारतीय शिक्षा प्रणाली जिसे सर्वश्रेष्ठ इंजीनियर, डॉक्टर और चार्टर्ड एकाउंटेंट आदि के उत्पादन के लिए दुनिया भर में स्वीकार किया जाता है, कुवैत द्वारा पूरी तरह से उपेक्षित किया गया है। भारतीय विदेश मंत्रालय को हमारी शिक्षा प्रणाली और इसके नियामक निकायों के बारे में प्रभावी ढंग से संवाद करने की आवश्यकता है। फोरम ने यह भी कहा कि भारत सरकार को कुवैत को यह समझाना चाहिए कि एआईसीटीई, आईआईटी और एनआईटी द्वारा अनुमोदित कॉलेजों/विश्वविद्यालयों द्वारा प्रदान की जाने वाली पूर्णकालिक इंजीनियरिंग डिग्री के लिए एनबीए की आवश्यकता नहीं है।
क्या है एनबीए
नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड (एनबीए) की शुरुआत एआईसीटीई (अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद) द्वारा एआईसीटीई अधिनियम की धारा 10 (यू) के तहत वर्ष 1994 में की गई थी, ताकि प्रस्तावित कार्यक्रमों की गुणात्मक क्षमता का आकलन किया जा सके। ये एनबीए एक स्वतंत्र स्वायत्त निकाय के रूप में 7 जनवरी 2010 से तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता और प्रासंगिकता के आश्वासन के उद्देश्य से अस्तित्व में आया था। 2013 में एनबीए को पूरी तरह एआईसीटीई से स्वतंत्र बना दिया गया।एनबीए निर्धारित मानदंडों के आधार पर तकनीकी संस्थानों के कार्यक्रमों का मूल्यांकन करता है।