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UK Election 2024: भारतीयों को रिझाया और मंदिरों के लगाए चक्कर, कश्मीर राग अलापना छोड़ा, स्टारमर ने इस तरह ऋषि सुनक को पछाड़ा
UK Election 2024: 61 वर्षीय स्टारमर ने भारतीय मूल के लोगों को रिझाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी और मंदिरों तक के चक्कर लगाए। वे लगातार भारत के साथ मजबूत संबंधों की पैरवी करते रहे।
UK Election 2024: ब्रिटेन के आम चुनाव में लेबर पार्टी ने लंबे अरसे बाद बड़ी कामयाबी हासिल की है। लेबर पार्टी के नेता कीर स्टारमर ने भारतीय मूल के ऋषि सुनक को ब्रिटेन की सत्ता से बेदखल कर दिया है। ऋषि सुनक ने अपनी हार स्वीकार कर ली है और स्टारमर को इस बड़ी जीत के लिए बधाई दी है। स्टारमर की इस जीत में ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों की भी बड़ी भूमिका मानी जा रही है।
61 वर्षीय स्टारमर ने भारतीय मूल के लोगों को रिझाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी और मंदिरों तक के चक्कर लगाए। वे लगातार भारत के साथ मजबूत संबंधों की पैरवी करते रहे। लेबर पार्टी की ओर से कश्मीर राग अलापने के कारण भारतीय मूल के लोगों की लेबर पार्टी के प्रति नाराजगी दिखती रही है मगर स्टारमर ने अपने चुनाव अभियान के दौरान कहा था कि अब लेबर पार्टी का बदला हुआ रूप सबके सामने है। लेबर पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में भी कहा था कि वह भारत के साथ नए रणनीतिक संबंधों के साथ आगे बढ़ेगी।
ऋषि सुनक ने स्वीकार कर ली अपनी हार
2022 से कंजरवेटिव पार्टी का नेतृत्व कर रहे ऋषि सुनक को अपनी पार्टी की इतनी बुरी हार का अनुमान नहीं था। इसीलिए उन्होंने तय समय से छह महीने पहले ब्रिटेन में आम चुनाव कराए थे मगर मतदाताओं ने उन्हें सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। ब्रिटेन में लेबर पार्टी ने करीब 14 साल बाद सत्ता में वापसी कर ली है।
बीबीसी के मुताबिक चुनाव के दौरान लेबर पार्टी का नेतृत्व करने वाले की स्टारमर अब ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री होंगे। ऋषि सुनक ने हार के लिए अपनी पार्टी से माफी मांगी है और इस बड़ी कामयाबी के लिए स्टारमर को फोन पर बधाई दी है। वोटिंग खत्म होने के बाद आए एग्जिट पोल में भी सुनक की बड़ी हार का अनुमान लगाया गया था और एग्जिट पोल के नतीजे बिल्कुल सही साबित हुए।
भारतीय समुदाय का समर्थन पाने की कोशिश
कीर स्टारमर से पूर्व लेबर पार्टी की कमान जेरेमी कॉर्बिन के हाथों में थी और कश्मीर को लेकर उनका रवैया भारत विरोधी था। इसे लेकर भारतीय समुदाय के लोगों में नाराजगी दिखती रही है। हालांकि स्टारमर ने भारतीय समुदाय का समर्थन हासिल करने के लिए ठोस प्रयास किया। वे पिछले साल से ही वैश्विक मुद्दों के साथ ही पर्यावरण और आर्थिक मोर्चे पर भारत के साथ मजबूत संबंधों पर जोर देते रहे हैं।
ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय को रिझाने के लिए उन्होंने यह भी कहा था कि लेबर पार्टी को सत्ता मिलने की स्थिति में भारत के साथ संबंधों को और मजबूत बनाया जाएगा। उनका यह भी कहना था कि दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट जारी रहेगा और दोनों देशों के बीच व्यापार को और बढ़ाने की कोशिश की जाएगी। इसके साथ ही वे भारत के साथ रणनीतिक संबंधों को मजबूत बनाने पर भी जोर देते रहे हैं।
लगातार भारतीयों के पक्ष में बोलते रहे स्टारमर
भारतीय मूल के लोगों को रिझाने के लिए स्टारमर इस साल की शुरुआत में लंदन के किंग्सबरी स्थित स्वामीनारायण मंदिर भी गए थे। वहां पर लोगों से बातचीत करते हुए उन्होंने यह भी आश्वासन दिया था कि ब्रिटेन में हिंदू फोबिया के लिए कोई जगह नहीं है। कश्मीर मुद्दे को लेकर भी वह भारतीय मूल के लोगों की नाराजगी दूर करने की कोशिश में जुटे रहे। स्टारमर को इस बात का आभास था कि कश्मीर मुद्दे को लेकर भारतीय समुदाय लेबर पार्टी के खिलाफ रहा है।
ब्रिटेन में 2019 में हुए चुनाव के दौरान कश्मीर मुद्दे पर लेबर पार्टी के रुख के कारण पार्टी को करारा नुकसान उठाना पड़ा था। इसीलिए स्टारमर ने भारतीय प्रवासियों को प्रभावित करने के लिए बार-बार यह बात कही कि यह बदली हुई लेबर पार्टी है।
अपने पूरे चुनाव अभियान के दौरान वे लगातार भारतीयों के पक्ष में ही बोलते रहे। उन्होंने बेहद फूंक-फूंक कर कदम रखा और हमेशा इस बात पर जोर दिया कि लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ लेबर पार्टी कभी समझौता नहीं करेगी।
लेबर पार्टी की जीत में भारतीयों की भी बड़ी भूमिका
सियासी जानकारों का मानना है कि लेबर पार्टी को यह बात पूरी तरह समझ में आ गई थी कि ब्रिटेन की सत्ता हासिल करने के लिए यहां रहने वाले हिंदुओं और भारतीयों का समर्थन हासिल करना जरूरी है। यही कारण था कि स्टारमर ने पार्टी लाइन से अलग रुख अपनाया और लेबर पार्टी को इसका बड़ा फायदा मिला है। लेबर पार्टी की जीत में भारतीयों मूल के लोगों की भी अहम भूमिका मानी जा रही है।