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टेरीजा मे के करीबी डेमियन ग्रीन की पोर्न विवाद में गयी कुर्सी

raghvendra
Published on: 29 Dec 2017 1:18 PM IST
टेरीजा मे के करीबी डेमियन ग्रीन की पोर्न विवाद में गयी कुर्सी
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लंदन : ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। उनके करीबी लगातार किसी न किसी विवाद में फंसते जा रहे हैं और उन्हें पद छोडऩा पड़ा है। सबसे ताजा मामला पीएम मे के सबसे करीबी मंत्रियों में माने जाने वाले डेमियन ग्रीन का है।

उपप्रधानमंत्री ग्रीन को पोर्न विवाद के चलते पद छोडऩा पड़ा है। दो महीने के भीतर पद छोडऩे वाले ग्रीन तीसरे मंत्री हैं। प्रधानमंत्री को भेजे अपने इस्तीफे में ग्रीन ने कहा कि मंत्रियों के कार्यालय की आचारसंहिता का उल्लंघन करने को लेकर वह माफी मांगते हैं। दूसरी ओर प्रधानमंत्री मे ने ग्रीन के इस्तीफे पर अफसोस जताया है।

मंत्रालय के नियमों का किया उल्लंघन

पोर्न मामले में ग्रीन के खिलाफ जांच चल रही थी और जांच में खुलासा हुआ है कि ग्रीन ने मंत्रालय के नियमों का उल्लंघन किया है। जांच में पता चला है कि ग्रीन ने साल 2008 में अपने दफ्तर के कंप्यूटर में मिले पोर्न वीडियो के बारे में गलत और भ्रामक बयान दिए थे। डेमियन ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि उन्होंने वह पोर्न वीडियो नहीं देखा, लेकिन यह भी माना कि इस बारे में भ्रामक जानकारी है कि पुलिस ने ही उन्हें इसके बारे में सूचना दी थी।

ऑनलाइन समाचार पत्र द इंडिपेंडेंट ने अपनी रिपोर्ट में उनके हवाले से कहा कि मैं स्वीकार करता हूं कि मुझे प्रेस में दिए गए अपने वक्तव्यों के बारे में स्पष्ट पता होना चाहिए था कि पुलिस के वकील ने कंप्यूटर में अश्लील सामग्री के बारे में मेरे वकील से 2008 में बातचीत की थी और 2013 में पुलिस ने टेलीफोन बातचीत में मेरे समक्ष यह मामला उठाया था।

ग्रीन ने दिया था गलत व भ्रामक बयान

इस बाबत आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटिश कैबिनेट कार्यालय ने अपनी जांच में पाया कि कंप्यूटर पर मिली पोर्न सामग्री के संबंध में अनभिज्ञता वाला ग्रीन का बयान गलत और भ्रमित करने वाला था और ऐसा करके उन्होंने मंत्रियों के लिए तय आचारसंहिता का उल्लंघन किया है। आंतरिक जांच में कहा गया है कि 11 नवंबर को ग्रीन ने बयान दिए थे कि 2008 के छापे के दौरान पुलिस ने जो पोर्न वीडियो बरामद किया था, उन्हें उसकी कोई जानकारी नहीं थी।

यह बयान पूरी तरह भ्रामक और गलत है। इसके बाद उन्होंने स्वीकार किया था कि उन्होंने भ्रामक बयान दिए थे, लेकिन इस बात से मना भी किया था कि उन्होंने संसद के अपने केबिन के कंप्यूटर में पोर्न वीडियो को डाउनलोड किया या इसे देखा था। उनका कहना था कि ये आरोप पूरी तरह बेबुनियाद और गंभीर रूप से आहत करने वाले हैं।

इस मामले में जांच के आदेश उस समय दिए गए, जब उनसे उम्र में तीस वर्ष छोटी महिला केट माल्टबी ने आरोप लगाया था कि डेमियन ने साल 2015 में वाटरलू के एक पब में उनके घुटने को छुआ था और इसके एक साल बाद अखबार में छपी केट की तस्वीर को लेकर एक संदेश भेजा था। इस फोटो में वे अंडरगार्मेंट्स पहने हुए थीं।

ग्रीन ने इस बात से इनकार किया था कि साल 2015 में उन्होंने पत्रकार केट मेल्टबी के साथ गलत व्यवहार किया था और साल 2008 में हाउस ऑफ कॉमन्स के अपने कंप्यूटर पर पोर्न वीडियो देखा था।

मे के पास नहीं था विकल्प

ग्रीन के पद छोडऩे के बाद टेरीजा मे और अकेली पड़ गयी है। ग्रीन के पद छोडऩे के बाद मे ने पूरे प्रकरण पर गहरा अफसोस जताया। उन्होंने कहा कि ग्रीन उन उसूलों पर खरे नहीं उतर पाए जिसकी किसी मंत्री से उम्मीद की जाती है। 61 वर्षीय ग्रीन दो महीनों में पद छोडऩे वाले तीसरे ब्रिटिश मंत्री हैं। ग्रीन से पहले माइकल फैलॉन और प्रीति पटेल को मंत्री पद छोडऩा पड़ा था।

जानकारों का कहना है कि ग्रीन को लेकर ब्रिटिश पीएम चौतरफा घिर गयी थीं और उनके सामने ग्रीन को हटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया था। इस बीच स्वास्थ्य मंत्री जेरेमी हंट का कहना है कि अपने नजदीकी ग्रीन को बर्खास्त कर मे लोगों का विश्वास जीतने में कामयाब हुई हैं। लोगों को पूरा भरोसा है कि वे ऐसी महिला हैं जो देश का नेतृत्व कर सकती हैं। यह फैसला दिखाता है कि मे कठिन फैसले लेने में सक्षम हैं।

हंट ने कहा कि हाल की घटनाएं बताती हैं कि मे की छवि ऐसे राजनेता की बन गयी है जो विपरीत परिस्थितियों में कठिन फैसला ले सकती हैं। उन्होंने ब्रेक्जिट की वार्ता के दौरान ऐसा दिखाया भी है। वैसे माना जा रहा है कि हंट ने मे की छवि को नुकसान पहुंचने से बचाने के लिए यह बयान दिया है। हंट ने स्वीकार किया कि ग्रीन ने पोर्न प्रकरण में झूठ बोला था,लेकिन यह भी कहा कि पुलिस को अभी भी 2008 में ग्रीन के ऑफिस पर मारे गए छापे से जुड़े कई सवालों का जवाब देना है।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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