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माउंटबेटन व एडविना की डायरी व खत नहीं होंगे सार्वजनिक, ब्रिटेन को बड़ा राज खुलने का डर

Lord Mountbatten Diary : लॉर्ड माउंटबेटन और उनकी पत्नी एडविना माउंटबेटन की डायरी व खत सार्वजनिक नहीं किए जाएंगे।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shraddha
Published on: 19 May 2021 5:34 PM GMT
माउंटबेटन व एडविना की डायरी व खत नहीं होंगे सार्वजनिक
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माउंटबेटन व एडविना की डायरी व खत नहीं होंगे सार्वजनिक फाइल फोटो (सौ. से सोशल मीडिया)

Lord Mountbatten Diary : भारत में ब्रिटिश शासनकाल (British rule) के दौरान अंतिम वायसराय रहे लॉर्ड माउंटबेटन (Lord Mountbatten) और उनकी पत्नी एडविना माउंटबेटन (Edwina Mountbatten) की डायरी व खत सार्वजनिक नहीं किए जाएंगे। ब्रिटेन की सरकार ने एक बार फिर इस बाबत किए गए अनुरोध को ठुकरा दिया है।

ब्रिटिश लेखक एंड्रयू लोवनी (British writer Andrew Lovney) चार साल से इन्हें हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं मगर एक बार फिर उन्हें अपने प्रयासों में नाकामी ही हासिल हुई है। ब्रिटिश कैबिनेट और साउथ हैम्पटन यूनिवर्सिटी (South Hampton University) ने लॉर्ड माउंटबेटन और एडविना की डायरियां और खत सौंपने की उनकी अपील को खारिज कर दिया है।

ब्रिटेन को सता रहा है इस बात का डर

एक ब्रिटिश अखबार की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक लोवनी अपनी कोशिश में कामयाबी हासिल करने के लिए ढाई लाख पाउंड खर्च कर चुके हैं मगर उन्हें सफलता नहीं मिल सकी है। लोवनी का मानना है कि ब्रिटिश सरकार डायरी और खतों को सार्वजनिक करने से इसलिए डर रही है क्योंकि उसे इस बात का डर सता रहा है कि इससे भारत के विभाजन और एडविना के अंतरंग रिश्तों के कई तरह के राज खुल सकते हैं। लॉर्ड माउंटबेटन की डायरी और एडविना के पत्र साउथ हैम्पटन यूनिवर्सिटी के आर्काइव में रखे हुए हैं। ब्रिटिश सरकार ने 2010 में देश के हितों के लिए इसे सुरक्षित रखने की बात कही थी।

चार साल से प्रयास कर रहे हैं लोवनी

ब्रिटिश लेखक लोवनी ने 2017 में माउंटबेटन पर एक किताब लिखी थी जो काफी चर्चित हुई थी। उसी साल से वे लॉर्ड माउंटबेटन और एडविना की डायरी और खतों को पाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने सूचना की स्वतंत्रता के तहत भी इन्हें पाने की कोशिश की और सूचना आयुक्त कार्यालय की ओर से इन्हें सार्वजनिक किए जाने का आदेश भी दिया गया मगर फिर भी लोवनी को कामयाबी नहीं मिल सकी।

ब्रिटिश सरकार ने दिया बड़ा आदेश

इस बाबत साउथ हैम्पटन यूनिवर्सिटी ने अपना रुख पूरी तरह साफ कर दिया है। यूनिवर्सिटी का कहना है कि सरकार की ओर से आदेश दिया गया है कि उसके आदेश के बिना भारत के अंतिम वायसराय रहे लॉर्ड माउंटबेटन और एडविना से जुड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक न किया जाए।

दिलचस्प बातों को छिपाने की कोशिश

ब्रिटिश लेखक का कहना है कि लॉर्ड माउंटबेटन और एडविना से जुड़े दस्तावेजों में जरूर कुछ न कुछ दिलचस्प बातें हैं जिन्हें छिपाने की कोशिश की जा रही है। उनका यह भी मानना है कि इन दस्तावेजों के सार्वजनिक होने से भारत के विभाजन को लेकर कई बड़े राज खुल सकते हैं। काफी संख्या में लोगों की इन राजों को जानने में दिलचस्पी है मगर ब्रिटिश सरकार इसकी इजाजत देने के लिए तैयार नहीं है।

चर्चा का विषय रहे हैं नेहरू-एडविना के रिश्ते

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और लॉर्ड माउंटबेटन की पत्नी एडविना के अंतरंग रिश्ते भारत में हमेशा चर्चा का विषय रहे हैं। कुछ लोगों ने इसे महज दोस्ती का नाम दिया तो कुछ ने इसे एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर बताया है। एडविना की बेटी पामेला ने अपनी किताब डॉटर ऑफ एंपायर में अपनी मां और पंडित नेहरू के बीच रिश्तों को स्प्रिचुअल रिलेशन बताया है। पामेला ने अपनी किताब में खुलासा किया है कि पंडित नेहरू ने एडविना को इतने लेटर लिखे थे जिनसे एक पूरा सूटकेस भर गया था। उनका कहना था कि दोनों दो शरीर और एक आत्मा की तरह थे।

नेहरू के प्यार में पागल थीं एडविना

पामेला ने यह भी खुलासा किया था कि लॉर्ड माउंटबेटन को अपनी पत्नी और नेहरू के रिश्तों के बारे में पूरी जानकारी थी मगर उन्होंने कभी इसमें दखल नहीं दिया। उनका कहना है कि नेहरू के रूप में उनकी मां को एक ऐसा साथी मिला जिससे उन्हें शांति मिला करती थी। उनकी मां को नेहरू से भावनात्मक लगाव था और यही कारण था कि वह उनके प्यार में पागल थी। पामेला का यह भी कहना था कि दोनों एक-दूसरे के अकेलेपन को दूर करने के लिए हमेशा एक-दूसरे की मदद किया करते थे।

एक-दूसरे के प्रति आकर्षित थे दोनों

एडविना ने अपनी एक दूसरी किताब इंडिया रिमेंबर्ड में भी नेहरू और एडविना के रिश्तों पर रोशनी डाली है। उनका कहना है कि भारत में रहने के दौरान उन्होंने भी नेहरू के साथ एक लंबा समय बिताया था और इस दौरान उन्हें यह बात महसूस हुई कि उनकी मां और नेहरू के बीच गहरा आकर्षण था। पामेला के मुताबिक एडविना को लिखे गए नेहरू के पत्रों से इस बात का पता चलता है कि दोनों एक-दूसरे से काफी प्यार किया करते थे। पामेला के मुताबिक भारत को आजादी मिलने के 10 साल बाद पंडित नेहरू ने उन्हें एक पत्र लिखा था। इस पत्र में उनका कहना था कि एडविना और उनके बीच कुछ ऐसा रिश्ता था जो आकर्षण का कारण था।

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