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मलेशिया और तुर्की को महंगा पड़ा पाकिस्तान का साथ देना

seema
Published on: 25 Oct 2019 12:40 PM IST
मलेशिया और तुर्की को महंगा पड़ा पाकिस्तान का साथ देना
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मलेशिया और तुर्की महंगा पड़ा पाकिस्तान का साथ देना

मनीला। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीटीएफ) में मलेशिया और तुर्की को कश्मीर के खिलाफ पाकिस्तान का साथ देना महंगा पड़ गया है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एदोर्गान द्वारा यूएन में कश्मीर मुद्दा उठाने और एफएटीएफ बैठक में खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया था। वहीं मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने भी यूएन में कश्मीर मुद्दा उठाते हुए भारत की निंदा की थी।

मलेशिया और तुर्की ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म किए जाने के मसले पर भारत के खिलाफ स्टैंड लिया था। इसके बाद भारत सरकार ने मलेशिया और तुर्की से आयात पर पाबंदी का फैसला लिया है। तुर्की को भारतीय नौसेना के लिए वॉरशिप बनाने की डील गंवानी पड़ गई है। भारत सरकार मलेशिया से पाल ऑयल के इंपोर्ट को सीमित करने पर विचार कर रही है। इसके अलावा कई अन्य उत्पादों के इंपोर्ट पर भी पाबंदियां लगाई जा सकती हैं। हालांकि, आयात पर पाबंदियों को देखते हुए मलेशिया नरम पड़ गया है। रिर्पोट के अनुसार भारतीय तेल कारोबारी अब मलेशिया की बजाये इंडोनेशिया से पाम ऑयल आयात करेंगे। ऐसे में मलेशिया बुरी तरह से परेशान है क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा पाम तेल आयात करने वाला देश है और उसने 2019 के पहले छह महीनों में मलेशिया से 900 मिलियन डॉलर का पाम तेल आयात किया है। मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कहा है कि निर्यात पर निर्भर उनके देश की अर्थव्यवस्था को चीन, अमेरिका के बीच बढ़ी कारोबारी जंग के नतीजे में कारोबारी प्रतिबंधों और बढ़ते संरक्षणवाद से नुकसान हो सकता है।

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उन्होंने कहा कि वह निराश हैं क्योंकि मुक्त व्यापार की वकालत करने वाले अब बड़े पैमाने पर कारोबार बाधित करने में जुटे हैं। चीन और अमेरिका की कारोबारी जंग की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, हम भौगोलिक कारणों से दोनों के बीच फंस गए हैं। इस तरह की बातें कही जा रही हैं कि हमारे ऊपर भी प्रतिबंध लग सकता है। उनका इशारा यूरोपीय देशों का मलेशिया के प्रमुख उत्पाद पाम ऑयल के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की ओर था। मलेशिया के सकल घरेलू उत्पाद में सिर्फ पाम ऑयल की हिस्सेदारी करीब 2.8 फीसदी है। पिछले साल कुल निर्यात का करीब 4.5 फीसदी पाम ऑयल था। तेल के लिए मलेशिया में बड़े पैमाने पर ताड़ के पेड़ लगाए जा रहे हैं और इसके लिए जंगलों को साफ किया जा रहा है। यही वजह है कि यूरोपीय संघ और पर्यावरण की चिंता करने वाले इसका विरोध करते हैं। प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद का कहना है, रहने की जगह और रोजगार के लिए जंगलों को साफ करने से रोक कर ये देश गरीब देशों को और गरीब बना रहे हैं। यूरोपीय संघ ने 2030 तक पाम ऑयल को अक्षय ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल से धीरे धीरे हटाने के लिए इस साल एक प्रस्ताव पास किया है।

मलेशिया की चिंता यहीं तक नहीं है। बीते कुछ सालों में भारत उसके पाम ऑयल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। भारत जितना तेल का आयात करता है उसमें करीब दो तिहाई हिस्सा पाम ऑयल का है। पाम ऑयल का आयात करने वाले देशों में दूसरे नंबर पर चीन है जिसने करीब 1 करोड़ 61 लाख टन तेल का आयात किया।

महातिर अपने स्टैंड पर कायम

मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कहा कि वे कश्मीर के मसले पर अपने रुख पर कायम हैं। उन्होंने कहा, हम अपने दिमाग से बोलते हैं और हम अपना रुख नहीं बदलते। हमारा यही कहना है कि हमें यूएन के प्रस्तावों को मानना चाहिये नहीं तो यूएन का मतलब ही क्या है? महातिर ने कहा कि मलेशिया से तेल आयात बंद करने के सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर एसोसियेशन ऑफ इंडिया के आह्वïन के प्रभाव का अध्ययन करेगा। उन्होंने कहा कि ये भारत सरकार का रुख नहीं है सो हमें देखना होगा कि इन लोगों से कैसे बातचीत की जाये। व्यापार दो पक्षों के बीच की बात है और ट्रेड वॉर कतई अच्छी चीज नहीं होती। भारतीय आयातकों ने मलेशिया की बजाए इंडोनेशिया और उक्रेन से खाद्य तेल खरीदने का फैसला किया है।



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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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