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Brazil : अमेजन के जंगलों में रहने वाली जनजातियां हो रहीं लुप्त, बीते दिनों ट्राइब के आखिरी शख्स की हुई मौत

Brazil : ब्राजील के वर्षा वनों में अब भी करीब 240 जनजातियां रहती हैं। इनमें से कई खतरे में हैं। क्योंकि लकड़ी माफिया और किसान इन वनों के जानी दुश्मन बन चुके हैं।

Krishna Chaudhary
Published on: 4 Sept 2022 11:40 AM IST
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Brazil Amazon Rainforest Tribe

Brazil : मानव की जीवन की शुरुआत जंगलों से ही हुई है। हमारे-आपके पूर्वज सदियों पहले वहीं रहा करते थे। फिर जैस-जैसे वक्त बदला, इंसान आधुनिक होते गया, उसने कस्बों और शहरों का निर्माण किया। 21वीं सदी में ऐसे लोगों की संख्या काफी कम रह गई है जो अब जंगलों में जनजाति के रूप में रह रहे हैं। इंसानों की बढ़ती आबादी के कारण इनके ठिकाने संकट में आ चुके हैं, जिसके कारण ये धीरे – धीरे विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके हैं।

एक समय विश्व प्रसिद्ध ब्राजील के अमेजन वर्षा वन में कई जनजातियां पाई जाती थीं लेकिन आज उनमें से अधिकतर या तो विलुप्त हो चुकी हैं या इसके कगार पर पहुंच चुकी है। दुनिया में इस विषय पर एक बार फिर गंभीर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। क्योंकि हाल में अमेजन के घने जंगलों में रहने वाले एक कबीले के आखिरी सदस्य की मौत हो गई थी। उसकी मौत के बाद एक और जनजाति का पृथ्वी से नामो-निशान मिट गया है।

कौन था अमेजन ट्राइब का आखिरी शख्स?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेजन (Amazon) के तनारू इलाके में अधिकारियों को 23 अगस्त को इस शख्स का शव मिला था। इस शख्स के बारे में दुनिया को कुछ भी नहीं पता। न ही उसकी भाषा और न ही उसका नाम। शख्स को मैन ऑफ होल के नाम से जाना जाता था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह 8 हजार हेक्टेयर के संरक्षित वर्षा वन क्षेत्र में बीते 26 सालों से अकेला रह रहा था। इसका शव भूसे की झोपड़ी के बाहर एक झूले में मिला था। अधिकारियों को उसकी झोपड़ी में हिंसा की कोई निशानी नहीं दिखी, इसलिए उसकी मौत को प्राकृतिक माना गया। शख्स की उम्र करीब 60 साल बताई जा रही है। ये शख्स शिकार के साथ – साथ खेती भी करता था। इसके अलावा वह पपीता, केला और मैयोनिक जैसे फलदार पेड़ों की बागवानी भी करता था।

काफी पहले मारे जा चुके थे कबीले के अन्य सदस्य

अमेजन के जंगलों (Amazon Jungles) में लकड़ी माफिया काफी सक्रिय रहते हैं। अवैध खनन, जंगलों की कटाई और कृषि भूमि के विस्तार के कारण जंगल का अस्तित्व भी खतरे में है। इन लोगों के साथ झड़प में जनजातियों का नरसंहार हो चुका है। साल 1996 में नेशनल इंडियन फाउंडेशन की टीम यहां जनजातियों के खिलाफ किए गए नरसंहार की जांच करने पहुंची थी। तभी इस शख्स को देखा गया था। यह दुनिया का सबसे अकेला मेंबर था, क्योंकि इसके कबीले में रहने वाले लोगों को किसानों ने 1980 के दशक में मार दिया था।

किसानों ने ऐसा अपनी जमीन को बढ़ाने के लिए किया था। कबीले के लोगों के मरने के बाद वह खुद इलाके की निगरानी करता था। यदि बाहरी दुनिया का कोई भी शख्स उससे संपर्क करने की कोशिश करता तो वह उसपर तीर-भाले से हमला कर देता था। आज तक इस शख्स की कोई साफ तस्वीर सामने नहीं आई, क्योंकि वह किसी से मिलता ही नहीं था। कोई मिलने जाता तो उस पर हमला कर देता था। साल 1996 में यहां पहुंची नेशनल इंडियन फाउंडेशन की टीम के साथ भी ऐसा ही हुआ था। टीम का एक सदस्य शख्स की तीर से जख्मी हो गया था।

ब्राजील के वर्षा वनों में करीब 240 जनजातियां

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्राजील के वर्षा वनों में अब भी करीब 240 जनजातियां रहती हैं। इनमें से कई खतरे में हैं। क्योंकि लकड़ी माफिया और किसान इन वनों के जानी दुश्मन बन चुके हैं, जिसके कारण जनजातियों का उनसे टकराव बढ़ रहा है।

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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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