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गुस्से में कैदी खा गया मोबाइल, निकालने के लिए पसीने-पसीने हुए डॉक्टर

Sanjay Bhatnagar
Published on: 16 May 2016 8:23 AM GMT
गुस्से में कैदी खा गया मोबाइल, निकालने के लिए पसीने-पसीने हुए डॉक्टर
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डबलिन,आयरलैंड: खबर चौंकाने वाली है। अब तक आपने यही सुना होगा कि कोई बच्चा खिलौने का टुकड़ा चबा गया। या सिक्का निगल गया। लेकिन अगर यही हरकत कोई बड़ा करे तो हैरानी स्वाभाविक है। वह भी 29-30 साल का व्यक्ति। और टुकड़ा भी कोई छोटा मोटा, बल्कि हथेली भर का मोबाइल फोन ।

गुस्से में गटका मोबाइल

-आयरलैंड के डबलिन में 29 वर्षीय एक कैदी जब उल्टियां करते करते परेशान हो गया, तो उसे हॉस्पिटल में ऐडमिट कराया गया।

-आनन फानन में उसका एक्स रे हुआ। डॉक्टर यह देख कर भौंचक्के रह गए कि उसके पेट में आमाशय के ऊपर एक मोबाइल टिका हुआ है।

-पूछताछ में पता चला कि यह कैदी मेंटली डिस्टर्ब था, और किसी बात पर झुंझलाया हुआ था। इसी झुंझलाहट में वह मोबाइल खा गया था।

-जब उसे ऐडमिट कराया गया, तो मोबाइल निगले हुए उसे 6 घंटे बीत चुके थे।

-डॉक्टरों ने उसे बिना भोजन पानी के इंटेसिव केयर में भर्ती कर लिया।

-8 घंटे बेचैनी से इंतजार किया कि मोबाइल भोजन नली के रास्ते प्राकृतिक रूप से नीचे चला जाए। 8 घंटे बाद एक बार फिर उसका डीप स्कैन किया गया।

डबलिन का एडीलेड मीथ हॉस्पिटल डबलिन का एडीलेड मीथ हॉस्पिटल

पहली कोशिश नाकाम

-डॉक्टर यह देख कर चिंतित हुए कि मोबाइल पेट में सरक गया है, लेकिन आंत में नहीं गया है।

-अब नैचुरल रास्तों से इसके निकलने की संभावना कमजोर हो गई थी।

-संक्रमण का खतरा बढ़ रहा था। बैटरी ब्लास्ट हो सकती थी।

-लिहाजा डॉक्टरों ने जल्द से जल्द इसे बाहर निकालने का फैसला किया।

-ऐसे मामलों में इंडोस्कोपी की जाती है। डबलिन के एडीलेड मीथ हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने भी यही तरीका अपनाया।

-एक लंबी, पतली, लचीली ट्यूब मुंह के रास्ते पेशेंट के पेट में डाली गई।

-इस ट्यूब के अगले सिरे पर एक वीडियो कैमरा और लाइट लगाई गई थी। ताकि बाहर उसे ठीक तरह से मॉनीटर किया जा सके और सारी प्रक्रिया बेहतर ढंग से पूरी हो सके।

-लेकिन अफसोस। यह कोशिश नाकाम हो गई।

हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने मोबाइल निगलने के मामले को अजूबा केस माना हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने मोबाइल निगलने के मामले को अजूबा केस माना

और बाहर आ गया मोबाइल

-मजबूरन एडीलेड मीथ हॉस्पिटल के डॉक्टरों की टीम ने सर्जरी का रास्ता अपनाया।

-उसके पेट में एक लंबा चीरा लगाया गया और आखिर 6.8 सेंटीमीटर लंबे, 2.3 सेटीमीटर चौड़े और 1.1 सेंटीमीटर मोटे मोबाइल को बाहर निकाल लिया गया।

-चूंकि, मोबाइल कैदी ने निगला था, इसलिए ऑपरेशन के बाद मोबाइल को फोरेंसिक जांच के लिेए भेज दिया गया।

-डॉक्टरों के लिए सुखद खबर यह थी, कि कुछ महीनों बाद मरीज के चेकअप में पाया गया कि वह तेजी से स्वस्थ हो रहा था।

-डॉक्टरों ने इसे अजूबा केस माना। क्योंकि अक्सर यह हरकत मासूम बच्चे करते हैं, वह भी तीन साल से कम उम्र के। ऐसे बच्चों के मामले में बाहरी वस्तु नैचुरल तरीके से बाहर निकल जाती है। -इसलिए अगर तीस की उम्र में कोई ऐसा कर बैठे, वह भी मोबाइल निगल कर, तो उसे अजूबा ही माना जाएगा।

Sanjay Bhatnagar

Sanjay Bhatnagar

Writer is a bi-lingual journalist with experience of about three decades in print media before switching over to digital media. He is a political commentator and covered many political events in India and abroad.

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