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Mass Shooting in America: अमेरिका में थम नहीं रही गोलीबारी की घटना, 2022 में अब तक 250 से अधिक अमेरिकी गंवा चुके हैं अपनी जान
Mass Shooting in America: साल 2022 में अबतक दो सौ से अधिक गोलीबारी की घटनाएं हो चुकी हैं, जिसमें 250 से अधिक आम अमेरिकी मारे जा चुके हैं।
Mass Shooting in America: दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) विश्व भर में जहां कहीं कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होती है, तो हस्तेक्षप करने में सबसे आगे रहता है। लेकिन वो अपने ही देश में लगातार हो रही गोलीबारी (Gun Violence in America) की घटनाओं के सामने लाचार नजर आ रहा है। अमेरिका का पॉपुलर गन कल्चर (gun culture) अब उसके लिए नासूर बनता जा रहा है। साल 2022 में अबतक दो सौ से अधिक गोलीबारी की घटनाएं (shooting incidents) हो चुकी हैं, जिसमें 250 से अधिक आम अमेरिकी (America) मारे जा चुके हैं।
इन आंकड़ों को देखतक ऐसा लगता है कि हम पाकिस्तान और अफगानिस्तान के उन कबायली इलाकों की बात कर रहे हैं, जहां सब्जी की दुकानों की तरह खतरनाक बंदूकों की दुकानें लगी रहती हैं और गोलीबारी की घटनाएं इतनी आम होती है कि जबतक बड़े पैमाने पर कोई वारदात न हो तबतक घटना इंटरनेशनल प्रेस में नहीं आती हैं। अमेरिकी जैसे शिक्षित और संसाधन संपन्न देश में इस तरह की घटनाएं उसकी छवि को खराब कर रही हैं।
ये वही देश जिसने अपने ऊपर हुए आतंकी हमले के बाद विदेशी सरजमीं पर दो दशक तक लंबा कैंपेन चलाया। इसका मकसद ये दिखाना था कि अमेरिकियों की जान सस्ती नहीं होती है। लेकिन वर्तमान में अमेरिका में जिस तरह से गोलीबारी की घटनाओं में आम लोग मारे जा रहे हैं, उसने अमेरिका के उस मकसद को अब झूठला दिया है। ताजा घटना इंडियाना की है। जहां एक बंदुकधारी हमलावर ने हॉली डे पार्टी के दौरान फायरिंग कर दी, इसमें 10 लोगों को गोली लगी है, जिसमें 3 की मौत हो गई है। इससे पहले सोमवार को शिकागो में फ्रीडम डे परेड के दौरान फायरिंग हुई थी, जिसमें 6 लोग मारे गए थे।
13 जून को भी इंडियाना के गैरी (Indianas Gary City) में एक नाइटक्लब में हुई फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गई थी। तो आइए एक नजर इस साल की कुछ प्रमुख गोलीबारी की घटनाओं पर डालते हैं, जिसने दुनिया के सबसे ताकतवर और रईस मुल्क की लॉ एंड ऑर्डर की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धज्जियां उड़ा दी है।
टेक्सास के स्कूल में फायरिंग की घटना
24 मई 2022 को टेक्सास के एक स्कूल में फायरिंग की घटना हुई थी, जिसमें 19 बच्चों और 2 शिक्षकों की मौत हो गई थी। इस घटना ने अमेरिका के साथ – साथ पूरी दुनिया को झकझोड़ दिया था। इसे किसी आतंकवादी या चरमपंथी संगठन ने नहीं अंजाम दिया था, बल्कि एक सिरफिरे ने किया था। गोलीबारी के दौरान ही हत्यारे को पुलिस ने मार गिराया था। इस घटना से ठीक 10 दिन पहले 14 मई को न्यूयॉर्क के बफैलो में एक ग्रॉसरी स्टोर में एक बंदूकधारी ने 10 लोगों की हत्या कर दी थी।
फैक्ट्री में फायरिंग की घटना
जून में ही अमेरिका के मैरीलैंड में दो लोगों ने एक मशीन फैक्ट्री में घुसकर फायरिंग कर दी थी। इस हमले में तीन मजदूरों की मौत हो गई थी। 4 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
गन कल्चर पर लगाम क्यों नहीं
अमेरिका 230 साल भी अपने यहां पनपे गन कल्चर को समाप्त नहीं कर पाया है। इसकी दो प्रमुख वजह हैं। पहली – कई अमेरिकी राष्ट्रपति से लेकर वहां के राज्यों के गवर्नर तक इस कल्चर को बनाए रखना चाहते हैं। थियोडेर रूजवेल्ट से लेकर फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट, जिमी कार्टर, जॉर्ज बुश सीनियर, जॉर्ज डब्ल्यू बुश और डोनाल्ड ट्रंप तक कई अमेरिकी राष्ट्रपति गन कल्चर की तरफदारी करते रहे हैं।
रिपब्लिकन पार्टी को इस कल्चर का समर्थक माना जाता है। 1994 में अमेरिका में डेमोक्रटिक पार्टी की सरकार के दौरान असॉल्ट वैपन पर बैन लगा दिया गया था, लेकिन 2004 में जॉर्ज डब्ल्यू बुश के जमाने में जो कि रिपब्लिकन थे इस पर से बैन हटा लिया गया। नतीजा ये हुआ की अंधाधुंध गोलीबारी की घटनाएं तिगुनी हो गईं। गैलप की 2020 में आए एक रिपोर्ट के मुताबिक, डेमोक्रटिक पार्टी के 9 प्रतिशत सदस्य गन कंट्रोल कानून बनाने के पक्ष में थे। जबकि रिपब्लिकन पार्टी के केवल 24 प्रतिशत सदस्य ही किसी ऐसे कानून को बनाने पर सहमत थे।
दूसरी सबसे बड़ी वजह है गन लॉबी, यानी गन बनाने वाली कंपनियां। 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गन डीलरों ने उस साल अमेरिकी नागरिकों को 83 हजार करोड़ रूपये की गन बेची थीं। अमेरिका की सबसे ताकतवर गन लॉबी नेशनल राइफल एसोसिएशन संसद सदस्यों को प्रभावित करने के लिए काफी धन खर्च करती है। 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में गन समर्थक लॉबी ने करीब 3.2 करोड़ डॉलर खर्च किए थे, जबकि गन का विरोध करने वाली लॉबी केवल 2.2 करोड़ डॉलर ही खर्च कर पाई थी।
गन कंट्रोल पर अमेरिकी नेताओं में एक राय की कमी वहां की जनता भुगत रही है। एक रिपोर्टे के मुताबिक, बीते 50 सालों में आम नागरिकों के फायरिंग के कारण अमेरिका में 15 लाख लोग मारे गए थे। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बीते दिनों इन्हें आंकड़ों का जिक्र करते हुए संसद सदस्यों से गन कंट्रोल पर कानून बनाने की मार्मिक अपील की थी। उन्होंने कहा था कि बीते दो दशकों के आंकड़े देखें तो ड्यूटी के दौरान शहीद हुए पुलिसकर्मी और सैनिकों से अधिक संख्या ऐसे बंदूकों के हमले में मारे गए स्कूली बच्चों की है।