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Mazar-i-Sharif Massacre: काबुल एयरपोर्ट ब्लॉस्ट से भी भयावह था तालिबान का मजार शरीफ हमला, मरे थे 10 हजार

Mazar-e-Sharif Massacre 1998: आठ अगस्त 1998 को तालिबानियों ने अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ शहर में एक साथ 10 हजार लोगों का कत्ल किया था।

Akhilesh Tiwari
Written By Akhilesh TiwariPublished By Shreya
Published on: 28 Aug 2021 4:51 PM IST
Mazar-i-Sharif Massacre: काबुल एयरपोर्ट ब्लॉस्ट से भी भयावह था तालिबान का मजार शरीफ हमला, मरे थे 10 हजार
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डिजाइन फोटो- न्यूजट्रैक

Mazar-i-Sharif Massacre 1998: शरिया कानून (Sharia Kanun) और तालिबान (Taliban) से डरकर अफगानिस्तान (Afghanistan) से बाहर भाग रहे अफगानियों की काबुल एयरपोर्ट पर बम ब्लॉस्ट (Kabul Airport Blast) में हुई मौत दिल दहलाने वाली है लेकिन तालिबान व आतंकी संगठनों के पुराने कारनामों के मुकाबले यह बेहद मामूली है। मजार-ए-शरीफ शहर में तालिबानियों ने 1998 में एक साथ 10 हजार लोगों का कत्ल किया था।

अफगानिस्तान के हजारा मुस्लिम समुदाय (Hazara Muslims) के लोग आज भी इसे भूले नहीं हैं। यही वजह है कि काबुल एयरपोर्ट (Kabul Airport) पर बृहस्पतिवार को हुए आतंकी हमले (Terrorists Attacks) को धता बताकर हजारों अफगानी अगले दिन ही वापस एयरपोर्ट पर पहुंच गए हैं। लोगों को मालूम है कि अफगानिस्तान में रहने पर तालिबान और उसका शरिया कानून भी उन्हें जिंदा नहीं रहने देगा।

दुनिया के अलग-अलग देशों में निर्वासित जीवन जीने वाले हजारा मुस्लिमों ने बीते आठ अगस्त को मजार-ए-शरीफ हमले (Mazar-i-Sharif Attack) की बरसी मनाई है। शोक के इस मौके पर विश्व हजारा परिषद (Vishwa Hazara Parishad) ने याद किया है कि किस तरह 1998 में तालिबान ने मजार शरीफ शहर में प्रवेश करने के बाद कत्ल-ओ-आम किया है।

बताया जाता है कि इस कत्ल-ए-आम के दौरान तालिबानियों ने शहर में जो भी दिखाई दिया उसे गोलियों से भून दिया। लोगों को घर से बाहर निकालकर भी मारा गया। बल्ख प्रांत (Balkh Province) के तत्कालीन तालिबानी राज्यपाल मुल्ला मनन नियाजी ने रावदाह मस्जिद में एलान भी किया कि ताजिकों को ताजिकिस्तान, उज्बेक को उज्बेकिस्तान और हजारा मुस्लिमों की जगह कब्रिस्तान में है।

हजारा मुस्लिम प्रदर्शन करते हुए (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

हजारा मुस्लिम कौन हैं (Hazara Muslim Kon Hai)

हजारा मुस्लिम समुदाय (Hazara Muslims) दरअसल इस्लाम के शिया मत को मानने वाले लोग हैं। इस समुदाय के लोग खुद को चंगेज खां (Genghis Khan) का वंशज भी मानते हैं। अपने गौरवशाली विजेता इतिहास के साथ खुद को जोड़कर देखते हैं और अपनी पहचान को मिटाकर तालिबानियों के अनुसार सुन्नी मुस्लिम (Sunni Muslim) बनने को तैयार नहीं हैं। 16 वीं शताब्दी की शुरुआत में फारस के सफवी राजवंश का प्रश्रय इस समुदाय को मिला।

माना जाता है कि राजवंश ने हजार सैनिकों वाले समूहों का नेतृत्व जिन सिपहसालारों व लड़ाकों को सौंपा वही हजारा कहलाए। चंगेज खां की सेना में भी यही परंपरा लागू रही। वहां भी हजार सैनिकों का दस्ता होता था जिसके इंचार्ज को हजारा कहा जाता था। अफगानिस्तान में हजारा मुस्लिम दरी फारसी की हजारगी उपभाषा का बोल-चाल में व्यवहार करते हैं।

मुस्लिम महिलाएं (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

पाकिस्तान- अफगानिस्तान में 55 से 60 लाख हैं हजारा मुस्लिम

हजारा मुस्लिमों की सबसे बड़ी आबादी अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ शहर (Mazar-i-Sharif) में है। अफगानिस्तान के मध्य-पहाड़ी इलाके को स्थानीय लोग हजारिस्तान (Hazaristan) भी बोलते हैं। बामियान, देयकुंदी, गजनी, परवान, गोर, मैदान, उरुजगान प्रांतों में हजारा मुस्लिमों को बहुसंख्यक माना जा सकता है। अफगानिस्तान के बदख्शां प्रांत में भी हजारा मुस्लिमों की आबादी बहुसंख्यक तो नहीं है लेकिन यहां भी यह समुदाय अल्पसंख्यक नहीं है। हजारा मुस्लिमों की नस्ल देखने में भी अफगानिस्तान के अन्य लोगों से अलग है। माना जाता है कि अफगानिस्तान की दस फीसदी आबादी यानी 40-44 लाख लोग हजारा मुस्लिम हैं। पाकिस्तान (Pakistan) में भी इनकी तादाद 17 लाख मानी जा रही है।

तालिबानी लड़ाके (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

तालिबानी क्यों करता है नफरत

शिया मुस्लिम होने की वजह से ही तालिबान इन्हें नापसंद करते हैं। इन्हें काफिर करार देते हैं। तालिबान के पिछले शासन में 60 हजार से एक लाख से ज्यादा हजारा मुस्लिमों को तालिबानियों ने मारा है। बामियान प्रांत में तालिबानियों ने महात्मा बुद्ध की प्रतिमा को तोड़ा था 1995 में हजारा नेता अब्दुल अली मजारी की हत्या भी कर डाली थी। अली मजारी की मजार-ए-शरीफ में लगी प्रतिमा भी पिछले दिनों तोड़ दी गई है। जिसके विरोध में हजारा मुस्लिमों ने प्रदर्शन किया।

इसके बाद तालिबान ने कहा कि उनके लोगों ने मजारी की प्रतिमा नहीं तोड़ी है। अफगानिस्तान पर तालिबान के हालिया कब्जे के बाद मानवाधिकार संगठनों ने जो रिपोर्ट दी है उसके अनुसार गजनी के मालिस्तान जिले में तालिबानियों ने हजारा मुस्लिमों के घर-घर जाकर उनके पहचान पत्र की जांच की और जो भी अफगानी सेना में शामिल रहे उनकी घर से ले जाकर हत्या कर दी है।

(कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

हजारा मुस्लिम की लड़कियों को उठा रहे हैं तालिबानी

अफगानिस्तान में तालिबानियों की वापसी के साथ ही हजारा मुस्लिम समाज की लड़कियों की मुश्किल बढ़ गई है। इस बार तालिबानी हजारा मुस्लिमों के साथ वैसा ही व्यवहार कर रहे हैं जैसा आईएसआईएस के लड़ाकों ने यजीदी समुदाय (Yazidis Community) के साथ किया है। आईएसआईएस (ISIS) ने इराक में यजीदी समुदाय के पुरुषों को मार डाला और लड़कियों व महिलाओं को सेक्स स्लेव में तब्दील कर दिया। उसी तरह इस बार तालिबानी हजारा मुस्लिमों को मारकर उनके परिवार की लड़कियों व महिलाओं पर कब्जा कर रहे हैं।

हजारा काउंसिल के नेता अकरम गिजाबी ने अपने मीडिया बयानों में इसकी तस्दीक की है और कहा कि तालिबानी फितरत बदलने वाली नहीं हे। वह देश को सदियों साल पीछे ले जाना चाहते हैं। महिलाओं का सम्मान और इज्जत करना वह नहीं जानते। महिलाओं की आजादी के सख्त खिलाफ हैं। वह लड़कियों को सेक्स स्लेव बनाकर रखने और तोहफा देने लायक समझते हैं। तालिबानियों का महिलाओं के गैंगरेप करने का इतिहास है।

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