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लापता मलेशियाई विमान MH370 के रहस्य से 8 साल बाद भी नहीं उठा पर्दा, हवा में तैर रहे हैं कई Conspiracy Theories
MH370 Plane Crash: लापता मलेशियाई विमान MH370 के लापता होने का रहस्य अब तक कायम है। 8 साल बाद भी इससे पर्दा नहीं उठा है।
MH370 Plane Crash: आठ साल पहले यानी 8 मार्च 2014 को मलेशियन एयरलाइंस का विमान MH370 राजधानी क्वालालंपुर (Kuala Lumpur) से चीन की राजधानी बीजिंग (Beijing) के लिए उड़ान भरी थी। विमान में 227 यात्री और 12 क्रू मेंबर्स को मिलाकर कुल 239 लोग सवार थे। लेकिन विमान अपने गंतव्य पर पहुंचने से पहले ही आसमान में गायब हो गया। कुआलालंपुर से बीजिंग तक की दूरी तरीब साढ़े छह घंटे में पूरी की जानी थी, लेकिन उड़ाने भरने के घंटे भर के अंदर ही विमान का संपर्क एयर ट्रैफिक कंट्रोल (Air Traffic Control) से टूट गया था।
सबसे चौंकाने वाली बात ये थी कि एटीसी से संपर्क टूटने के बाद भी विमान कई घंटे तक हवा में उड़ता रहा था। इस लापता विमान को खोजने के लिए दुनिया का अब तक का सबसे लंबा और महंगा खोजी अभियान चलाया गया था। इसमें 12 देशों के 39 विमान और 42 समुद्री जहाज शामिल थे। 27 हजार किलोमीटर की खाक छानने के बाद भी इन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ।
इसके बाद जून 2014 में एक अमेरिकी सीबेड एक्सप्लोरेशन फर्म ओशियन इनफिनिटी लापता विमान को खोजने उतरी। कंपनी ने मलेशिया सरकार से अनुबंध किया था कि वह लापता विमान के खोज में सफल होने के बाद ही फीस लेगी। कंपनी ने इसके बाद काफी बड़ा ऑपरेशन चलाया, उसके बाद सबसे अत्याधुनिक यंत्र थे। लेकिन वह भी नहीं ढ़ूंढ पाई। 2 ब्लू व्हेल मछलियों के बराबर के आकार वाले इस फ्लेन का यूं गायब होना किसी के गले नहीं उतर रहा था। इसलिए इस हादसे को लेकर कई Conspiracy Theories जन्म लेने लगीं।
पायलट के अवसाद के कारण हुआ हादसा
सबसे पहली Conspiracy Theory ये थी कि इस विमान को उड़ा रहा पायलट अवसाद से ग्रस्त था, जिसके गलती से प्लेन ऐसा क्रैश हुआ कि हजारों छोटे – छोटे टूकड़ों में बिखर गया। दरअसल बाद के दिनों में दक्षिण चीन सागर के आसपास के द्वीपों में प्लेन के कई छोटे-छोटे मिले थे। मलेशिया पुलिस ने पायलट कैप्टन जारी अहमद शाह की पृष्ठभूमि की जांच करने के बाद इन अफवाहों का खंडन किया।
प्लेन को मार गिराया गया था
एक आस्ट्रेलियाई नागरिक पीटर मैकमोहन ने हादसे के कुछ दिन बड़ा दावा करते हुए कहा था कि MH370 हमले का शिकार हुआ है। उसका कहना था कि उसने प्लेन का मलबा गूगल अर्थ पर खोज निकाला है। प्लेन के मलबे में गोलियों के छेद दिखे। उसने अपने ही सरकार पर जानबूझकर इस तथ्य को छिपाने का आरोप लगाया। दरअसल आस्ट्रेलिया इस प्लेन को खोजने में अग्रणी भूमिका निभा रहा था। हालांकि, पीटर मैकमोहन के दावे को मलेशिया सरकार ने फर्जी करार दिया था।
पुतिन जानते थे इसके बारे में?
एक इंडिपेंडेंट जांचकर्ता ने दावा किया था कि रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) इस हादसे के बारे में जानते थे। रूसी विशेषज्ञों ने गुप्त सैटेलाइट से विमान को हिंद महासागर में गिरते हुए देखा था और इसकी जानकारी भी पुतिन को दी थी। लेकिन रूसी राष्ट्रपति इस पर खामोश रहे क्योंकि अगर वो इस बारे में दुनिया को बताते तो उन्हें अपने देश के गुप्त सैटेलाइट की जानकारी भी देनी पड़ती।
आतंकी हमले का शिकार हुआ प्लेन ?
8 मार्च को क्वालालंपुर से बीजिंग के लिए उड़ान भरने वाली इस प्लेन में कुल 154 चीनी, 38 मलेशियाई चार अमेरिकी और पांच भारतीय समेत कुल 14 मुल्कों के 239 मुसाफिर और क्रू मेंमबर सवार थे। इस प्लेन में दो शख्स ऐसे भी सवार था, जिन्होंने फेक पासपोर्ट ले रखा था। ऐसे में MH370 के आतंकी हमले के शिकार होने की अफवाह जोर पकड़ने लगी। लेकिन मलेशियाई जांच एजेंसी को उन दोनों शख्सों का कोई आंतकी बैकग्राउंड नहीं मिला। जांच में पता चला कि दोनों ने ये पासपोर्ट थाइलैंड से चुराए थे और उनकी योजना बीजिंग के रास्ते यूरोप जाने की थी।
ऑक्सीजन की कमी के कारण हुआ हादसा
मलेशियाई विमान MH370 ऑक्सीजन की कमी के कारण हादसे का शिकार हुआ था, इस तर्क को अब तक सबसे वजनदार माना गया। ऐसा दावा करने वाले जांचकर्ताओं का मानना है कि प्लेन के अंदर किसी कारण से ऑक्सीजन की कमी हो गई होगी, जिसके कारण पूरा प्लेन बेहोश हो गया। लंबे समय तक प्लेन ऑटोपायलट मोड में चलता रहा और जब विमान में ईंधन समाप्त हो गया तो प्लेन समुद्र में जाकर क्रैश कर गई।
ब्रिटिश इंजीनियर ने किया बड़ा दावा
सालों पहले हुए इस हादसे को लोग रहस्मयी मानकर इसे भूल चुके थे। लेकिन एक ब्रिटिश एयरोनॉटिकल इंजीनियर ने बीते साल MH370 का मलबा खोज निकालने का दावा किया। रिचर्ड गोडफ्रे ने एक साल से अधिक समय तक MH370 हादसे का अध्ययन कर कहा कि उन्हें लगता है कि ये बोइंग 777 विमान वेस्ट आस्ट्रेलिया में पर्थ से क़रीब दो हज़ार किलोमीटर दूर समंदर में गिरा होगा। हालांकि, मलेशिया सरकार ने उनके इस दावे में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई है। लेकिन एविएशन सेक्टर के जानकारों का कहना है कि इस विमान के मलबे का मिलना वैश्विक विमानन सेवाओं की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को होने से रोका जा सके।