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फ्रांस में राजनीतिक संकट: अविश्वास प्रस्ताव के बीच सरकार गिरी, अब आगे क्या होगा?

France Government: फ़्रांस की संसद में अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद वहां की मिशेल बार्नियर सरकार गिर चुकी है।

Neel Mani Lal
Published on: 5 Dec 2024 11:43 AM IST
फ्रांस में राजनीतिक संकट: अविश्वास प्रस्ताव के बीच सरकार गिरी, अब आगे क्या होगा?
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France Government: फ्रांस के प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर की सरकार अविश्वास प्रस्ताव में पराजित हो गई है और उन्हें अपने कार्यकाल के तीन महीने बाद ही इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा है। 1962 में जॉर्जेस पोम्पिडो की सरकार हार गई थी। उस समय चार्ल्स डी गॉल राष्ट्रपति थे। बर्नियर का उम्मीद से पहले बाहर होना इस साल हुए संसदीय चुनावों के बाद हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप संसद में कोई भी पार्टी बहुमत में नहीं थी और सरकार के अस्तित्व की कुंजी दक्षिणपंथी लोगों के पास थी।

अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाया गया?

नेशनल असेंबली में कट्टर वामपंथियों द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव अगले साल के मितव्ययिता बजट पर गतिरोध के बीच आया जब बार्नियर ने बिना वोटिंग के ही सामाजिक सुरक्षा वित्तपोषण विधेयक को पारित कर दिया। इसी के बाद अविश्वास प्रस्ताव लाया गया।

यूरोप पर पड़ेगा असर

फ्रांस में राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल न सिर्फ फ्रांसीसी लोगों के लिए बल्कि पूरे यूरोप के लिए एक गहरी चिंता का विषय है, क्योंकि जर्मनी और फ्रांस को वैचारिक और राजनीतिक शक्ति के मामले में यूरोपीय संघ का "मोटर" माना जाता है। फ्रांस यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और यहां महीनों से अनिश्चितता चल रही है। कारोबारी नेताओं का कहना है कि अब डेवेलपमेंट को झटका लगना तय है। पहले से ही यूनियनों ने छंटनी बढ़ने की चेतावनी दी है। इसी बीच शिक्षक, अस्पताल कर्मचारी, हवाईअड्डे के कर्मचारी और गैस तथा बिजली क्षेत्र के मजदूरों सहित हजारों सरकारी कर्मी पूरे देश में सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं।


दरअसल, फ्रांस की अर्थव्यवस्था पहले से ही मुश्किल दौर से गुजर रही थी। बिजली की उच्च लागत और ब्याज दरें, घरेलू उद्योग में मंदी, उपभोक्ता विश्वास में कमी और व्यापार निवेश में मंदी ने पिछले दो वर्षों में विकास को काफी हद तक स्थिर रखा है। मैक्रोन द्वारा पिछली गर्मियों में संसद को भंग करने और अचानक चुनाव कराने के बाद से राजनीतिक अस्थिरता के कारण विधायिका में और अधिक विभाजन हुआ, जिससे व्यवसायों ने निवेश और भर्ती को और अधिक रोक दिया।

अब क्या होगा?

- अब फ्रांस के राष्ट्रपति एक नए प्रधानमंत्री को नामित करेंगे। लेकिन तब तक प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर भी कार्यवाहक प्रशासक के रूप में सत्ता में बने रहेंगे।

- कार्यवाहक सरकार किसी भी नए कानून पर मतदान नहीं कर पाएगी और उसे मौजूदा मामलों में तेजी लानी होगी।

- नए प्रधानमंत्री का चयन करना जटिल होगा क्योंकि हाल ही में हुए नेशनल असेंबली चुनावों के बाद संसद का निचला सदन पहले से कहीं अधिक विखंडित हो गया है और इसमें स्पष्ट बहुमत का अभाव है।

अगला प्रधानमंत्री कौन?

पेरिस के राजनीतिक गलियारों में कुछ नाम चर्चा में हैं, जिनमें सशस्त्र बलों के वर्तमान मंत्री सेबेस्टियन लेकॉर्नू या मध्यमार्गी डेमोक्रेटिक मूवमेंट पार्टी के नेता फ्रांकोइस बायरू शामिल हैं।



Sonali kesarwani

Sonali kesarwani

Content Writer

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