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Microplastics Discovered In Antarctic Snow: आसमान से प्लास्टिक मिली बर्फ गिरी

Microplastics Discovered In Antarctic Snow: अंटार्कटिका में पहली बार ताजा गिरी बर्फ में माइक्रोप्लास्टिक कण मिले हैं। Researchers बताते हैं कि माइक्रोप्लास्टिक प्लास्टिक पहले भी अंटार्कटिका समुद्री बर्फ और पानी में पाई गई है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 8 Jun 2022 2:13 PM GMT
plastic particles falling out of sky with snow in antarctica
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Plastic Particles

Microplastics Discovered In Antarctic Snow : प्लास्टिक अब पर्यावरण (Plastic In Environment) में इतना घुल गई है, कि आसमान से गिरी बर्फ तक में ये शामिल पाई गई है। हुआ ये है कि अंटार्कटिका (Antarctica) में पहली बार ताजा गिरी बर्फ में माइक्रोप्लास्टिक कण (Microplastic Particles) पाए गए हैं। शोधकर्ताओं (Researchers) का कहना है कि माइक्रोप्लास्टिक प्लास्टिक (चावल के दाने से भी छोटे) पहले भी अंटार्कटिका समुद्री बर्फ और सतह के पानी में पाई गई है। लेकिन, यह पहली बार है जब ताजा बर्फबारी (Snowfall) में ये मिली हुई है।

यूनिवर्सिटी ऑफ कैंटरबरी (University of Canterbury) के पीएचडी छात्र एलेक्स एवेस (PhD student Alex Aves) द्वारा संचालित और डॉ लौरा रेवेल द्वारा पर्यवेक्षित शोध को वैज्ञानिक पत्रिका 'द क्रायोस्फीयर' (The Cryosphere) में प्रकाशित किया गया है। एवेस ने साल 2019 के अंत में अंटार्कटिका के रॉस आइस शेल्फ से बर्फ के नमूने एकत्र किए। ताकि, यह पता किया जा सके कि माइक्रोप्लास्टिक्स वातावरण से बर्फ में घुली है या नहीं। अंटार्कटिका में इस पर बहुत कम अध्ययन हुए थे।

'यह अविश्वसनीय रूप से दुखद है'

डॉ. रेवेल ने एवेस को स्कॉट बेस और मैकमुर्डो स्टेशन रोडवेज से नमूने एकत्र करने का निर्देश दिया। जहां पहले माइक्रोप्लास्टिक्स का पता चला था। बाद में पता चला कि रॉस आइस शेल्फ के 19 नमूनों में से हर एक में प्लास्टिक के कण पाए गए। शोधकर्ताओं ने कहा कि, 'यह अविश्वसनीय रूप से दुखद है।'

माइक्रोप्लास्टिक दुनिया भर में फैल रहा

माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) के शिखर से लेकर महासागरों की गहराई तक प्लास्टिक प्रदूषण (plastic pollution) पाया गया है। लोग अनजाने में माइक्रोप्लास्टिक खाने और सांस लेने के लिए जाने जाते हैं। एक अन्य हालिया अध्ययन में पाया गया कि ये कण मानव कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। पिछले साल एक अध्ययन में पाया गया कि हवाई माइक्रोप्लास्टिक दुनिया भर में फैल रहा है।

13 अलग-अलग तरह के प्लास्टिक

एवेस को प्रति लीटर पिघली हुई बर्फ में औसतन 29 माइक्रोप्लास्टिक कण मिले, जो कि आसपास के रॉस सागर और अंटार्कटिक समुद्री बर्फ में पहले बताई गई समुद्री सांद्रता से अधिक है। रॉस द्वीप, स्कॉट बेस और मैकमुर्डो स्टेशन पर वैज्ञानिक ठिकानों के ठीक बगल से लिए गए नमूनों में दूरस्थ क्षेत्रों की तुलना में लगभग तीन गुना कण मिले। ताजी गिरी बर्फ में 13 अलग-अलग प्रकार के प्लास्टिक पाए गए, इनमें सबसे आम पीईटी है, ये प्लास्टिक आमतौर पर शीतल पेय की बोतल और कपड़े बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।

हजारों किलोमीटर की यात्रा की होगी

डॉ रेवेल ने कहा कि, वायुमंडलीय मॉडलिंग ने सुझाव दिया है कि प्लास्टिक कणों ने हवा के माध्यम से हजारों किलोमीटर की यात्रा की होगी। हालांकि, समान रूप से ये भी संभावना है कि अंटार्कटिका में मनुष्यों की उपस्थिति ने एक माइक्रोप्लास्टिक फुटप्रिंट स्थापित किया है। उन्होंने बताया कि उस क्षेत्र में हमें कुछ मार्कर झंडे मिले जो बेस के चारों ओर रास्ता खोजने के लिए उपयोग के लिए रखे गए हैं। इन झंडों के रंग पर्यावरण में पाए जाने वाले सबसे सामान्य रंगीन माइक्रोप्लास्टिक्स से मेल खाते हैं।

डॉ रेवेल के पूर्व शोध से पता चला है कि वातावरण में माइक्रोप्लास्टिक पृथ्वी द्वारा उत्सर्जित विकिरण को फंसा सकता है और जलवायु परिवर्तन में योगदान कर सकता है। उन्होंने कहा है कि बर्फीली सतहों में गहरे रंग के माइक्रोप्लास्टिक सूरज की रोशनी को अवशोषित कर सकते हैं और स्थानीय रूप से गर्म हो सकते हैं। माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति से बर्फ पिघलने का सिलसिला तेज हो सकता है जिसके दूरगामी असर हो सकते हैं। प्लास्टिक जानवरों और पौधों के जीवन के लिए भी जहरीला हो सकता है।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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