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प्रतिबंध : फ्रांस के प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूलों में मोबाइल पर बैन

raghvendra
Published on: 15 Dec 2017 2:24 PM IST
प्रतिबंध : फ्रांस के प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूलों में मोबाइल पर बैन
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नई दिल्ली : फ्रांस के प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूलों में सितंबर 2018 से मोबाइल फोन पर पूर्ण प्रतिबंध लागू हो जायेगा। वैसे तो फ्रांस के स्कूलों में मोबाइल पहले से प्रतिबंधित है लेकिन अगले साल नये सत्र से छात्र स्कूल के दौरान किसी भी वक्त मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे।

नए आदेश पर टीचर और पेरेंट्स में आम राय नहीं है। कुछ का कहना है कि बच्चों को खाली समय में कुछ भी करने की इजाजत होनी चाहिए। जान लीजिये कि फ्रांस में १२ से १७ वर्ष की उम्र के बच्चों में ९३ फीसदी के पास मोबाइल फोन है।

फ्रांस के शिक्षा मंत्री ज्यां मिशेल ब्लांकर का कहना है कि आज कल बच्चे लंच या ब्रेक के दौरान खेलते नहीं हैं बल्कि सब अपने-अपने स्मार्ट फोन के सामने जमे रहते हैं।

शैक्षणिक नजरिये से ये एक समस्या है। कक्षा में टेलीफोन के इस्तेमाल की इजाजत नहीं है। बच्चों में ध्यान केंद्रित की जो समस्या इन स्मार्टफोन के कारण आ रही है उसका हमें सभाधान तो करना होगा। हम स्कूलों में मोबाइल फोन बैन करने जा रहे हैं।

पेरिस के एक हेडमास्टर के अनुसार स्कूलों में सजा के ४० फीसदी मामले मोबाइल संबंधी होते हैं। इनका कहना है कि बगैर बच्चों के बैग की तलाशी लिए बगैर यह बैन लागू कैसे किया जायेगा यह देखने वाली बात है। वैसे, शिक्षा मंत्री ब्लांकर ने पहले सुझाव दिया था कि स्कूल छात्रों को लॉकर उपलब्ध करायें जिनमें स्कूल के दौरान वे मोबाइल फोन रख सकें। ब्लांकर का कहना है कि पढ़ाई के लिये या किसी इमरजेंसी में मोबाइल फोन की जरूरत पड़ सकती है सो मोबाइल फोन अलग कहीं बंद करके रखा जाना चाहिए।

इसके पहले ब्लांकर यह कह चुके हैं कि जब फ्रांसीसी राजनीतिज्ञ मंत्रिमंडल बैठकों के दौरान अपने मोबाइल फोन अलग रख सकते हैं तो ऐसा करना किसी भी इनसान के लिये संभव है।

एक स्कूल के टीचर ने बताया कि स्कूल के दौरान छात्रों के मोबाइल अलग रखवा देने का काम तो पहले से ही कई जगह चल रहा है। ‘मेरी कक्षा के दरवाजे पर एक डिब्बा रखा रहता है जिसमें छात्र अपने मोबाइल रखने के बाद ही कक्षा के भीतर प्रवेश करते हैं। इस काम में कभी कोई समस्या नहीं हुई है।

एक अन्य स्कूल में बच्चे स्कूल के प्रवेश द्वार पर ही अपने नाम लिखे बैग में मोबाइल फोन रख देते हैं। छुट्टी होने पर वापस निकलते वक्त बच्चे अपने मोबाइल निकाल कर ले जाते हैं। वैसे, फ्रांस के पूर्व शिक्षा मंत्री ने अपने कार्यकाल में २०११ में स्कूलों में मोबाइल पर पूर्ण प्रतिबंध का विरोध किया था।

अन्य देशों का हाल

ब्रिटेन में २००१ तक तो किसी स्कूल में मोबाइल बैन नहीं था लेकिन २००७ तक ५० फीसदी और २०१२ तक ९८ फीसदी स्कूलों में मोबाइल पर पाबंदी लग चुकी थी। एक अध्ययन के अनुसार मोबाइल फोन इस्तेमाल पर पाबंदी के बाद विद्यार्थियों की पढ़ाई-लिखाई का स्तर सुधरा है।

अमेरिका में तो कई स्कूलों में मोबाइल फोन जैमर लगाए गए थे लेकिन २०१२ में जैमर पर रोक लगा दी गई क्योंकि जैमर से इमरजेंसी फोन कॉल भी प्रभारित होती है। अमेरिका में अब ज्यादा से ज्यादा स्कूल मोबाइल फोन के इस्तेमाल को बढ़ावा देते हैं क्योंकि इनका तर्क है कि पढ़ाई में इससे मदद मिलती है।

रूस में स्कूलों में वाई-फाई पर रोक है। नाईजीरिया में २०१२ से, उगांडा में २०१३ से और मलेशिया में २०१४ और केन्या में इस साल जुलाई से स्कूलों में मोबाइल प्रतिबंधित है। स्पेन के भी कई प्रांतों में स्कूल में मोबाइल पर रोक है। इसके अलावा कई देशों में अलग अलग तरीके से स्कूल में मोबाइल पर रोक लगी है।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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