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मोदी के हमले से घबराया पाक, बलूच नेताओं को बातचीत का न्योता
इस्लामाबादः कश्मीर में उत्पीड़न का इल्जाम आए दिन भारत पर लगाने वाला पाकिस्तान बलूचिस्तान और अधिकृत कश्मीर (पीओके) में अत्याचार के मसले पर पीएम मोदी के निशाने से घबरा गया है। पाकिस्तान ने निर्वासन में रह रहे बलूच नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया है। पाकिस्तान का ये भी कहना है कि सभी मुद्दों का हल बातचीत से ही निकल सकता है।
बलूच नेताओं को किसने दिया न्योता?
बलूचिस्तान प्रांत के सीएम नवाब सनाउल्लाह जेहरी और पाकिस्तानी सेना की दक्षिणी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आमिर रियाज ने कहा कि वे बलूच नेताओं की वतन वापसी का स्वागत करेंगे। अखबार 'डॉन' ने ये खबर देते हुए बताया कि दोनों ने जियारत में पाकिस्तानी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हुए समारोह में ये बात कही। बता दें कि पाकिस्तान ने रविवार को अपना 70वां स्वतंत्रता दिवस मनाया था।
जेहरी ने क्या कहा?
बलूचिस्तान के सीएम ने कहा कि निर्वासित बलूची नेता चाहें तो राष्ट्रीय राजनीति से जुड़ें या राष्ट्रवाद के आधार पर राजनीति करें। अगर बलूचिस्तान के लोग आपको बहुमत दे देंगे, तो हम उसका सम्मान करेंगे। सनाउल्लाह जेहरी ने ये भी साफ कर दिया कि अगर बलूच नेता बंदूक उठाए रहेंगे तो सरकार उन्हें साथ कैसे बैठाएगी। जेहरी ने कहा कि जबरदस्ती अपनी बात मनवाने की किसी की कोशिश को हम मंजूर नहीं कर सके। बलूचिस्तान के पिछले 500 साल से हम संरक्षक रहे हैं और अपनी मर्जी से पाकिस्तान में शामिल हुए हैं।
मोदी ने कैसे बोला था हमला?
मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में बलूचिस्तान और पीओके में मानवाधिकार हनन का मुद्दा उठाया था। मोदी ने कहा था कि दुनिया देख रही है कि बलूचिस्तान, गिलगिट, बाल्टिस्तान और पीओके के लोगों ने मुझे धन्यवाद दिया है। मैं उनका आभारी हूं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के इन लोगों की शुभकामना मुझे उल्लास से भर देती है। उन्होंने मुझे नहीं, भारत की पूरी जनता को धन्यवाद दिया है।