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Monkeypox Health Emergency: अलर्ट रहें सभी, मंकीपॉक्स को डब्ल्यूएचओ ने ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया

Monkeypox Health Emergency: मंकीपॉक्स दशकों से मध्य और पश्चिम अफ्रीका (West Africa) के कुछ हिस्सों में पाया गया है लेकिन यह इस महाद्वीप से परे व्यापक रूप से कभी नहीं फैला था।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 23 July 2022 9:46 PM IST (Updated on: 24 July 2022 12:41 AM IST)
Monkeypox declared by WHO as a global health emergency
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मंकीपॉक्स को डब्ल्यूएचओ ने ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया: Photo- Social Media

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Monkeypox Health Emergency: दुनियाभर में फैले मंकीपॉक्स (Monkeypox) बीमारी को अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। भारत में अब तक मंकीपॉक्स के तीन पुष्ट केस आये हैं ये सभी केरल में हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेबियस ने कहा है कि 70 से अधिक देशों में फैलते हुए मंकीपॉक्स का प्रकोप एक "असाधारण" स्थिति है जो अब वैश्विक आपातकाल बन गई है।

ग्लोबल इमरजेंसी डब्ल्यूएचओ का उच्चतम स्तर का अलर्ट है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई बीमारी विशेष रूप से संक्रामक या घातक है। डब्ल्यूएचओ के आपात स्थिति के प्रमुख डॉ. माइकल रयान ने कहा है कि संगठन के महानिदेशक ने मंकीपॉक्स को उस श्रेणी में रखने का निर्णय लिया है ताकि गोबल समुदाय वर्तमान प्रकोप को गंभीरता से ले सके।

मध्य और पश्चिम अफ्रीका के कुछ हिस्सों में मंकीपॉक्स पाया जाता है

मंकीपॉक्स दशकों से मध्य और पश्चिम अफ्रीका (West Africa) के कुछ हिस्सों में पाया गया है लेकिन यह इस महाद्वीप से परे व्यापक रूप से कभी नहीं फैला था। इस साल मई में पता चला कि मंकीपॉक्स यूरोप, उत्तरी अमेरिका और अन्य जगहों पर बड़े प्रकोपों के रूप में फैला हुआ है।

ग्लोबल इमरजेंसी घोषित करने का मतलब है कि मंकीपॉक्स का प्रकोप एक "असाधारण घटना" है जो अधिक देशों में फैल सकती है और इसके लिए समन्वित वैश्विक प्रतिक्रिया की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ इसके पहले कोरोना महामारी, 2014 में पश्चिम अफ्रीकी इबोला प्रकोप, 2016 में लैटिन अमेरिका में जीका वायरस और पोलियो उन्मूलन के लिए आपात स्थिति की घोषणा कर चुका है। आपातकालीन घोषणा ज्यादातर वैश्विक संसाधनों और प्रकोप पर ध्यान आकर्षित करने के लिए एक दलील के रूप में कार्य करती है। हालांकि पिछली घोषणाओं का जो असर रहा है उससे लगता है कि डब्ल्यूएचओ की बात को बहुत से देश गंभीरता से नहीं लेते हैं और ये संगठन देशों एजेंसी देशों को कार्रवाई करने के लिए मजबूर करने में काफी हद तक शक्तिहीन है।

बहरहाल, यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, मई से अब तक 74 देशों में मंकीपॉक्स के 16,000 से अधिक मामले सामने आए हैं। आज तक सिर्फ अफ्रीका में मंकीपॉक्स से मौतों की सूचना मिली है। इसकी वजह जहां वायरस का एक अधिक खतरनाक वेरियंट का फैलाव है जो मुख्यतः नाइजीरिया और कांगो में केंद्रित है।

डब्ल्यूएचओ के शीर्ष मंकीपॉक्स विशेषज्ञ, डॉ. रोसमंड लेविस ने कहा है कि अफ्रीका से परे मंकीपॉक्स के 99 फीसदी मामले पुरुषों में थे और उनमें 98 फीसदी ऐसे पुरुष शामिल थे जो पुरुषों के साथ यौन संबंध रखते हैं। विशेषज्ञों को संदेह है कि यूरोप और उत्तरी अमेरिका में मंकीपॉक्स का प्रकोप बेल्जियम और स्पेन में दो लहरों में सेक्स के माध्यम से फैला था।

अफ्रीका में वैक्सीन पहुंची ही नहीं

मंकीपॉक्स से बावहाव के लिए पहले से ही वैक्सीन है लेकिन ये बहुत सीमित देशों में उपलब्ध है। ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और अमेरिका सहित कई देशों ने लाखों खुराक खरीदने का आदेश दिया है, लेकिन अफ्रीका तक कोई वैक्सीन नहीं पहुंची है जहां इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।

मंकीपॉक्स को लेकर डब्ल्यूएचओ। की आपातकालीन समिति में सेवारत विशेषज्ञों के बीच आम सहमति नहीं है लेकिन इसके बावजूद घेबियस ने ग्लोबल इमरजेंसी की घोषणा जारी करने का निर्णय लिया। यह पहली बार है जब डब्ल्यूएचओ के प्रमुख ने इस तरह की कार्रवाई की है। घेबियस टेड्रोस ने कहा - बीमारी का प्रकोप दुनिया भर में संचरण के नए तरीकों के माध्यम से तेजी से फैल गया है। इसके बारे में हम बहुत कम समझते हैं। उन्होंने कहा, मुझे पता है कि यह एक आसान या सीधी प्रक्रिया नहीं है और समिति के सदस्यों के बीच अलग-अलग विचार हैं।



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Shashi kant gautam

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