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Monkeypox Symptoms: जानिए मंकीपॉक्स के बारे में सब कुछ, गंभीरता से लें इसको

Monkeypox: मंकीपॉक्स (monkeypox) को डब्ल्यूएचओ (WHO) ने ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। मकसद है कि सभी देश इस बिमारी को गंभीरता से लें और अपने अपने इंतजाम कर लें।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 24 July 2022 2:22 AM GMT
Know everything about monkeypox, take it seriously
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जानिए मंकीपॉक्स के बारे में सब कुछ: Photo- Social Media

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Monkeypox Symptoms: मंकीपॉक्स (monkeypox) को डब्ल्यूएचओ (WHO) ने ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। मकसद है कि सभी देश इस बिमारी को गंभीरता से लें और अपने अपने इंतजाम कर लें।

मंकीपॉक्स क्या है और इससे कैसे बच सकते हैं, जानते हैं इस बारे में :

मंकीपॉक्स एक दुर्लभ बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस (monkeypox virus) के संक्रमण के कारण होती है। मंकीपॉक्स की उत्पत्ति किस जानवर से हुई है और प्रकृति में ये कहां स्वाभाविक रूप से मौजूद है, ये अभी तक पता नहीं है। एक अनुमान है कि ये वायरस अफ्रीकी चूहों बंदर में छिपा हो सकता है।

मंकीपॉक्स का पहला मानव मामला 1970 में

मंकीपॉक्स की खोज पहली बार 1958 में हुई थी जब शोध के लिए रखे गए बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए। इसलिए इसका नाम 'मंकीपॉक्स' पड़ा। मंकीपॉक्स का पहला मानव मामला 1970 में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में दर्ज किया गया था।

मंकीपॉक्स का कारण बनने वाला वायरस प्रकृति में एक जानवर से केवल दो बार बरामद किया गया है। पहली बार 1985 में, कांगो में एक बीमार अफ्रीकी गिलहरी से वायरस बरामद किया गया था। दूसरी बार 2012 में, ताई नेशनल पार्क, कोटे डी आइवर में एक मृत शिशु मंगाबी बंदर से वायरस बरामद किया गया था।

क्या हैं लक्षण

मनुष्यों में मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक के लक्षणों के समान, लेकिन हल्के होते हैं। मंकीपॉक्स की शुरुआत बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकावट से होती है। चेचक और मंकीपॉक्स के लक्षणों के बीच मुख्य अंतर यह है कि मंकीपॉक्स के कारण लिम्फ नोड्स सूज जाते हैं (लिम्फैडेनोपैथी) जबकि चेचक में ऐसा नहीं होता है मंकीपॉक्स के लिए इन्क्यूबेशन अवधि (संक्रमण से लक्षणों तक का समय) आमतौर पर 7 से 14 दिनों का होता है, लेकिन ये कभी कभी 5 से 21 दिनों तक भी हो सकता है।

बुखार आने के 1 से 3 दिनों के भीतर या कभी-कभी अधिक समय में रोगी की स्किन, आमतौर पर चेहरे में एक दाना निकल आता है जो फिर शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है। धीरे धीरे स्किन पर दाने चकत्ते और घाव में तब्दील हो जाते हैं। ये बीमारी आमतौर पर 2 से 4 सप्ताह तक रहती है। अमेरिका के सीडीसी का कहना है कि मंकीपॉक्स की गंभीरता किसी व्यक्ति की सेहत की स्थिति पर निर्भर करती है। इसके अलावा ये भी निर्भर करता है कि मंकीपॉक्स का कौन से वेरियंट का संक्रमण है।

कैसे फैलती है बीमारी

मंकीपॉक्स वायरस का ट्रांसमिशन तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी जानवर, मानव या वायरस से दूषित सामग्री के संपर्क में आता है। ये वायरस टूटी हुई त्वचा (भले ही दिखाई न दे), श्वसन पथ, या श्लेष्मा झिल्ली (आंख, नाक या मुंह) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। पशु-से-मानव में ट्रांसमिशन काटने या खरोंच, मांस काटने, शरीर के तरल पदार्थ या घाव के सीधे संपर्क के माध्यम से हो सकता है।

माना जाता है कि मानव-से-मानव में ट्रांसमिशन मुख्य रूप से छींक, खांसी, जुकाम के माध्यम से होता है। इसके अलावा शरीर के तरल पदार्थ या घाव के साथ सीधा संपर्क और दूषित कपड़ों के माध्यम से बीमारी फैल सकती है।

पुरुषों से पुरुषों में सेक्स

एक्सपर्ट्स का कहना है कि यूरोप में कई मामले पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों में हैं। अमेरिका में सीडीसी ने भी बताया है कि कुछ हालिया मामले पुरुष गुप्तांगों के आसपास घावों के साथ शुरू हुए हैं। पुरुषों के बीच सेक्स संबंध से ये संक्रमण फैलने के कई मामले आये हैं।

क्या है इलाज

फिलहाल, मंकीपॉक्स वायरस संक्रमण के लिए कोई सिद्ध, सुरक्षित उपचार नहीं है। अमेरिका में मंकीपॉक्स के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए, चेचक के टीके, एंटीवायरल और वैक्सीनिया इम्यून ग्लोब्युलिन (वीआईजी) का उपयोग किया जाता है। अमेरिकी सरकार का कहना है कि उसके पास स्ट्रेटेजिक नेशनल स्टॉकपाइल में पर्याप्त चेचक के टीके हैं, जो देश की पूरी आबादी का टीकाकरण कर सकते हैं।

चेचक का टीका

एक्सपर्ट्स का कहना है कि चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स से आंशिक सुरक्षा भी देती है, इसलिए यह अभी तक मंकीपॉक्स को भी फैलने से रोक रही थी। वो वयस्क जिन्हें बचपन में बीमारी के खिलाफ टीका लगाया गया था, उनके पास अभी भी कुछ स्तर की सुरक्षा हो सकती है। लेकिन आज के युवाओं को ऐसी कोई सुरक्षा नहीं है क्योंकि चेचक का टीका लगना बरसों पहले बन्द किया जा चुका है। लेकिन मंकीपॉक्स के नए मामलों के आलोक में कई देशों ने अब चेचक के टीके लगाने का आदेश दिया है।

Shashi kant gautam

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