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Monkeypox Virus: मंकीपॉक्स और देशों में फैला, वैक्सीनेशन से होगा कंट्रोल

Monkeypox News: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार अब यूएई, चेक गणराज्य और स्लोवेनिया में भी मंकीपॉक्स (Monkeypox) फ़ैल चुका है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 25 May 2022 9:16 PM IST
monkeypox virus
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monkeypox virus Photo - Social Media

Monkeypox Virus Latest Update: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार अब यूएई, चेक गणराज्य और स्लोवेनिया में भी मंकीपॉक्स (Monkeypox Alert) फ़ैल चुका है। लोगों के बीच बढ़ती चिंता के मद्देनजर डब्ल्यूएचओ और सीडीसी के अधिकारियों ने कहा है कि यह कोरोना नहीं है" और मंकीपॉक्स के प्रकोप को कण्ट्रोल किया जा सकता है। यह हवा में नहीं फैलता है और इससे बचाव के लिए टीके हैं। अमेरिका ने वायरस को फैलने से रोकने में मदद करने के लिए अपने राष्ट्रीय भंडार से बवेरियन नॉर्डिक द्वारा बनाए गए जीनियोस मंकीपॉक्स वैक्सीन को जारी करने की योजना बनाई है। सीडीसी का कहना है कि अभी 1,000 से अधिक खुराक उपलब्ध हैं, और उन्हें उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में यह संख्या बहुत तेज़ी से बढ़ेगी।

इस बीच संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) मंकीपॉक्स का मामला दर्ज करने वाला पहला खाड़ी देश बन गया है। चेक गणराज्य और स्लोवेनिया ने भी अपने यहाँ पहले मामलों की सूचना दी है जिन्हें मिला कर अब 18 देशों में इस वायरस का पता लगा है।

प्रकोप से निपटने के लिए तैयारी

यह संख्या अभी और बढ़ने की सम्भावना है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सामान्य आबादी के लिए समग्र जोखिम कम है। संयुक्त अरब अमीरात में, स्वास्थ्य अधिकारियों ने घोषणा की कि एक यात्री में एक मामले का पता चला था जो हाल ही में पश्चिम अफ्रीका का दौरा किया था और अब चिकित्सा उपचार प्राप्त कर रहा है। वहां के अधिकारियों का कहना है कि वे किसी भी प्रकोप से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि अफ्रीका के बाहर के देशों में जहां आमतौर पर इसका पता नहीं चलता है, वहां वायरस को सही प्रतिक्रिया के साथ समाहित किया जा सकता है।

डब्ल्यूएचओ के ग्लोबल इंफेक्शियस हैज़र्ड प्रिपेयर्डनेस के निदेशक सिल्वी ब्रायंड ने कहा - हम आप सभी को मंकीपॉक्स की निगरानी बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं कि संचरण स्तर कहाँ हैं और यह समझें कि यह कहाँ जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रकोप सामान्य नहीं हो सकता है, लेकिन नियंत्रण में रहता है।

मंकीपॉक्स: Photo - Social Media

ये तो होना ही था

वैज्ञानिकों के अनुसार चेचक के टीकाकरण बंद होने की वजह से मंकीपॉक्स को तो फैलना ही था। क्योंकि चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स से भी बचाती है, इसलिए चेचक टीकाकरण अभियान ने उस बीमारी को भी नियंत्रण में रखा था, विशेष रूप से मध्य और पश्चिमी अफ्रीका के क्षेत्रों में जहां वायरस स्थानिक है। जब डब्लूएचओ ने चेचक बीमारी के उन्मूलन का ऐलान कर दिया तो 1980 के आसपास अधिकांश देशों में नियमित चेचक का टीकाकरण बंद हो गया। चेचक का टीकाकरण समाप्त होने के बाद के दशकों में, मंकीपॉक्स से सुरक्षित लोगों का अनुपात काफी गिर गया है, जिससे वायरस जानवरों से मनुष्यों में और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अधिक आसानी से फैल गया है, जिससे एक बड़े प्रकोप का खतरा बढ़ गया है।

पेरिस में पाश्चर इंस्टीट्यूट के एक शोधकर्ता डॉ रोमुलस ब्रेबन और उनकी टीम द्वारा 2020 में गणितीय मॉडलिंग में पाया गया कि कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में, 1980 के दशक की शुरुआत में मंकीपॉक्स के प्रति प्रतिरोधक क्षमता 85 फीसदी से गिरकर 2012 में 60 फीसदी हो गई थी। उन्होंने उस समय लिखा था कि ये स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए खतरा है।

टीकाकरण अभियान शुरू

2020 में कांगो में 4,000 से अधिक संदिग्ध मामले आये और कम से कम 171 मौतें हुईं। ब्रेबन का कहना है कि हमारा प्रतिरक्षा स्तर लगभग शून्य है। 50 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के प्रतिरक्षित होने की संभावना है, लेकिन हममें से बाकी लोग नहीं हैं, इसलिए हम अतिसंवेदनशील हैं। उनका मानना है कि प्रकोप को रोका जा सकता है और कहा कि यह उन देशों में टीकाकरण अभियान शुरू करने का एक अवसर है जहां वायरस स्थानिक है।

इस साल तक ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के कुछ ही मामले देखे गए थे, जो सभी नाइजीरिया से यात्रा से जुड़े थे। यूके में 2022 में मंकीपॉक्स के पहले मामले की घोषणा 7 मई को की गई थी लेकिन तबसे कम से कम 16 देशों में लगभग 300 संदिग्ध या पुष्ट मामले सामने आए हैं। मामलों में वृद्धि ने इस बारे में सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या मंकीपॉक्स वायरस अधिक संक्रमणीय रूप में विकसित हुआ है। अब तक वैज्ञानिकों को ऐसा होने का कोई सबूत नहीं मिला है, लेकिन शोधकर्ता यह देखने के लिए डीएनए का अध्ययन कर रहे हैं कि क्या वायरस में म्यूटेशन ने उसके व्यवहार को बदल दिया है। जेनेटिक अध्ययन बताते हैं कि ये वायरस 2018 और 2019 में यूके, सिंगापुर और इज़राइल तक पहुंचने वाले सब वेरियंट से मेल खाता है।



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Shashi kant gautam

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