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Monkeypox: दुनिया में तेजी से फैल रहा मंकीपॉक्स वायरस, संक्रमितों का आंकड़ा पहुंचा 1500 के करीब

Monkey pox virus: दुनियाभर में मंकीपॉक्स से सबसे अधिक प्रभावित यदि कोई देश हो रहा है तो वह ब्रिटेन है। ब्रिटेन में अब तक मंकीपॉक्स वायरस के 301 मामले की पुष्टि हो चुकी है।

Krishna Chaudhary
Published on: 13 Jun 2022 3:31 PM IST
Monkeypox in India
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दुनिया में तेजी से फैल रहा मंकीपॉक्स वायरस (Social media)

Monkeypox Virus: कोरोनावायरस के नए मामलों में एकबार फिर इजाफे के खबरों के बीच एक नए वायरस ने दुनिया में खलबली मचा दी है। इन दिनों मंकीपॉक्स वायरस के मामले सुर्खियों में हैं। महीने भर पहले इस वायरसे का पहला केस सामने आया था, लेकिन अब यह दुनिया के 33 देशों में फैल चुका है। एक रिपोर्टे के मुताबिक, अब तक 33 देशों में मंकीपॉक्स वायरस के 1480 नए मामले सामने आए हैं। मंकीपॉक्स की रफ्तार ने पहले से ही कोरोना महामारी से जूझ रही दुनिया को और परेशान कर दिया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी इस वायरस को लेकर दुनियाभर के देशों को आगाह किया है।

अमेरिकी हेल्थ एजेंसी ने दी चेतावनी

अमेरिका की हेल्थ एजेंसी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने मंकीपॉक्स को लेकर चिंता प्रकट करते हुए इसके चेतावनी के स्तर को बढ़ा दिया है। सीडीसी ने एक बयान जारी कर कहा कि इस वायरस से बचाव के लिए सावधानी बरतने की जरूरत है। विशेषज्ञों का भी मानना है कि यह वायरस अधिक खतरनाक साबित हो सकता है। इससे युवा को अधिक खतरा होने की आशंका है।

सबसे अधिक मामले ब्रिटेन में

दुनियाभर में मंकीपॉक्स से सबसे अधिक प्रभावित यदि कोई देश हो रहा है तो वह ब्रिटेन है। ब्रिटेन में अब तक मंकीपॉक्स वायरस के 301 मामले की पुष्टि हो चुकी है। इसके अलावा अमेरिका, जर्मनी, कनाडा और स्पेन में भी नए केस लगातार बढ़ रहे हैं। सीडीसी ने लोगों को सलाह दी है कि वे मंकीपॉक्स प्रभावित देशों से आने वाले लोगों के संपर्क में आने से बचें। इसके अलावा घर में हाइजीन और साफ – सफाई रखें। जंगली जानवरों के संपर्क में न आएं और यदि शरीर में दाने निकल रहे हैं तो इसे इग्नोर न करें, तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।

कोरोना से कम संक्रामक

सफदरजंग अस्पताल के डॉ. जुगल किशोर का कहना है कि मंकीपॉक्स के नए मामलों में भले ही बढ़ोतरी दिख रही हो मगर यह कोरोना वायरस जैसी गंभीर महामारी नहीं बनेगा। इसके केस आने वाले दिनों में बढ़ेंगे जरूर मगर कोरोना की तरह लाखों में इसके मामले नहीं आएंगे। डॉ. किशोर का कहना है कि इस वायरस को लेकर युवाओं को खासतौर पर सतर्क रहना होगा। क्योंकि जिन लोगों को स्मॉल पॉक्स का टीका लग चुका है, उन्हें मंकीपॉक्स से अधिक खतरा नहीं होगा। चूंकि 1980 में ही स्मॉल पॉक्स महामारी समाप्त हो गई थी, ऐसे में उसके बाद से किसी को भी इसका टीका नहीं लगा है। ऐसे में युवाओं को मंकीपॉक्स से बचाव करने की जरूरत है।



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Ragini Sinha

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