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Polonium-210: इसकी एक ग्राम आपको देगी मौत

Polonium-210: इस ख़तरनाक ज़हर की खोज मशहूर भौतिकविद और रसायनशास्त्री मैरी क्यूरी ने साल 1898 में की थी।इस ज़हर का नाम पहले रेडियम एफ रखा गया था।

AKshita Pidiha
Written By AKshita Pidiha
Published on: 8 Sept 2023 10:32 AM IST (Updated on: 8 Sept 2023 10:39 AM IST)
Polonium-210
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Polonium-210 (photo: social media )

Polonium-210: दुनिया के तमाम ज़हर की श्रेणी में सायनाइड को सबसे ऊपर रखा जाता है ।पर एक ऐसा भी ज़हर है जिसे सायनाइड से ऊपर रखा जाता है ।इसका नाम पोलोनियम-210 ।इसके बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं ।इसके एक ग्राम में सैंकड़ों लोग को मारा जा सकता है ।इस ज़हर की जाँच भारत में नहीं की जाती है ।यह एक एक रेडियोएक्टिव तत्व है, जिससे निकलने वाला रेडिएशन इंसानी शरीर के अंदरूनी अंगों के साथ-साथ डीएनए और इम्यून सिस्टम को भी तेजी से तबाह कर सकता है।

इस ख़तरनाक ज़हर की खोज मशहूर भौतिकविद और रसायनशास्त्री मैरी क्यूरी ने साल 1898 में की थी।इस ज़हर का नाम पहले रेडियम एफ रखा गया था। लेकिन बाद में इसे बदल दिया गया। वैज्ञानिकों के अनुसार , एक छोटे से कण से भी आदमी को मौत की नींद सुलाया जा सकता है ।पोलोनियम-210 को पहचानना बहुत मुश्किल है, क्योंकि अगर इसे खाने में मिला दिया जाए, तो इसके स्वाद का पता ही नहीं चल पाता।


ये ज़हर पहले भी कितनी लोगों की जान ले चुका है ।कहा जाता है कि पोलोनियम जहर की पहली शिकार इसकी खोजकर्ता मैरी क्यूरी की बेटी ईरीन ज्यूलियट ने एक छोटा सा कण खा लिया था। इसकी वजह से उनकी तुरंत ही मौत हो गई थी। इसके अलावा माना जाता है कि इज़रायल के सबसे बड़े दुश्मन माने जाने वाले फिलिस्तीनी नेता यासिर अराफात की मौत भी इसी जहर से हुई थी। इसकी जांच के लिए उनके शव को दफनाने के कई साल बाद कब्र से निकाला गया था। स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों ने यह दावा किया कि उनके शव के अवशेषों में रेडियोधर्मी पोलोनियम-210 मिला था।


इस ज़हर के बारे में यह भी कहा जाता है कि इसे सूंघने मात्र से व्यक्ति मर सकता है ।यह ज़हर रुस में सबसे ज़्यादा मिलता है । पोलोनियम का सबसे ज्यादा रुसी एजेंसियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने के आरोप अक्सर लगते रहे हैं । लेकिन रुस ने कभी इस बात की पुष्टि नहीं की।


पोलोनियम हमारे वायुमंडल और मिट्टी में पाया जाता है। हालांकि राहत की बात ये है कि इसकी मात्रा काफी कम है। खासतौर पर इसका उत्पादन न्यूक्लियर रिऐक्टर में किया जाता है।कोई भी देश इसे 100 ग्राम से ज्यादा नहीं बनाता। क्योंकि यह इतना खतरनाक होता है कि अगर गलती से किसी के हाथ आ जाए तो वह इस दुनिया को नाश कर सकता है।


शरीर में इसके कण का पता लगाना बहुत कठिन है ।अगर किसी व्यक्ति के शरीर में यह जहर पहुंच जाए तो इसका पता भी नहीं चलता, बस बाल झरने लगते हैं। इसके अलावा कोई खास लक्षण नहीं दिखते। इंसान आमतौर पर यह कभी नहीं सोच पाता कि इसकी वजह कोई जहर जहर है ।इसे मशीन भी पकड़ नहीं पाती है ।इसी वजह से इसकी तस्करी भी बहुत होती है ।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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