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Mother Teresa Nun: मदर टेरेसा की ननों को निकारागुआ ने देश से निकाल बाहर किया

Mother Teresa Nun: मदर टेरेसा की संस्था, मिशनरी ऑफ चैरिटीज की ननों को निकारागुआ ने देश से बाहर निकाल दिया है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 7 July 2022 9:41 PM IST
Mother Teresa nun deported from Nicaragua to Costa Rica
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Mother Teresa nun। (Social Media)

Mother Teresa Nun: मदर टेरेसा (Mother Teresa) की संस्था, मिशनरी ऑफ चैरिटीज की ननों को निकारागुआ (Nicaragua) ने देश से बाहर निकाल दिया है। ये कदम निकारागुआ (Nicaragua) द्वारा मिशनरी ऑफ चैरिटीज (Missionary of Charities) की कानूनी स्थिति को खत्म करने के बाद उठाया गया है। सरकार ने 100 अन्य एनजीओ का पंजीकरण रद कर दिया है। निकारागुआ सरकार (Nicaragua Government) के आदेश के बाद पुलिस ने ननों को पैदल ही सीमा पार पड़ोसी देश कोस्टा रिका में भेज दिया। स्थानीय मीडिया ने कहा कि 18 ननों को इमिग्रेशन और पुलिस अधिकारियों द्वारा सीमा पर ले जाया गया था।

निर्वासित ननों में से अधिकांश भारत से

निर्वासित ननों में से अधिकांश भारत से हैं। बाकी ग्वाटेमाला, फिलीपींस, मैक्सिको, इक्वाडोर और स्पेन की हैं।चार दशक पहले मदर टेरेसा ने निकारागुआ की यात्रा थी और तब देश में उनका स्वागत किया गया था। कोस्टा रिका में तिलरन प्रान्त के बिशप मैनुअल यूजेनियो सलाज़ार मोरा ने ननों के आगमन की पुष्टि की है। समझा जाता है कि मिशनरी ऑफ चैरिटीज निकारागुआ के राष्ट्रपति डैनियल ओर्टेगा (President Daniel Ortega) का विरोध करता था। दरअसल, सिर्फ ये संगठन ही नहीं बल्कि कैथोलिक चर्च निकारागुआ में मानवाधिकारों के हनन के बारे में मुखर रहा है।

28 जून को निकारागुआन संसद द्वारा मिशनरी ऑफ चैरिटीज की कानूनी स्थिति छीन ली

बीते 28 जून को निकारागुआन संसद द्वारा मिशनरी ऑफ चैरिटीज की कानूनी स्थिति छीन ली गई थी। संसद में राष्ट्रपति ओर्टेगा की सैंडिनिस्टा पार्टी के सदस्य बहुमत में हैं। मिशनरी ऑफ चैरिटीज 1988 से निकारागुआ में गरीबों के साथ काम कर रहा था। इसके द्वारा बच्चों की एक नर्सरी, घरेलू दुर्व्यवहार और परित्यक्त लड़कियों का आश्रय स्थल और एक नर्सिंग होम चलाया जा रहा है। गैर-सरकारी संगठनों की देखरेख करने वाले विभाग ने कहा है कि मिशनरी ने अपने दायित्वों को पूरा नहीं किया है।आंतरिक मंत्रालय के अनुसार, एनजीओ को भंग करने का एक और कारण यह है कि उनके निदेशक मंडल में निकारागुआन नागरिक नहीं थे। दो महीने पहले लागू एक कानून में कहा गया है कि निदेशक मंडल का केवल 25 प्रतिशत विदेशी हो सकता है।

2018 से निकारागुआ में 200 से अधिक संगठनों को किया बंद

फंडिंग के बारे में कथित तौर पर सख्त नए कानूनों का उल्लंघन करने के लिए 2018 से निकारागुआ में 200 से अधिक संगठनों को बंद कर दिया गया है। इनमें प्रसिद्ध निकारागुआन एकेडमी ऑफ लैंग्वेज के साथ - साथ एक मेडिकल चैरिटी भी शामिल है। 2018 में सरकार विरोधी विरोध प्रदर्शनों की लहर के दौरान राष्ट्रपति ऑर्टेगा के खिलाफ विरोध करने वाले छात्रों को आश्रय देने के बाद से डैनियल ओर्टेगा और कैथोलिक चर्च की सरकार के बीच तनाव अधिक रहा है।

2019 में, मुखर सहायक बिशप सिल्वियो बाएज़ देश छोड़ कर चले गए थे। उनको जान से मारने की कई धमकियां मिल रही थीं। हाल ही में, मार्च में सरकार ने कैथोलिक चर्च के एक राजदूत के बराबर का दर्जा रखने वाले "एपोस्टोलिक नंसियो" को निष्कासित कर दिया था। निकारागुआ सरकार के इस कदम में वेटिकन को "अन्यायपूर्ण एकतरफा कदम" करार दिया था। राष्ट्रपति ओर्टेगा ने खुद कैथोलिक पादरी पर "तख्तापलट" का आरोप लगाया था और उन्हें "लबादे में शैतान" कहा था। 76 वर्षीय ओर्टेगा 2021 के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद लगातार चौथे कार्यकाल में हैं।



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Deepak Kumar

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