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NASA का सबसे बड़ा मिशन, खोलेगा सौरमंडल और ब्रह्मांड के कई राज, रचेगा एक नया इतिहास

NASA Ka Sabse Bada Mission : नासा को लूसी स्पेसक्राफ्ट नाम के इस मिशन को रन कराने में 7387 करोड़ रुपए की लागत आई है।

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Newstrack NetworkWritten By Vidushi Mishra
Published on: 13 Oct 2021 12:44 PM GMT
NASA Ka Sabse Bada Mission
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नासा का लूसी एयरक्राफ्ट मिशन (फोटो- सोशल मीडिया)

NASA Ka Sabse Bada Mission : अमेरिका की अतंरिक्ष एजेंसी नासा एस्टेरॉयड्स पर जल्द ही एक बहुत बड़े मिशन को अंजाम देने वाली है। एजेंसी इस लूसी एस्टेरॉयड स्पेसक्राफ्ट (Lucy Asteroid Spacecraft) नाम के मिशन (NASA Ka Sabse Bada Mission) को अगले एक हफ्ते में लॉन्च (nasa launch) करने वाली है। ये स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में पहुंचने पर पुराने एस्टेरॉयड्स के बारे में स्टडी करके अहम जानकारियां निकालेगा। जिससे सौर मंडल की उत्पत्ति से जुड़े रहस्यों का खुलासा हो सकेगा।

नासा को लूसी स्पेसक्राफ्ट (NASA Ka Lucy Mission) नाम के इस मिशन को रन कराने में 7387 करोड़ रुपए की लागत आई है। ऐसे में खबरें ये हैं कि नासा इस स्पेसक्राफ्ट को आने वाले तीन दिन बाद किसी भी समय लॉन्च कर सकता है। इस स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में भेजने के लिए लॉन्च विंडो 16 अक्टूबर से शुरू हो रहा है।

नासा का मिशन रचेगा इतिहास (Lucy Asteroid Spacecraft Rachega Itihas)

इस मिशन के बारे में नासा ने जानकारी देते हुए बताया कि लूसी ट्रोजन का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष मिशन होगा। इस मिशन (NASA Ka Lucy Mission) का नाम जीवाश्म मानव पूर्वज उनके खोजकर्ताओं द्वारा "लूसी" कहा जाता है) से लिया गया है, जिनके कंकाल ने मानवता के विकास में अद्वितीय अंतर्दृष्टि प्रदान की। इसी तरह, लूसी मिशन (Lucy Asteroid Spacecraft Rachega Itihas) ग्रहों की उत्पत्ति और सौर मंडल के निर्माण के बारे में हमारे ज्ञान में क्रांति लाएगा।

बड़ी बात ये है कि नासा का ये मिशन 12 साल के लिए है। इस बारे में हुई रिसर्च के अनुसार, लूसी स्पेसक्राफ्ट (NASA Ka Lucy Mission) को सौर मंडल से बाहर जाने में 12 साल का समय लगेगा। ऐसे में इस बीच ये आधा दर्जन से ज्यादा ट्रोजन एस्टेरॉयड्स के नजदीक से होकर गुजरेगा। नासा अपने इस मिशन के तहत कई काम ऐसे हैं जो पहली बार करने जा रहा है।

नासा के इस मिशन पहली बार लूसी एयरक्राफ्ट (NASA Ka Lucy Mission) बृहस्पति ग्रह के एस्टेरॉयड बेल्ट से गुजरेगा। बता दें, पहली बार कोई स्पेसक्राफ्ट सौर मंडल के बाहर भेजा जा रहा है। ये अपने आप में ही एक बहुत बड़ा इतिहास रचने वाली बात है।

नासा के लूसी एयरक्राफ्ट मिशन में लगी टीम (फोटो- सोशल मीडिया)

सौर मंडल के बारे में अध्ययन और ब्रह्मांड के पुराने इतिहास के बारे में अध्ययन के लिए ये लूसी स्पेसक्राफ्ट (NASA Ka Lucy Mission) लॉन्च किया जा रहा है। इस मिशन करोड़ों की लागत और दिन-रात की मेहनत के बाद नासा को बहुत सी उम्मीद है।

इस बारे में नासा ने अपने बयान में कहा है कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि एक ही मिशन (NASA Ka Lucy Mission) से कई काम किए जा रहे हैं। हम इतिहास खंगालने जा रहे हैं। मिशन (NASA Ka Lucy Mission) के बारे में आगे नासा ने कहा कि लूसी (Lucy) हमें अंतरिक्ष की प्राचीनता के बारे में बताएगी।

क्या एस्टेरॉयड पर जीवन है... (Kya Asteroids Par Jeevan Hai)

इतिहास के बारे में अध्ययन के अलावा लूसी स्पेसक्राफ्ट (Lucy Spacecraft) नए रहस्य का खुलासा भी करेगा। मिशन में ये भी लक्ष्य रखा गया है कि ये पता करेगा कि क्या किसी एस्टेरॉयड पर जीवन संभव (kya Asteroids Par Jeevan Hai) है। उनपर सिर्फ सिलिकेट्स, क्ले हैं या फिर कार्बनिक पदार्थ भी हो सकते हैं। क्या किसी एस्टेरॉयड पर सूक्ष्म जीवन है या रहा है। या फिर भविष्य में संभव है। इस बारे में कुछ होता सकता है या नहीं।

इसके साथ ही एजेंसी के बताया कि ग्रहों की उत्पत्ति और एस्टेरॉयड्स की स्थितियों की जानकारी देगी। इस सवाल पर की इस मिशन को लूसी (NASA Ka Lucy Mission) नाम क्यों दिय़ा गया, कोई खास वजह।

नासा का लूसी मिशन (फोटो- सोशल मीडिया)

तो इस पर बताया कि लूसी नाम 32 लाख साल पुराने इंसानी कंकाल के ऊपर दिया गया है। इस कंकाल से इंसानों की उत्पत्ति का पता चला था। जिससे इंसानों के सतत विकास के अध्ययन में एक नया मोड़, नई परिभाषा पता चली थी। बता दें, इस लूसी की खोज 1974 में हुई थी।

पता चलेगा ग्रहों के बारे में

नासा के इस मिशन(NASA Ka Lucy Mission) के बारे में साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (SwRI) में लूसी मिशन के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर हैरोल्ड लेविसन ने कहा कि अगर वैज्ञानिक महत्व की बात करे तो अंतरिक्ष में मौजूद एस्टेरॉयड्स किसी हीरे से कम नहीं है। इनकी स्टडी करके हम बड़े ग्रहों की सरंचना का पता कर सकते हैं। हम यह पता कर सकते हैं कि हमारा सौर मंडल कैसे बना। इसे बनाने में किस-किस चीज की जरूरत पड़ी या लगा।

आगे हौरोल्ड ने सौर मंडल और ग्रहों के बारे में बताया कि लूसी स्पेसक्राफ्ट (Lucy Spacecraft) अपनी 12 साल की यात्रा के दौरान करीब आठ एस्टेरॉयड्स का अध्ययन करेगा। इस दौरान यह धरती के नजदीक तीन बार आएगा। जिसमें से दो बार सौर मंडल के अंदर से और तीसरी बार सौर मंडल के बाहर से। ये सच में एक बड़ा कदम है अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए। हम मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच मौजूद एस्टेरॉयड की दुनिया को समझना चाहते हैं। उनके सभी सवालों का जवाब देगा ये मिशन(NASA Ka Lucy Mission)।

नासा का मुख्यालय कहां है? (NASA Ka Mukhyalay Kahan Hai)

नासा का मुख्यालय वाशिंगटन डीसी, यूनाइटेड स्टेट्स (Washington, D.C., United States) है।

नासा का फुल फॉर्म (NASA Ka Full Form)

नासा का फुल फॉर्म National Aeronautics and Space Administration है।

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Vidushi Mishra

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