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Neil Armstrong: चांद पर पहुंचने वाले पहले शख्स नील आर्मस्ट्रांग, इस युद्ध में हुए थे शामिल

Neil Armstrong: नील आर्मस्ट्रांग का जन्म 5 अगस्त 1930 को अमेरिका के ओहियो प्रान्त के वापाकोनेता में हुआ था। चांद पर सबसे पहले कदम रखने वाले नील में हवाई यात्राओं के प्रति रुचि बचपन से ही शायद तभी जाग गई जब उनके पिता उन्हें हवाई उड़ानों को दिखलाने ले जाया करते थे।

Akshita
Written By AkshitaPublished By Monika
Published on: 4 Aug 2021 8:03 AM GMT (Updated on: 4 Aug 2021 8:07 AM GMT)
Neil Armstrong first person walk on moon
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नील आर्मस्ट्रांग (फोटो : सोशल मीडिया )

Neil Armstrong: हमनें बचपन में अक्सर ये पढ़ा और सुना है कि चांद पर जिसने पहला कदम रखा उनका नाम नील आर्मस्ट्रांग है। 05 अगस्त 1930 को जन्मे नील की जिंदगी से जुड़ें अनेक पहलुओं के बारे में जानने की कोशिश करते हैं। इस साल नील आर्मस्ट्रांग की 91वीं जन्मतिथि है।

नील आर्मस्ट्रांग का जन्म 5 अगस्त 1930 को अमेरिका के ओहियो प्रान्त के वापाकोनेता में हुआ था। चांद पर सबसे पहले कदम रखने वाले नील में हवाई यात्राओं के प्रति रुचि बचपन से ही शायद तभी जाग गई जब उनके पिता उन्हें हवाई उड़ानों को दिखलाने ले जाया करते थे। 6 साल की उम्र में ही उन्हें पिता के साथ अपनी पहली हवाई यात्रा का अनुभव हुआ। नील ने 16 साल की उम्र में अपने ड्राइविंग लाइसेंस से पहले उन्होंने पायलट लाइसेंस हासिल कर लिया था।

नील के पास एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की बैचलर और मास्टर की डिग्री थी। कॉलेज के दौरान ही उन्हें सेना की तरफ से फाइटर पायलट बनने का मौका मिला और नील ने इसे स्वीकारते हुए अमेरिका सेना की तरफ से दक्षिण कोरिया के युद्ध में भाग लिया। एक बार युद्ध के दौरान ही निल दुश्मन के निशाने में आ गए थे पर समय रहते वे विमान से इजेक्ट हो गए और उनकी जान बच गयी।

अमेरिका में टेस्ट पायलट बने नील

इस युद्ध के बाद नील अमेरिका में टेस्ट पायलट बने और उन्होंने अलग अलग 200 विमानों का परीक्षण किया कि वह ठीक तरह से बने हैं या नहीं। फिर 1960 के बाद शुरू हुआ नील का चांद पर पहुँचने का सफर। 1962 में नील को नासा के उस मिशन में शामिल कर लिया गया जिसमें कुछ अनुभवी पायलटों की टीम को चाँद पर भेजना था। 16 मार्च 1966 को नील और डेविड स्कोट को अंतरिक्ष की ओर भेजा गया। इस मिशन का नाम जैमिनी -8 था। इस मिशन की अपोलो -11 के सफल होने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

चांद पर इंसानों के भेजने से पहले नासा ने एक परीक्षण मिशन भी किया था। अपोलो- 1 नामक इस मानव मिशन के तहत तीन अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों को पहली बार पृथ्वी की कक्षा तक भेजकर उन्हें वापस धरती पर लाना था। यह नासा के चांद मिशन का रिहर्सल था। 27 जनवरी, 1967 को अपोलो-1 को जब लॉन्च किया गया तो इसके केबिन में आग लग गई। इस घटना में तीनों अंतरिक्षयात्रियों वर्जिल आई गस ग्रिसम, एड व्हाईइट और रोजर बी चैफी का निधन हो गया। नासा के लिए यह बड़ा झटका था। लेकिन नासा ने हौसला बनाए रखा और मिशन को आगे बढ़ाया।

नील आर्मस्ट्रांग (फोटो : सोशल मीडिया )

चांद पर जाने के लिए फाइनल हुआ नील का नाम

खैर अब बात आती है चाँद पर पहला कदम किसका होगा। 1969 को इसके लिए मीटिंग की जाती है और नील का नाम फाइनल किया जाता है। क्योंकि नील कई मामलों में और लोगो से ज्यादा प्रतिभावान थे और वे इस मिशन आपोलो 11 स्पेसक्राफ्ट का नेतृत्व भी कर रहे थे। इस प्रकार सबसे पहला कदम नील का होगा , यह निर्णय सुनिश्चित किया गया।

बहुत सारी असफलताओं और मेहनत के बाद 1969 की 16 जुलाई को आपोलो 11 ने अपनी उड़ान भरी। इस उड़ान में नील के साथ बज एल्ड्रिन और माइकल कॉलिंस भी थे। जिस यान से तीनो ने उड़ान भरी उसका नाम ईगल था।

नासा ने 16 जुलाई, 1969 को अपोलो-11 को लांच किया था। इसके बाद कुछ देर के लिए नासा के वैज्ञानिकों का संपर्क इस यान से टूट गया था। फिर ऐसा माना जाने लगा कि अब इस यान से कभी संपर्क नहीं हो पाएगा। लेकिन तीनों अंतरिक्ष यात्रियों ने जब चांद की कक्षा में यान को पहुंचाया तो पृथ्वी पर मौजूद वैज्ञानिकों का संपर्क इस यान से दोबारा जुड़ गया।

करीब 5 दिन बाद 21 जुलाई 1969 को नील आर्मस्ट्रांग दुनिया के पहले व्यक्ति बने जिसने चाँद पर पहली बार कदम रखा। कदम रखने के साथ ही उनके शब्द थे कि " मानव के लिए एक छोटा सा कदम भविष्य में मानवता के लिए एक बड़ी छलांग होगा ।"

चांद पर पहले जाने वाले ये तीन (फोटो : सोशल मीडिया )

चांद पर कदम रखने वाले दूसरे व्यक्ति

बज एल्ड्रिन चांद पर कदम रखने वाले दूसरे व्यक्ति बने। दोनों ने 21 घण्टे चांद की सतह पर बिताया। जबकि तीसरे व्यक्ति माइकल कॉलिंस उस यान पर चंद्रमा की परिक्रमा कर रहे थे। तीनों पायलट 24 जुलाई को वापस पृथ्वी के प्रशांत महासागर में लैंड किए।

नील, अपोलो 11 मिशन के बाद नासा के विभिन्न विभागों में कार्यरत थे। इसके अलावा वे यूनिवर्सिटीज में प्रोफेसर पद पर भी रहें हैं।

तीनों पायलटों ने अपनी - अपनी जीवनकथा में लिखा कि इस मिशन में जाने से पहले तीनो ने बीमा कंपनियों से सुरक्षा बीमा कराने की कोशिश की पर कोई भी बीमा कम्पनी ने बीमा नही किया । ये बात तीनों को पता थी कि चांद पर जाने में जान का खतरा है । पर मिशन तैयार हो चुका था और ना करने का कोई सवाल ही नही था। इसलिए इन तीनो ने अपने अपने परिजनों को अनेक स्मृति चिन्ह हस्ताक्षर के साथ उन्हें सौंप दिए ताकि घरवाले उनके न रहने पर उन्हें बेचकर आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकें।

नील ने बदला धर्म

नील को लेकर एक अफवाह भी बनाई गई । 1980 के दशक में इंडोनेशिया के कुछ खबरों में ये बताया गया कि नील ने चांद पर अजान जैसी आवाजे सुनी और उसके बाद इस्लाम धर्म कुबूल कर लिया । इस बात का खंडन खुद अमेरिका को 1983 में खबर जारी करके करना पड़ा था।

नील आर्मस्ट्रांग (फोटो : सोशल मीडिया )

82 की उम्र में नील की मृत्यु हो गई

नील को दिल से सम्बंधित समस्या थी। जिसके चलते 25 अगस्त 2012 को 82 साल में नील की मृत्यु हो गई ।

इस मिशन के दौरान टीवी पर दिखी महिलाओं में केवल अंतरिक्ष यात्रियों की पत्नियां ही शामिल थीं। हालांकि, इस मिशन से हजारों महिलाएं जुड़ी थीं। मिशन की कामयाबी में इनका भी बड़ा रोल रहा। इनमे नर्सें थीं और गणितज्ञ महिलाएं थीं। मिशन प्रोग्रामर से लेकर अंतरिक्ष यात्रियों के स्पेस सूट सीने वाली भी महिलाएं ही थीं। कई महिलाएं मिशन कंट्रोलर्स के लिए तार बिछाने वाली टीम का भी हिस्सा ली थीं।

Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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