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आर्थिक संकट से घिरा नेपाल: महामारी ने बुरी तरह किया प्रभावित, विदेशी मुद्रा भंडार रह गया आधा
Nepal Economic Crisis: पर्यटन पर आधारित नेपाल की अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी के कारण बुरी तरह प्रभावित हुई और उसका विदेशी मुद्रा भंडार आधा रह गया है।
Nepal Economic Crisis: दुनिया के तमाम देशों में फैले आर्थिक संकट (Economic Crisis) की चपेट में अब नेपाल (Nepal) भी आ गया है। वहां भी श्रीलंका (Sri Lanka) जैसा आर्थिक संकट पनप रहा है। इस देश पर भी वही मार पड़ी है, जो श्रीलंका ने झेली है। पर्यटन पर आधारित नेपाल की अर्थव्यवस्था (Nepal Economy) दो साल लंबी कोरोना महामारी (Corona Virus Mahamari) के कारण बुरी तरह प्रभावित हुई और उसका विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) आधा रह गया है।
नेपाल के केंद्रीय बैंक ने कहा है कि नेपाल का विदेशी मुद्रा भंडार आधा रह गया है। सरकार ने केंद्रीय बैंक के गवर्नर महा प्रसाद अधिकारी को निलंबित कर दिया है और उनके डिप्टी को अंतरिम अध्यक्ष बना दिया है। इसके अलावा नेपाल सरकार ने कार, सोना और कॉस्मेटिक्स जैसे उत्पादों का आयात आधा कर दिया है। इत्तेफाक से आर्थिक संकट में फंसे श्रीलंका, पाकिस्तान और नेपाल ये तीनों देश चीन के बड़े कर्ज में डूबे हुए हैं।
अब आयातकों को विलासिता की 50 चीजों के आयात के लिए पूरा भुगतान पहले करने पर ही इजाजत दी जाएगी। इन वस्तुओं के आयात के बारे में नए नियमों के सभी सीमा चौकियों को अवगत करा दिया है। कहने को यह आयात पर प्रतिबंध नहीं है लेकिन आयातकों को हतोत्साहित किया जा रहा है।
विपक्षी दलों ने की सरकार की नीतियों की आलोचना
नेपाल के वित्त मंत्रालय ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि नेपाल राष्ट्र बैंक के गवर्नर महा प्रसाद अधिकारी को निलंबित क्यों किया गया। निलंबित गवर्नर पर वित्तीय सूचनाएं मीडिया को लीक करने के आरोप लगे थे। मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया है कि एक सरकारी पैनल मामले की जांच करेगा। विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री शेर बहादुर देओबा (PM Sher Bahadur Deuba) की नीतियों की आलोचना की है। विपक्ष का कहना है कि आर्थिक संकट के समय एनआरबी गवर्नर को निलंबित (NRB Governor Suspended) नहीं किया जाना चाहिए था।
संघर्ष कर रहा पर्यटन उद्योग
नेपाल में पर्यटन उद्योग लगातार संघर्ष कर रहा है। कोई न कोई आफत लगी ही हुई है। कोरोना महामारी के दो साल के दौरान पूरा पर्यटन उद्योग ठप रहा। इस दौरान देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार बीती मध्य जुलाई के स्तर से 17 प्रतिशत गिरकर फरवरी के मध्य में 9.75 अरब डॉलर यानी लगभग साढ़े सात खरब रह गया। मौजूदा विदेशी मुद्रा भंडार अगले छह महीने के आयात के लिए ही है। अगर इस दौरान हालात नहीं सुधरे तो स्थिति बिगड़ जायेगी।
नेपाल के केंद्रीय बैंक के आंकड़े बताते हैं कि जुलाई से फरवरी के बीच विदेश से आने वाले धन में 5.8 प्रतिशत की कमी आई और यह 4.53 अरब डॉलर ही रह गया। पिछले साल जुलाई में शुरू हुए मौजूदा वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में व्यापार घाटा 2.07 अरब डॉलर रहा। इसी अवधि में पिछले वित्त वर्ष के दौरान यह घाटा 81.76 करोड़ डॉलर था। एशियाई डिवेलपमेंट बैंक ने इसी महीने की शुरुआत में कहा था कि 2021 में नेपाल का कर्ज बढ़कर जीडीपी का 41.4 प्रतिशत हो गया था। 2016 से 2019 के बीच यह कर्ज औसतन 25.1 प्रतिशत रहा था लेकिन महामारी के दौरान हुए खर्च ने इसमें वृद्धि की है। एडीबी ने पूर्वानुमान किया है कि इस वित्त वर्ष में देश के कर्ज में जीडीपी के 9.7 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है, जो पिछले साल 8 प्रतिशत थी।
तत्काल प्रभावी कदम उठाने की जरुरत
नेपाल की मुख्य विपक्षी पार्टी सीपीएन-यूएमएल ने दावा किया है कि अगर सरकार ने तत्काल प्रभावी कदम नहीं उठाए तो आने वाले दिनों में देश की अर्थव्यवस्था और खराब होगी। नेपाल के तीन पूर्व वित्त मंत्रियों- बिष्णु पौडेल, सुरेंद्र पांडे और डॉ युबराज खातिवाड़ा ने इस बात पर अफसोस जताया कि देश की अर्थव्यवस्था संकट की ओर बढ़ रही है और इसे सकारात्मक हस्तक्षेप के जरिए सही रास्ते पर लाया जाना चाहिए।
सीपीएन-यूएमएल के उपाध्यक्ष पोडेल ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को और खराब होने से बचाने के लिए सकारात्मक हस्तक्षेप जरूरी है।
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