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Nepal News: नेपाल में छिड़ सकता है गृह युद्ध, राजशाही के समर्थकों ने दिया एक हफ्ते का अल्टीमेटम
Nepal News: नेपाल में पिछले कुछ समय से राजशाही समर्थक पूरे देश में प्रदर्शन और धरने के जरिए अपनी मांग को पूरा करने का दबाव बना रहे हैं। राजशाही का समर्थन करने वाले विभिन्न संगठनों के तेवर से नेपाल में गृह युद्ध छिड़ने के आसार दिख रहे हैं।
नेपाल में छिड़ सकता है गृह युद्ध (photo: social media )
Nepal News: नेपाल में राजशाही समर्थकों ने आर-पार की जंग लड़ने का तेवर अपना लिया है। राजशाही के समर्थन में दिन-प्रतिदिन तेज होते आंदोलन के बीच विभिन्न संगठनों ने नेपाल सरकार को एक हफ्ते का अल्टीमेटम दिया है। एक हफ्ते के भीतर समझौता न होने की स्थिति में आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी दी गई है। राजशाही समर्थकों ने आज एक बड़ी रैली करने का ऐलान किया है।
नेपाल में पिछले कुछ समय से राजशाही समर्थक पूरे देश में प्रदर्शन और धरने के जरिए अपनी मांग को पूरा करने का दबाव बना रहे हैं। राजशाही का समर्थन करने वाले विभिन्न संगठनों के तेवर से नेपाल में गृह युद्ध छिड़ने के आसार दिख रहे हैं। संगठनों के इस तेवर से नेपाल सरकार की मुसीबत दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
सरकार को दिया एक हफ्ते का समय
राजशाही समर्थक जॉइंट पीपल्स मूवमेंट कमेटी का कहना है कि राजशाही के समर्थन में पूरे देश में उनका आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से चलाया जा रहा है। कमेटी के प्रवक्ता नाबराज सुबेदी ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर अब हम शांत रहने वाले नहीं हैं। यदि आने वाले समय में संगठन की मांगों को पूरा नहीं किया गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। उन्होंने देश की सभी लोकतांत्रिक पार्टियों और सरकार को एक सप्ताह का समय दिया है।
उन्होंने कहा कि नेपाल को हिंदू राष्ट्र होना चाहिए। सुबेदी ने कहा कि देश में 1991 वाला संविधान लागू किया जाना चाहिए और देश में संवैधानिक राजशाही को लागू किया जाना चाहिए। इस संविधान में मल्टी पार्टी सिस्टम के साथ ही संसदीय लोकतंत्र को भी जगह दी गई है। उन्होंने कहा कि देश की सरकार को मौजूदा संविधान में जरूरी संशोधन के लिए पहल करनी चाहिए। इसके तहत देश में पुराने कानून लागू किए जाने चाहिए।
राजशाही के समर्थन में बड़े प्रदर्शन की तैयारी
नेपाल में राजशाही समर्थकों की ओर से जल्द ही पुरानी प्रणाली को लागू कराने के लिए दबाव बढ़ने लगा है। चार पार्टियों के गठबंधन सोशलिस्ट रिफॉर्म की ओर से भी शुक्रवार को बड़ा प्रदर्शन करने की तैयारी है। इस प्रदर्शन में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल माओइस्ट और सीपीएन के कार्यकर्ता भी शामिल होंगे। त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास भी आज एक बड़ी रैली का आयोजन किया गया है। सुबेदी ने कहा कि नेपाल के लोगों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहाल करने के लिए संघर्ष किया है और इस संघर्ष को हम कमजोर नहीं बनने देंगे।
आंदोलन के मद्देनजर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
इस बीच नेपाल सरकार भी राजशाही के समर्थन में चल रहे आंदोलन को देखते हुए सक्रिय हो गई है। राजधानी काठमांडू में बढ़ते तनाव के मद्देनजर 5000 जवानों की तैनाती की तैयारी है। राजशाही के समर्थन में आंदोलन तेज होने के साथ हिंसक झड़पें होने की आशंका जताई जा रही है। पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह के समर्थकों ने 11 अप्रैल के बाद आंदोलन को और तेज बनाने का ऐलान किया है।
दूसरी ओर नेपाल के शीर्ष नेताओं का कहना है कि अब देश में राजशाही की वापसी नहीं हो सकती। नेपाल में 2006 में राजशाही को खत्म किया गया था। इससे पहले करीब 240 वर्षों तक नेपाल हिंदू राष्ट्र था और यहां राजशाही चलती थी। अब राजशाही के समर्थन में एक बार फिर आंदोलन तेज हो गया है।