Nepal Politics: चीन के चहेते हैं नेपाल के नए PM प्रचंड, फिर बढ़ेगा ड्रैगन का दखल, भारत के साथ तनाव बढ़ने की आशंका

Nepal Politics: Nepal Politics: नेपाल में नई सरकार के गठन को लेकर पिछले कई दिनों से जारी गतिरोध समाप्त हो गया है। प्रचंड तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री पद की कमान संभालेंगे

Anshuman Tiwari
Published on: 26 Dec 2022 4:52 AM GMT
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 पुष्प कमल दहल (Pic: Social Media) 

Nepal Politics: नेपाल में नई सरकार के गठन को लेकर पिछले कई दिनों से जारी गतिरोध समाप्त हो गया है। सीपीएन-एमसी के चेयरमैन पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री पद की कमान संभालेंगे। इससे पहले प्रचंड 2008 से 2009 और 2016 से 2017 तक नेपाल के प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। प्रचंड को पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कम्युनिस्ट यूनिफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल) सहित छह दलों का समर्थन हासिल हुआ है। प्रचंड और ओली के बीच ढाई-ढाई साल प्रधानमंत्री बनने की शर्त पर यह समझौता हुआ है। प्रचंड के ढाई साल प्रधानमंत्री रहने के बाद ओली प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालेंगे।

प्रचंड और ओली दोनों को चीन का समर्थक माना जाता है। चीन की सलाह पर दोनों नेता पूर्व में भी भारत के खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि नेपाल में नई सरकार के गठन के बाद भारत और नेपाल के संबंधों में एक बार फिर तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचंड को प्रधानमंत्री बनने पर बधाई तो दी है मगर दोनों देशों के रिश्ते पर इसका बड़ा असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

देउबा से इसलिए टूट गया गठबंधन

दो साल पहले प्रचंड ओली सरकार का हिस्सा थे। भारत सरकार के साथ लिपुलेख और कालापानी को लेकर विवाद पैदा होने के बाद उन्होंने अपने समर्थक सात मंत्रियों के इस्तीफे दिलवाकर ओली के लिए सियासी मुश्किलें पैदा कर दी थीं। बाद में ओली को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद प्रचंड ने नेपाली कांग्रेस के मुखिया शेर बहादुर देउबा से हाथ मिला लिया और प्रचंड के समर्थन से देउबा प्रधानमंत्री बने थे।

नेपाल में हाल में हुए चुनाव के दौरान किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं हासिल हुआ। नेपाली कांग्रेस 89 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी मगर इस बार प्रचंड ने देउबा को समर्थन देने से मना कर दिया। प्रचंड के इस रुख के कारण देउबा प्रधानमंत्री बनने में कामयाब नहीं हो सके और दोनों दलों का दो साल पुराना गठबंधन टूट गया। जानकारों का कहना है कि दोनों दोनों के बीच बातचीत के दौरान प्रचंड ने पहले प्रधानमंत्री बनने की शर्त रखी थी जिसके लिए देउबा तैयार नहीं थे।

इस गठबंधन के टूटने के पीछे एक बड़ा कारण यह भी था कि नेपाली कांग्रेस को इस बात का डर सता रहा था कि कहीं ढाई साल तक सत्ता में रहने के बाद प्रचंड कोई सियासी खेल न कर दें। देउबा को प्रचंड पर भरोसा नहीं था और इसी कारण बाद में प्रचंड ने ओली के साथ हाथ मिला लिया।

प्रचंड और ओली चीन के समर्थक

प्रचंड और ओली दोनों को चीन का समर्थक माना जाता रहा है। 2019 में प्रधानमंत्री रहने के दौरान ओली ने भारत विरोधी रुख अपनाया था। उन्होंने कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को नेपाल में दिखाते हुए नया नक्शा भी जारी किया था। उन्होंने इस विवादित नक्शे को नेपाली संसद से भी पारित कराया था। दूसरी ओर भारत इन इलाकों को देश के उत्तराखंड में मानता रहा है। ओली के इस रवैए के पीछे चीन का हाथ माना गया था और दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे।

दोनों नेताओं का भारत विरोधी रवैया

इसके बाद 2021 में ओली ने भारत पर अपनी सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया था। ओली के प्रधानमंत्रित्व काल में नेपाल में चीन की पूर्व राजदूत हाओ यांकी काफी प्रभावशाली भूमिका में थीं और नेपाल की सियासत पर उनका गहरा असर था। नेपाल के भारत विरोधी रवैए में भी चीनी राजदूत की भूमिका मानी गई थी। ओली के अलावा प्रचंड भी भारत पर नेपाली सीमा का अतिक्रमण करने का बड़ा आरोप लगाते रहे हैं। दूसरी ओर चीनी सेनाओं की ओर से नेपाल के कई गांवों में को कब्जे में लेने के बावजूद उन्होंने आज तक इस मुद्दे को लेकर चुप्पी साध रखी है।

चीन के दखल से फिर बढ़ेगा तनाव

अब प्रचंड और ओली के एक बार फिर साथ आ आने के बाद भारत और नेपाल के संबंधों पर असर पड़ना तय माना जा रहा है। कूटनीतिक जानकारों का मानना है कि दोनों नेताओं की चीन से नजदीकी और उनके भारत विरोधी रुख को देखते हुए भारत और नेपाल के संबंधों में फिर खींचतान और तनाव का दौर दिख सकता है।

ओली के बाद देउबा के प्रधानमंत्री बनने पर भारत और नेपाल के रिश्ते में गर्माहट आई थी मगर एक बार फिर सियासी हालात बदल गए हैं। जानकारों के मुताबिक अब नेपाल में चीन का दखल एक बार फिर बढ़ेगा जिसका असर भारत और नेपाल के संबंधों पर पड़ सकता है।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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