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'मैं 5000 हत्याओं की जिम्मेदारी लेने को तैयार...'नेपाली PM प्रचंड ने किया था कबूल, अब सुप्रीम कोर्ट में होंगे पेश

Nepal PM Prachanda: नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड ने 5,000 लोगों की हत्या की जिम्मेदारी ली थी। इस कबूलनामे के बाद अब नेपाल के पीएम प्रचंड के खिलाफ दो अल-अलग रिट दायर की गई है।

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Written By aman
Published on: 7 March 2023 8:15 PM IST (Updated on: 7 March 2023 8:13 PM IST)
Nepal PM Prachanda :
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Pushpa Kamal Dahal Prachanda (Social Media)

Nepal PM Prachanda : नेपाल की नई सरकार के मुखिया मुसीबत में घिरते नजर आ रहे हैं। नेपाल के नए प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल प्रचंड (Pushpa Kamal Dahal Prachanda) के सामने मुसीबत के बादल छाते नजर आ रहे हैं। ऐसी स्थिति में जहां प्रचंड के सामने सरकार बचाने की चुनौती है, वहीं दूसरी तरफ नेपाली पीएम के खिलाफ सामूहिक नरसंहार का मुकदमा दर्ज हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद माओवादी पीड़ित पक्ष की तरफ से वकीलों ने प्रधानमंत्री के खिलाफ केस दर्ज करवाया है। नेपाली प्रधानमंत्री के खिलाफ मुकदमा दायर होने के बाद कोर्ट ने 9 मार्च की तारीख पेशी के लिए तय की है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड के खिलाफ दो अल-अलग रिट दायर की गई है। दोनों सुनवाई एक साथ होने की बात कही जा रही है। नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने 9 मार्च की सुबह 10 बजे सुनवाई के दौरान प्रधानमंत्री प्रचंड को अदालत में हाजिर होने के लिए वारंट भी जारी किया है।

प्रचंड के खिलाफ दो अलग-अलग रिट याचिकाएं

सुप्रीम कोर्ट के वकील कल्याण बुढाथोकी और सुवास गिरी सहित 8 वकीलों ने और सर्वोच्च न्यायालय के ही अधिवक्ता ज्ञानेंद्र राज अरन (Gyanendra Raj Aran) सहित 14 लोगों ने नेपाल के पीएम प्रचंड के खिलाफ दो अलग अलग रिट पिटीशन दायर की है। गुरुवार को रिट पर सुनवाई की तिथि निर्धारित हुई है। याचिकाकर्ता कल्याण बुढाथोकी (Petitioner Kalyan Budhathoki) ने बताया, प्रचंड ने खुद ही 5 हजार लोगों की हत्या की जिम्मेदारी सार्वजनिक तौर पर स्वीकारी थी। इसलिए उनके खिलाफ ये मुकदमा दर्ज किया गया है। आपको बता दें, 'जनयुद्ध' के नाम पर पुष्पकमल दाहाल प्रचंड के आदेश पर ही कई सामूहिक नरसंहार को अंजाम दिया गया था। ये युद्ध नियमों के खिलाफ कृत्य था।

'मज़बूरी में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा'

एक अन्य रिट पिटीशनर ज्ञानेंद्र राज अरन का कहना है कि, 'संक्रमणकालीन न्याय (Transitional Justice) के मुद्दों को हल करने के लिए बार-बार सरकार का ध्यान आकर्षित करने के बाद भी जब सुनवाई नहीं हुई तब मजबूरी वश न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।' इसी तरह वकील कीर्तिनाथ शर्मा पौडेल ने कहा, 'नरसंहार पीड़ितों को न्याय दिलाने की पहल की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह ही प्रधानमंत्री प्रचंड की गिरफ्तारी की मांग करते हुए याचिका दायर करने का आदेश दिया था।'

इसी बयान से बढ़ी प्रचंड की मुश्किलें

आपको बता दें कि, 3 साल पहले यानी 15 जनवरी 2020 को नेपाल की राजधानी काठमांडू में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में पुष्पकमल दाहाल प्रचंड ने माओवादियों द्वारा चलाए गए सशस्त्र विद्रोह के दौरान मारे गए 17 हजार लोगों में से 5 हजार नागरिकों की हत्या की जिम्मेदारी लेने की बात स्वीकारी थी।



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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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