नोबेल विजेता लियू शियाओबो का हुआ अंतिम संस्कार, चीन ने कहा- उनकी पत्नी नजरबंद नहीं

aman
By aman
Published on: 15 July 2017 9:40 PM GMT
नोबेल विजेता लियू शियाओबो का हुआ अंतिम संस्कार, चीन ने कहा- उनकी पत्नी नजरबंद नहीं
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नोबेल विजेता लियू शियाओबो का हुआ अंतिम संस्कार, चीन ने कहा- उनकी पत्नी नजरबंद नहीं

बीजिंग: चीन के नोबेल पुरस्कार विजेता दिवंगत लियू शियाओबो का शेनयांग में अधिकारियों की निगरानी में एक निजी और सादे कार्यक्रम में अंतिम संस्कार किया गया। सरकार ने केवल उनकी पत्नी लियू शिया तथा कुछ अन्य लोगों को उन्हें अंतिम विदाई के मौके पर उपस्थित रहने की अनुमति दी। बता दें कि लियू शियाओबो चीन के एकमात्र नोबेल पुरस्कार विजेता थे।

लियू शियाओबो की अस्थियां बाद में एक साधारण समारोह में सागर में विसर्जित कर दी गईं, ताकि देश में कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ प्रदर्शन के लिए कोई प्रतीक न रहे।

पारिवारिक मित्रों को नजरबंद किया

11 साल जेल की सजा भुगत रहे लियू शियाओबो लीवर कैंसर से पीड़ित थे। इसी सप्ताह उनका निधन। लियू शिया के पारिवारिक मित्रों ने कहा है कि उन्हें नजरबंद करके रखा गया है। इस कारण वे उनसे संपर्क करने में अक्षम हैं। शेनयांग सूचना कार्यालय के प्रवक्ता झांग किंगयांग ने प्रेस वार्ता में कहा, 'चीन की सरकार उनके (लीयू शिया) वैध अधिकारों की कानून सम्मत सुरक्षा करेगी।'

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क्या लियू शिया विदेश यात्रा कर सकती हैं?

यह पूछे जाने पर कि क्या लियू शिया विदेश यात्रा कर सकती हैं, जिसकी उन्होंने पहले अपील की थी। झांग ने कहा कि 'वह मुक्त हैं, लेकिन वह अपने पति के निधन पर शोकग्रस्त हैं। संबंधित अधिकारियों ने उन्हें परेशान न करने की उनकी इच्छा का आदर किया है।'

बीबीसी- लियू शिया थीं नजरबंद

कम्युनिस्ट सरकार ने दावा किया, कि उनके परिवार ने उनकी अंत्येष्टि का फैसला किया था। सामान्य कार्यक्रम के तहत अंतिम संस्कार किया गया। जबकि उनके पारिवारिक मित्रों ने इसे खारिज करते हुए दावा किया कि उनकी विधवा को नजरबंद करके रखा गया है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, शियाओबो के वकील जेयर्ड जेंजर ने कहा, कि 'पति की मौत के बाद से ही लियू शिया से किसी को मिलने नहीं दिया जा रहा है।'

लियू शिया को लेकर बेहद चिंतित हैं

लियू को नोबेल पुरस्कार प्रदान करने वाली कमेटी ने शुक्रवार को कहा था कि वह लियू शिया को लेकर 'बेहद चिंतित' है। साथ कमेटी ने चीन से उन्हें रिहा करने की अपील की। लियू शियाओबो को चीन में मानवाधिकार के लिए अहिंसक तरीके से संघर्ष को लेकर साल 2010 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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