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International Day Older Persons : बेकार नहीं बहुत काम के हैं बुजुर्ग जिनकी नसीहतें हमेशा काम देती हैं
International Day Older Persons : हमारे जीवन में बुजुर्गों की बहुत अहमियत है आज विश्व भर में अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाया जा रहा है।
International Day Older Persons : भारत एक ऐसा देश है जहां हमेशा से बुजुर्गों की इज्जत व सम्मान करना सिखाया गया है। बुजुर्गों (Old Person) के अपमान या उनसे दुर्व्यवहार की घटनाएं यदाकदा ही होती हैं । लेकिन मीडिया के सक्रिय होने के कारण इनका प्रचार अधिक हो जाता है। गांवों में आज भी घर की सत्ता पर बड़े बुजुर्गों का ही नियंत्रण होता है। बेटे से लेकर पोते पोती तक उनके अनुशासन का डंडा चलता है। पश्चिम में पक्षियों वाली संस्कृति रही, जिस तरह पक्षी अपने बच्चों की परवरिश तब तक करते हैं जब तक उनके पर न निकल आएं । उसी तरह से पश्चिमी संस्कृति में बच्चे के बड़ा होते ही उसका घर अलग हो जाता है। मां बाप से उसे मोह भी नहीं रहता । क्योंकि यही संस्कृति उसने अपने दादी-बाबा या नानी-नाना के साथ भी देखी होती है। खैर पश्चिम से आए इस वृद्धजन दिवस पर आइए जानते हैं इसका इतिहास और भारतीय संस्कृति में इसका महत्व।
संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) ने 14 अक्टूबर, 1990 को वृद्धजनों के लिए अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस (International Day of Older Persons) घोषित किए जाने की घोषणा की थी इसके बाद से 1 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। लेकिन इस दिवस को मनाने के एलान के पीछे महत्वपूर्ण घटनाक्रम थी वियना अंतर्राष्ट्रीय कार्य योजना और एजिंग पर विश्व सभा। बुजुर्गों के लिए समर्पित ये दिन हमें बुजुर्गों का आदर करना सिखाता है।
क्या है बुजुर्ग दिवस की थीम
इस साल बुजुर्ग दिवस की थीम बहुत आकर्षक रखी गई है । जिसके तहत इस दिन को डिजिटल दुनिया में बुजुर्गों की भागीदारी बढ़ाने पर केंद्रित किया गया है। ताकि वैश्विक मंच पर वह अपनी भागीदारी बढ़ाकर स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के युग में अग्रणी हो सकें।
वैसे भारतीय परिवेश में बुजुर्गों के महत्व पर एक कथा प्रचलित है। कहते हैं प्राचीन काल में एक नौजवान राजा बना। जिसे बुजुर्गों से घृणा थी। उसे सभी बुजुर्ग बेकार लगते थे। उसने मंत्रियों को आदेश दिया कि बूढ़े लोग हमारे किसी काम के नहीं हैं। ये हमेशा बीमार रहते हैं, कोई काम नहीं करते, इनकी वजह से राज्य का पैसा बर्बाद होता है। अतः सभी बूढ़ों को या तो राज्य से बाहर कर दो या मृत्युदंड दे दो।
राजा का फरमान जब बूढ़ों को मालूम हुआ तो वो जान बचाने के लिए रातों रात दूसरे राज्य में चले गए । लेकिन एक गरीब लड़का अपने पिता से बहुत प्रेम करता था, उसके पास इतना पैसा भी नहीं था कि वह घर छोड़कर दूसरे राज्य चला जाए। इसीलिए उसने अपने पिता को घर में ही छिपा लिया। बेटा घर से बाहर काम करने जाता तो घर में ताला लगा देता ताकि किसी को उसके पिता के बारे में पता न हो सके।
कुछ दिनों के बाद राज्य में अकाल पड़ गया। राज्य का सारा अनाज खत्म हो गया। राजा को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। प्रजा के खाने की व्यवस्था कैसे हो। संकट की इस घड़ी में गरीब लड़के ने अपने बूढ़े पिता से अकाल से निपटने का उपाय पूछा।
उसके पिता ने कहा कि राज्य से कुछ ही दूर हिमालय है। अकाल में गर्मी बढ़ेगी तो हिमालय की बर्फ पिघलने लगेगी। वह पानी जब बहता हुआ राज्य की ओर आए तो उससे पहले तुम एक काम करो राज्य के मार्ग पर दोनों तरफ हल चला दो। लड़के ने राज्य के लोगों को यह उपाय बताया, लेकिन सबने मजाक उड़ाया।
थक हार कर लड़के ने अकेले ही रास्ते पर दोनों तरफ हल चला दिया। कुछ ही दिनों में गर्मी बढ़ी और हिमालय का पानी राज्य के रास्ते पर आ गया। इसके बाद धीरे-धीरे राज्य के मार्गों पर अनाज के पौधे उग आए। जब ये बात राजा को मालूम हुई तो उसने गरीब लड़के को दरबार में बुलवाया, राजा ने लड़के से पूछा कि यह अनाज उगाने का तरीका तुम्हें किसने बताया? लड़के ने जवाब दिया कि यह उपाय मेरे पिता ने बताया है। आपने जब बूढ़ों को राज्य से बाहर निकालने का आदेश दिया तो मैंने उन्हें अपने घर में छिपा लिया था। यह सुनकर राजा ने उस बूढ़े व्यक्ति को भी दरबार में बुलवाया।
बूढ़े व्यक्ति ने राजा से कहा कि महाराज हमारे राज्य से लोग अपने खेतों से अनाज अपने घर ले जाते थे।.कुछ लोग दूसरे राज्य अनाज बेचने जाते थे । तो अनाज के कुछ दाने रास्ते के दोनों और गिर जाते थे। जब मेरे बेटे ने रास्ते की दोनों तरफ हल चलाया और हिमालय का पिघला हुआ पानी वहां पहुंचा तो वो दाने अंकूरित हो गए और अनाज उग आया। उस बूढ़े व्यक्ति की बात सुनकर राजा ने पछताते हुए उसके पैर छूकर माफ मांगी।॥सभी वृद्ध लोगों को ससम्मान वापस बुलवाया और सभी से क्षमा मांगी।
इसलिए वृद्ध लोगों को बोझ न समझें उनका अनुभव हमें कई परेशानियों से बचा सकता है।