OMG : 2017 के अंत में चीन की ऑनलाइन आबादी 77.20 करोड़

raghvendra
Published on: 2 Feb 2018 7:35 AM GMT
OMG : 2017 के अंत में चीन की ऑनलाइन आबादी 77.20 करोड़
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बीजिंग। चीन की ऑनलाइन आबादी का आंकड़ा 2017 के अंत में 77.20 करोड़ पहुंच गया, जिसमें से अकेले 2017 में ही 4.7 करोड़ लोग ऑनलाइन जुड़े हैं। यह आंकड़ा 2016 के मुकाबले 5.6 फीसदी की वृद्धि दिखाता है। चीन के इंटरनेट विकास द्वारा जारी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। चीन इंटरनेट नेटवर्क सूचना केंद्र (सीएनएनआईसी) की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की इंटरनेट उपलब्धता दर 55.8 फीसदी तक पहुंच गई है जो विश्व की औसत से 4.1 फीसदी अधिक है।

पिछले साल ग्रमीण इलाकों में ऑनलाइन आबादी का आंकड़ा 20.9 करोड़ तक पहुंच गया। 2016 के अंत से 79.3 लाख लोग ऑनलाइन जुड़े हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में पिछले साल इंटरनेट सर्फिंग के लिए कुल 75.3 करोड़ लोगों ने मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया, जो ऑनलाइन आबादी का 97.5 फीसदी है।

सीएनएनआईसी ने कहा, ‘स्मार्ट उपकरणों में ऑनलाइन उद्योग को बढऩे की अधिक क्षमता है। ऑनलाइन सार्वजनिक सेवाओं के साथ-साथ गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों ने कई चीनी लोगों में इच्छा पूर्ति की भावना पैदा की है।’

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चीन ने पिछले साल एक लाख 28 हजार वेवसाइट को बंद कर दिया और करीब साढ़े चार करोड़ ऑनलाइन पोस्ट हटा दिए। चीन की सरकार द्वारा नियंत्रित मीडिया ने इसकी वजह बताई है। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक पोर्नोग्राफी और अवैध प्रकाशन के खिलाफ लड़ाई में चीन की सरकार के केंद्रीय कार्यालय ने इन वेबसाइट और पोस्ट को अश्लील और हानिकारक बताया।

संयोग से चीन को पिछले तीन सालों के दौरान इंटरनेट की आजादी पर हमला करने वालों में सबसे बुरा माना जाता रहा है। यह दुनिया में सबसे खराब इंटरनेट आजादी वाले देशों की सूची में सबसे ऊपर रहा है, यहां तक कि सीरिया और ईरान भी इसके बाद आते हैं।

चीन का दावा है कि पिछले साल जनता ने 1 लाख 21 हजार अवांछनीय ऑनलाइन सामग्री की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। चीन का कहना है कि इसके बाद 900 से ज्यादा आपराधिक मामलों की जांच की गई, जिसमें 1,900 लोगों को सजा हुई।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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