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ऑपरेशन ब्लू स्टार : ब्रिटिश सरकार की भागीदारी के दस्तावेज होंगे सार्वजनिक
लंदन : भारत में आजादी से बाद की महत्वपूर्ण घटनाओं में ऑपरेशन ब्लू स्टार को भी गिना जाता है। 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में हुए इस ऑपरेशन के बाद देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हो गई थी और फिर उसके बाद देश के विभिन्न हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे। ब्रिटेन में ऑपरेशन ब्लू स्टार से जुड़ा एक आदेश इन दिनों मीडिया की सुर्खिया बना हुआ है। ब्रिटेन के एक न्यायाधीश ने ऑपरेशन ब्लू स्टार से जुड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक करने का आदेश दिया है, ताकि इस घटना में ब्रिटिश सरकार की भागीदारी और साफ तौर पर जाहिर हो सके। ऑपरेशन ब्लू स्टार से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने ब्रिटिश सरकार की यह दलील खारिज कर दी कि इस कदम के चलते भारत के साथ राजनयिक संबंधों को नुकसान पहुंचेगा। ब्रिटेन की सरकार का कहना था कि मामले को सार्वजनिक करने से दोनों देशों के संबंधों पर असर पड़ेगा, इस कारण इससे जुड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक करना देश हित में नहीं होगा। लंदन में फस्र्ट टियर ट्रिब्यूनल (सूचना अधिकार) की तीन दिवसीय सुनवाई की अध्यक्षता करने वाले न्यायाधीश मुरी शैक्स ने इस दलील को नहीं माना और कहा कि उस समय की ज्यादातर फाइलें अवश्य ही सार्वजनिक की जानी चाहिए।
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ब्रिटिश सरकार की दलील खारिज
उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सरकार की यह दलील स्वीकार करने योग्य नहीं है कि डाउनिंग स्ट्रीट के कागजात को सार्वजनिक करने से भारत के साथ राजनयिक संबंधों को नुकसान पहुंचेगा। वैसे न्यायाधीश ने स्वीकार किया कि ब्रिटेन की संयुक्त खुफिया समिति के पास मौजूद इंडिया पॉलीटिकल नाम की एक फाइल में कुछ ऐसी सूचना हो सकती है जो ब्रिटिश जासूसी एजेंसी-एमआई 5 एमआई 6 और सरकार संचार मुख्यालय से जुड़ी हों। न्यायाधीश के आदेश में कहा गया है कि हम जिस अवधि की बात कर रहे हैं वह भारत के हालिया इतिहास में एक बहुत ही संवेदशील समय का है। हालांकि यह भी याद रखना चाहिए कि घटना को तीस साल से अधिक का समय बीत चुका है। ब्रिटिश सरकार ने 2014 में इससे जुड़े कुछ दस्तावेज सार्वजनिक किए थे। दरअसल, नियमों के मुताबिक इस तरह की फाइलों को वहां 30 साल के बाद ही सार्वजनिक किया जा सकता है। 2014 में सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों से इस बात का खुलासा हुआ था कि ब्रिटिश सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार से पहले भारत की सेना को सलाह दी थी।
अपील का वक्त 11 जुलाई तक
फस्र्ट टियर ट्रिब्यूनल के इस फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए यूके कैबिनेट कार्यालय को 11 जुलाई तक का वक्त दिया गया है। उसे संबद्ध दस्तावेज अध्ययन के लिए 12 जुलाई तक स्वतंत्र पत्रकार फिल मिलर को उपलब्ध कराने होंगे। मिलर ऑपरेशन में मार्गरेट थैचर नीत तत्कालीन सरकार द्वारा भारतीय थल सेना को दी गई सहायता की प्रकृति की जांच कर रहे हैं।