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Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान में श्रीलंका जैसे हालात, घटते विदेशी मुद्रा भंडार ने बढ़ाई चिंता
Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घटता जा रहा है और इससे निकट भविष्य में देश के सामने बड़ा संकट पैदा हो सकता है।
Pakistan Economic Crisis: श्रीलंका (Sri Lanka) के बाद पाकिस्तान (Pakistan) में भी आर्थिक संकट (Economic Crisis) लगातार गहराता जा रहा है। श्रीलंका में हालात पूरी तरह बेकाबू हो हो चुके हैं और लोगों का जीवन जीना मुश्किल हो गया है। कई विदेशी रेटिंग एजेंसियों का मानना है कि श्रीलंका (Sri Lanka) की तरह पाकिस्तान भी दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घटता जा रहा है और इससे निकट भविष्य में देश के सामने बड़ा संकट पैदा हो सकता है।
पाकिस्तान (Pakistan) में महंगाई पहले ही आसमान छू रही है और लोगों के लिए रोजमर्रा की जरूरी चीजें खरीदना भी मुश्किल हो गया है। घटते विदेशी मुद्रा भंडार के कारण अब पाकिस्तान के विदेशी कर्ज चुकाने में नाकाम होने का खतरा पैदा हो गया है। श्रीलंका में भी शुरुआत में ऐसी ही समस्या खड़ी हुई थी जिसने बाद में विकराल रूप धारण कर लिया। जानकारों का कहना है कि अब पाकिस्तान भी उसी रास्ते पर बढ़ता हुआ दिख रहा है।
कई देशों पर मंडरा रहा खतरा
वैसे विदेशी रेटिंग एजेंसियों का कहना है कि पाकिस्तान (Pakistan) ही नहीं बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों पर भी दिवालिया होने का खतरा मंडरा रहा है। इंटरनेशनल रेटिंग एजेंसी फिच (इंटरनेशनल रेटिंग एजेंसी फिच) के मुताबिक तुर्की, घाना, लेबनान, ट्यूनीशिया, ताजिकिस्तान, यूक्रेन, इथोपिया, अल सल्वाडोर, सूरीनाम, अर्जेंटीना और बेलारूस जैसे देशों के नाम भी सूची में शामिल हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि श्रीलंका और पाकिस्तान ही नहीं बल्कि तुर्की, मिस्र, इथोपिया, घाना और अल सल्वाडोर जैसे देश भी आने वाले दिनों में विदेशी कर्ज चुकाने में नाकाम साबित हो सकते हैं। दुनिया के कई देशों में मुद्रास्फीति की दर लगातार बढ़ती जा रही है और ईंधन व खाद्य सामग्रियों की कीमतें लगातार आसमान छू रहे हैं। इस कारण आम आदमी का जीवन मुश्किलों में घिरता जा रहा है।
पाक के लिए कुछ भी आयात करना मुश्किल
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBI Pakistan) ने भी देश के आर्थिक हालात को मुश्किलों भरा बताया है। पाकिस्तान के सबसे बड़े बैंक का कहना है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार चिंताजनक स्थिति में पहुंच चुका है। बैंक ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को आगाह करते हुए कहा है कि विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घटने के कारण आगे चलकर जरूरी चीजों को आयात करने में काफी मुश्किलें पैदा होगी। अगर समय रहते विदेशी मुद्रा भंडार की इस कमी को दूर करने के मुकम्मल इंतजाम नहीं किए गए तो पाकिस्तान के लिए कुछ भी आयात करना मुमकिन नहीं होगा।
पाकिस्तान के उद्योगपति भी देश के आर्थिक हालात पर लगातार चिंता जता रहे हैं। उनका कहना है कि देश में निवेश के लिए अनुकूल माहौल नहीं दिख रहा है। सरकार की गलत नीतियों के कारण विदेशी निवेशक पाकिस्तान में निवेश करने में तनिक भी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। देश के उद्योगपतियों का मानना है कि इससे आगे चलकर देश के लिए मुश्किल आर्थिक हालात पैदा हो सकते हैं।
पाकिस्तान में लोगों का जीवन हुआ मुश्किल
पाकिस्तान में मुद्रास्फीति की दर लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले जून महीने के दौरान देश में मुद्रास्फीति की दर 21.32 फ़ीसदी पर पहुंच गई थी। देश में मुद्रास्फीति की दर के 13 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचने का असर भी दिख रहा है। पाकिस्तान में खाने-पीने की चीजें इतनी महंगी हो चुकी हैं कि निम्न मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग के लोगों का जीवन जीना मुश्किल होता जा रहा है। जून महीने के दौरान पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 8.24 अरब डॉलर था।
देश में सत्तारूढ़ शहबाज शरीफ की सरकार ने देश के खराब आर्थिक हालात के लिए पूर्व की इमरान सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। शहबाज और उनकी सरकार के मंत्रियों का कहना है कि इमरान सरकार की गलत नीतियों के कारण देश गहरे आर्थिक संकट में फंसता नजर आ रहा है। हालांकि शहबाज सरकार की ओर से जल्द ही हालात काबू में होने के दावे किए जा रहे हैं मगर जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान के आर्थिक संकट को सुलझाना इतना आसान काम नहीं है।