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Pak First SC woman judge: पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट में पहली बार महिला जज
Pak First SC woman judge: 55 वर्षीय आयशा मलिक की नियुक्ति को पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश गुलज़ार अहमद ने समर्थन दिया है।
Pak First SC woman judge: पाकिस्तान (Pakistan) के शीर्ष न्यायिक आयोग ने देश के इतिहास में पहली बार किसी महिला (First woman judge) न्यायाधीश को सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court ) के लिए नामित किया है। न्यायमूर्ति आयशा मलिक (Justice Ayesha Malik) के मनोनयन को पाकिस्तान में लैंगिक समानता के संघर्ष में एक निर्णायक मोड़ माना गया है। पाकिस्तान के वकीलों और सिविल सोसाइटी के कार्यकर्ताओं ने व्यापक रूप से इसकी प्रशंसा की है। कानून और न्याय के संसदीय सचिव, मलीका बोखारी ने इसे ऐतिहासिक उपलब्धि कहा है।
55 वर्षीय आयशा मलिक (ayesha malik age) की नियुक्ति को पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश गुलज़ार अहमद ने समर्थन दिया है। मलिक की नियुक्ति को पुष्टि के लिए एक संसदीय पैनल के पास भेजा गया है। वैसे, मलिक के मनोनयन का विरोध भी हुआ है। वकीलों के एक समूह ने मलिक को सर्वोच्च न्यायालय की पीठ में शामिल किये जाने पर हड़ताल करने की धमकी दी है।
पाकिस्तान के नौ सदस्यीय न्यायिक आयोग ने पिछले साल अदालत में आयशा मलिक की नियुक्ति को ठुकरा दिया था, लेकिन इस बार न्यायाधीशों के पैनल का फैसला उनके पक्ष में रहा।
पहले महिलाओं को मुख्य न्यायाधीश बनने से रोक दिया जाता था
कई वकीलों और न्यायाधीशों ने कहा है कि आयशा मालिक के चयन ने वरिष्ठता के मामले में नियमों का उल्लंघन किया है। इनका तर्क है कि वह लाहौर उच्च न्यायालय में शीर्ष तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों में से नहीं थीं। आयशा मलिक 2012 से लाहौर हाई कोर्ट (high court) में हैं और वहीं से उन्हें नामित किया गया था।
इस्लामाबाद के एक वकील इमान मजारी-हजीर ने कहा है कि पहले महिलाओं को अपने संबंधित उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश बनने से रोक दिया जाता था। अब तक हमारे सर्वोच्च न्यायालय में एक भी महिला नहीं थी, यह दर्शाता है कि कानूनी बिरादरी में वास्तव में महिलाओं के विरोध की गहरी जड़ें हैं।