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Pakistan: फॉरेन फंडिंग केस में इमरान खान दोषी करार, भारतीय मूल के महिला कारोबारी से भी लिया था पैसा

Pakistan: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के मुखिया इमरान खान को चुनाव आयोग ने 8 साल पुराने फॉरेन फंडिग केस (foreign funding case) में दोषी करार दिया है।

Krishna Chaudhary
Published on: 2 Aug 2022 1:12 PM GMT
Imran khan
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इमरान खान (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Pakistan: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के मुखिया इमरान खान (Pakistan Former PM Imran Khan) के राजनीतिक जीवन पर अब खतरा मंडराने लगा है। खान और उनकी पार्टी को चुनाव आयोग ने 8 साल पुराने फॉरेन फंडिग केस (foreign funding case) में दोषी करार दिया है। इलेक्शन कमीशन ऑफ पाकिस्तान (election commission of pakistan) के मुताबिक, पूर्व पीएम ने 34 विदेशी नागरिकों जिसमें भारतीय भी शामिल हैं, और 351 कंपनियों से चंदा लिया था। उनपर आरोप है कि उन्होंने विदेशी चंदे का सही से हिसाब नहीं दिया और उसे छिपाने की कोशिश की।

पाकिस्तान में विदेश से राजनीतिक चंदा हासिल करना गैरकानूनी है। आरोप सिद्ध हो जाने पर इमरान खान के ताउम्र चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जा सकती है। इसके अलावा उनकी पार्टी पीटीआई को भी प्रतिबंधित किया जा सकता है। खान पर इलेक्शन कमीशन को झूठा हलफनामा देने का आरोप भी है। उनके और उनकी पार्टी के तमाम अकाउंट्स सीज कर दिए गए हैं।

भारतीय मूल के कारोबारी ने भी दिया था चंदा

इमरान खान (Imran Khan) पर आरोप है कि उन्होंने अपनी मां के नाम पर बने अस्पताल शौकत खानम कैंसर अस्पताल के नाम पर अरबों रूपये चंदे के रूप में बटोरे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्हें 1.64 अरब पाकिस्तानी रूपये डोनेशन के तौर पर प्राप्त हुए। एक सफल क्रिकेटर होने के नाते वह एक सेलिब्रेटी भी बन चुके थे, इसलिए उन्हें जमकर डोनेशन मिले। पाकिस्तानी के मीडिया रपटों में चुनाव आयोग के दस्तावेजों के आधार पर कहा गया है कि खान और उनकी पार्टी को अमेरिका में रह रही भारतीय मूल की बिजनेस वुमन रोमिता शेट्टी से भी डोनेशन के रूप में करीब 14 हजार यूएस डॉलर मिले।

इमरान ने खासमखास ने ही खोला था मोर्चा

पाकिस्तान को क्रिकेट विश्व कप में जीत दिलाकर देश में हीरो बने इमरान खान ने 1996 में अपनी राजनीतिक पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) बनाई। उस दौर में पाकिस्तानी मीडिया खान को तालिबान खान कहा करती थी। पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक से अकबर एस बाबर, जिन्हें काफी ईमानदार माना जाता है। वह उस दौरान इमरान खान के वफादार हुआ करते थे। लेकिन साल 2014 में बाबर ने खान के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अदालत में उनके खिलाफ फॉरेन फंडिग की शिकायत दर्ज कराई थी। कोर्ट ने ये मामला पाक चुनाव आयोग को ट्रांसफर कर दिया था।

14 नवंबर 2014 से सुनवाई चल रही थी। इसी बीच इमरान फौज की मदद से पाकिस्तान की सत्ता में आ गए और सुनवाई दब गई। इमरान खान ने सत्ता में रहने के दौरान इस्लामाबाद हाईकोर्ट से कई बार जांच पर स्टे लगाने का आदेश लेने में सफलता हासिल की। लेकिन उनके पद छोड़ने के बाद इसकी सुनवाई ने एक बार गति पकड़ ली। दरअसल इसके पीछे फौज को माना जा रहा है। क्योंकि सत्ता गंवाने के बाद से इमरान खान शरीफ सरकार के अलावा फौज पर भी निशाना लगाने से नहीं चूक रहे हैं। ऐसे में 8 साल पुराने इस मामले को जिंदा कर आर्मी उन्हें सबक सीखाना चाह रही है।

Deepak Kumar

Deepak Kumar

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