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Pervez Musharraf: जिस नवाज ने कुर्सी पर बैठाया उसी का पलटा तख्ता, जानें तानाशाह मुशर्रफ का अर्श से फर्श तक का सफर
Pervez Musharraf Death: नवाज शरीफ ने मुशर्रफ पर भरोसा जताते हुए उन्हें सैन्य प्रमुख बनाया था मगर बाद में मुशर्रफ तख्तापलट करते हुए खुद राष्ट्रपति बन गए थे। सेना प्रमुख रहने के दौरान भी मुशर्रफ ने नवाज शरीफ को बड़ा धोखा दिया था और उन्हें कारगिल जंग की तैयारियों के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी थी।
Pervez Musharraf: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और सैन्य तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ का आज दुबई में निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रहे मुशर्रफ का सियासी सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा। दिल्ली में पैदा होने वाले परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बड़ा धोखा देते हुए सत्ता पर कब्जा किया था।
नवाज शरीफ ने मुशर्रफ पर भरोसा जताते हुए उन्हें सैन्य प्रमुख बनाया था मगर बाद में मुशर्रफ तख्तापलट करते हुए खुद राष्ट्रपति बन गए थे। सेना प्रमुख रहने के दौरान भी मुशर्रफ ने नवाज शरीफ को बड़ा धोखा दिया था और उन्हें कारगिल जंग की तैयारियों के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी थी। हालांकि बाद में मुशर्रफ तमाम विवादों में फंसते चले गए और हालत यह हो गई कि उन्हें देश छोड़कर भागने पर भी मजबूर होना पड़ा।
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नवाज शरीफ का इस तरह पलटा तख्ता
पाकिस्तान में 1997 में हुए आम चुनावों में नवाज शरीफ को जीत हासिल हुई थी। पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के बाद नवाज शरीफ ने जनरल परवेज मुशर्रफ पर बड़ा भरोसा किया और उन्हें पाकिस्तानी सेना का प्रमुख बनाया था। कुछ दिनों तक तो सब कुछ ठीक-ठाक चलता रहा मगर कुछ समय बाद मुशर्रफ ने खुद को मजबूत बनाना शुरू कर दिया। मुशर्रफ ने इतनी ताकत जुटा ली कि सरकार में भी उनका रसूख काफी बढ़ गया।
सेना प्रमुख बनने के बाद मुशर्रफ भीतर ही भीतर बड़ा खेल करने की तैयारी में जुटे हुए थे। अपनी तैयारियां पूरी करने के बाद 1999 में मुशर्रफ ने बड़ा खेल कर दिखाया। उन्होंने पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट करते हुए नवाज शरीफ को सत्ता से बेदखल कर दिया। नवाज शरीफ को पहले ही इस बात का अंदाजा लग चुका था।
उन्होंने आनन-फानन में जनरल अजीज को पाकिस्तान का नया सेना प्रमुख बनाया था मगर वे भी मुशर्रफ के ही वफादार निकले। इस तरह मुशर्रफ पाकिस्तान में तख्तापलट करने में कामयाब रहे। उनके सत्ता संभालते ही नवाज शरीफ को परिवार समेत पाकिस्तान छोड़ना पड़ा था।
कई विवादों में फंसे मुशर्रफ,राजद्रोह का केस
निर्वाचित प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को सत्ता से बेदखल करने के बाद मुशर्रफ ने खुद को पाकिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया। इसके बाद मुशर्रफ ने लंबे समय तक राष्ट्रपति के रूप में पाकिस्तान की कमान संभाली। उन्होंने 2001 से 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति पद की कमान संभाली। राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान किए गए कामों को लेकर मुशर्रफ लगातार विवादों में फंसते चले गए।
पाकिस्तान में 3 नवंबर 2007 को घोषित की गई इमरजेंसी और फिर मार्शल लॉ की घोषणा के कारण मुशर्रफ पर 2013 में राजद्रोह का केस चलाया गया। दिसंबर 2019 में पाकिस्तान की एक विशेष अदालत ने राजद्रोह के मामले में मुशर्रफ को दोषी करार देते हुए उन्हें मौत की सजा सुना दी थी।
पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था जब किसी पूर्व सेना प्रमुख को राजद्रोह के मामले में अदालत की ओर से सजा-ए-मौत सुनाई गई थी। हालांकि साल 2020 लाहौर हाईकोर्ट ने पाकिस्तान के परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाने वाली विशेष अदालत को असंवैधानिक करार दिया था। वैसे हाईकोर्ट ने भी मुशर्रफ को संगीन राजद्रोह का दोषी माना था।
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इस तरह भाग निकले दुबई
पाकिस्तान की सत्ता से बेदखल होने के बाद ही मुशर्रफ को अपनी करतूतों के कारण जेल जाने का डर सताने लगा था। पाकिस्तानी हुकूमत की ओर से एग्जिट कंट्रोल लिस्ट से नाम हटाए जाने का मुशर्रफ ने बड़ा फायदा उठाया और 2016 में वे स्वास्थ्य कारणों से विदेश चले गए। मार्च 2016 से ही वे दुबई में निर्वासित जीवन जी रहे थे और वहीं आज गंभीर बीमारी के बाद उनका निधन हो गया।
पाकिस्तान की सत्ता में रहने के दौरान मुशर्रफ ने बलूचिस्तान में आजादी की मांग करने वालों के साथ काफी बुरा सलूक किया था। मुशर्रफ के फरमान पर पाकिस्तानी सेना की ओर से बलूचिस्तान में सैकड़ों लोगों की उनके कार्यकाल में हत्या की गई थी। मुशर्रफ के इसी रवैए के कारण ही उनके सत्ता से हटने के बाद बलूच महिलाओं की ओर से उन्हें वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की मांग की गई थी।
दिल्ली से कराची गया था परिवार
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ का जन्म दिल्ली के दरियागंज इलाके में 11 अगस्त 1943 को हुआ था। बंटवारे से पहले भारत में मुशर्रफ का परिवार काफी संपन्न स्थिति में था। उनके दादा टैक्स कलेक्टेर थे और उनके पिता भी ब्रिटिश शासनकाल के दौरान ऊंचे ओहदे पर थे। मुशर्रफ की मां जरीन बेगम ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी और पुरानी दिल्ली में मुशर्रफ परिवार के पास बड़ी कोठी थी।
2001 में भारत दौरे के समय मुशर्रफ पुरानी दिल्ली की उस हवेली में भी गए थे जहां उनका बचपन गुजरा था। देश के बंटवारे के बाद उनका परिवार दिल्ली से कराची जाकर बस गया था। उस समय मुशर्रफ की उम्र सिर्फ 4 साल थी।
भारत के खिलाफ जंग में लिया था हिस्सा
कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद 21 साल की उम्र में मुशर्रफ ने पाकिस्तानी आर्मी जॉइन कर ली थी। उन्होंने भारतीय सेना के खिलाफ 1965 और 1971 की जंग में भी हिस्सा लिया था। भारत के खिलाफ जंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के कारण उन्हें पाकिस्तानी सेना में प्रमोशन मिला था। बाद में वे 1998 में पाकिस्तानी सेना के प्रमुख बनने में भी कामयाब हुए जिसके बाद उन्होंने तख्तापलट का बड़ा खेल खेला था।
कारगिल में फेल हो गई मुशर्रफ की साजिश
भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध के दौरान मुशर्रफ काफी सुर्खियों में रहे क्योंकि वे उस समय पाकिस्तानी सेना के प्रमुख थे। पाकिस्तानी सेना प्रमुख के रूप में उन्होंने भारत को कई जख्म दिए हैं जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता। जानकारों का तो यहां तक कहना है कि कारगिल युद्ध के संबंध में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भी अंधेरे में रखा था।
कारगिल युद्ध की सारी प्लानिंग परवेज मुशर्रफ ने ही तैयार की थी। हालत यह थी कि पाकिस्तानी वायुसेना और नौसेना को भी बहुत कम सामान्य जानकारी ही दी गई थी।
जेहादी वेशभूषा में जब तक पाकिस्तानी आर्मी ने एलओसी पार नहीं कर ली तब तक मुशर्रफ ने इस साजिश को उजागर नहीं होने दिया था। पाकिस्तानी सेना के कारगिल की चोटियों पर पहुंचने के बाद मुशर्रफ ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को इस बाबत जानकारी दी थी। हालांकि इस लड़ाई के दौरान मुशर्रफ के मंसूबे पूरे नहीं हो सके और भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को अच्छा सबक सिखाते हुए जंग में बड़ी जीत हासिल की थी।