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पाकिस्तान कंगालः 6 अरब डॉलर जुर्माना चुकाने में जताई असमर्थता

दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत का रेको दिक जिला अपनी खनिज संपदा के लिए प्रसिद्ध है। इनमें सोना और तांबा शामिल हैं। प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार इस खनिज संपदा को सामरिक रूप से महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संपत्ति मानती है।

Newstrack
Published on: 12 Sept 2020 12:36 PM IST
पाकिस्तान कंगालः 6 अरब डॉलर जुर्माना चुकाने में जताई असमर्थता
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पाकिस्तान कंगालः 6 अरब डॉलर जुर्माना चुकाने में जताई असमर्थता (file photo)

इस्लामाबाद: पाकिस्तान पर एक अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल ने 5.8 अरब डॉलर का जुर्माना ठोंक दिया है। पकिस्तान पर यह जुर्माना एक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी को खनन पट्टे देने से इनकार करने के लिए लगाया गया है। पकिस्तान ने जुर्माने की रकम अदा कर पाने में असमर्थता जताई है और कहा है कि इतना बड़ा जुर्माना देने से कोरोना वायरस महामारी से निपटने में मुश्किलें पैदा होंगी।

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क्या है मामला

दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत का रेको दिक जिला अपनी खनिज संपदा के लिए प्रसिद्ध है। इनमें सोना और तांबा शामिल हैं। प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार इस खनिज संपदा को सामरिक रूप से महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संपत्ति मानती है। हालांकि देश के लिए समृद्धि लाने की जगह संभव है कि रेको दिक खनन परियोजना की देश को बड़ी कीमत चुकाने पड़े।

पाकिस्तान सरकार ने यहां टेथ्यान कॉपर कॉर्प नामक कंपनी को लीज पर खनन की इजाजत दी थी। कंपनी में ऑस्ट्रेलिया की कंपनी बैरिक गोल्ड कॉर्प और चिली की कंपनी एन्तोफगास्तो पीएलसी बराबर की साझेदार हैं। लेकिन बाद में सरकार ने यह लीज रद्द कर दी, जिसके बाद टेथ्यान ने विश्व बैंक के निवेश झगड़ों के निपटारे के अंतरराष्ट्रीय केंद्र में शिकायत कर दी। केंद्र ने पाकिस्तान सरकार को दोषी ठहराते हुए उस पर जुर्माना लगा दिया, जिसके खिलाफ पाकिस्तान ने अपील कर दी। केंद्र अभी इस अपील पर विचार कर रहा है।

pakistan pakistan-flag (social media)

बलूच सरकार ने बनाई अपनी कंपनी

इस बीच, बलूचिस्तान सरकार ने उसी खदान के विकास के लिए अपनी ही एक कंपनी बना ली है। पाकिस्तान और टेथ्यान दोनों ने निपटारे जैसे समाधान के दूसरे रास्तों पर भी चर्चा करने की सम्मति दिखाई है, लेकिन अभी यह साफ नहीं हुआ कि उनके बीच किसी समझौते पर बातचीत शुरू हुई है या नहीं। कंपनी की वेबसाइट पर एक बयान में लिखा हुआ है, टीसीसी ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए मध्यस्थता कार्यवाही की शुरुआत की है, लेकिन इसके बावजूद कंपनी को उम्मीद है कि बातचीत से मामले का कोई समाधान जरूर होगा।

पकिस्तान के अटर्नी जनरल के दफ्तर में एक अधिकारी ने बताया कि जब तक जुर्माने पर अंतिम नतीजा नहीं आ जाता, तब तक टीसीसी के साथ अदालत के बाहर मामले का निपटारा संभव है। अंतिम नतीजा शायद अगले साल से पहले ना आए। यह मसला खान के बैक चैनल कूटनीति का इस्तेमाल करने और दूसरे विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने की क्षमता की परीक्षा ले रहा है।

जीडीपी का दो फीसदी है जुर्माना

लगभग 600 करोड़ का यह जुर्माना पाकिस्तान की जीडीपी के दो प्रतिशत के बराबर है और पाकिस्तान के लिए हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मंजूर हुए एक बेलआउट पैकेज के भी लगभग बराबर है।

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बलूचिस्तान सरकार द्वारा आवेदन के ठुकरा देने से नवंबर 2011 में परियोजना रुक गई। इस्लामाबाद और बलूचिस्तान दोनों ही जगह अधिकारियों का कहना है कि लीज इसलिए रद्द की गई क्योंकि उसे एक गैर-पारदर्शी तरीके से लिया गया था और उसके तहत कंपनी को कई रियायातें दी जा रही थीं। इससे सरकारी नियमों का उल्लंघन हो रहा था और राष्ट्रीय हित की उपेक्षा हो रही थी। लेकिन टीसीसी तब तक रेको दिक में 22 करोड़ डॉलर का निवेश कर चुकी थी। कंपनी ने विश्व बैंक के ट्रिब्यूनल से 2012 में मदद मांगी और ट्रिब्यूनल ने 2017 में पाकिस्तान के खिलाफ फैसला सुनाया।

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