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पाकिस्तान में हिंदू मंदिर निशाने पर, कौन कर रहा धर्मस्थलों पर हमला, क्या है वजह
Pakistan Hindu Temple Attack : पाकिस्तान में धर्मस्थलों को तोड़ने के अलावा अल्प संख्यक समुदाय के लोग हिंसा, नरसंहार, हत्या, अपहरण, बलात्कार, जबरन धर्म परिवर्तन, जबरन शादी का शिकार होते रहते हैं।
Pakistan Hindu Temple Attack : पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में एक हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ करने का मामला काफी गरमाया हुआ है। पाकिस्तान सरकार, सुप्रीम कोर्ट और सभ्य समाज ने इस घटना की कड़ी भर्त्सना की है। सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी ने सख्त कार्रवाई की बात कही है। ये सब तात्कालिक प्रतिक्रियाएं हैं जो हर बार किसी न किसी मंदिर पर हमले के बाद सामने आती हैं। ऐसे हमलों का मसला संयुक्त राष्ट्र तक में उठ चुका है लेकिन हिन्दुओं और उनके धर्मस्थलों पर हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। ताजा घटना न कोई पहली है और जो अभी तक का ट्रेंड रहा है उसके हिसाब से आखिरी भी नहीं है।
पाकिस्तान में हिन्दू, ईसाई, सिख, अहमदिया और शिया समुदाय के लोग हमेशा निशाने पर रहते हैं। धर्मस्थलों को तोड़ने के अलावा अल्प संख्यक समुदाय के लोग हिंसा, नरसंहार, हत्या, अपहरण, बलात्कार, जबरन धर्म परिवर्तन, जबरन शादी का शिकार होते रहते हैं। अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर वर्ष 2020 की रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान में धार्मिक आज़ादी का स्तर और भी गिर गया है और इसके पीछे ईशनिंदा संबंधी कानून सबसे बड़ा कारण है।
खत्म हो गए मंदिर
ऑल पाकिस्तान हिंदू राइट्स मूवमेंट के एक सर्वे के अनुसार 1947 में बंटवारे के समय पाकिस्तान में कुल 428 मंदिर मौजूद थे मगर 1990 के बाद इनमें से 408 मंदिरों को रेस्टोरेंट, होटल, दफ्तर, सरकारी स्कूल या मदरसे में तब्दील कर दिया गया। इस सर्वे के अनुसार, अल्पसंख्यकों के धर्म स्थलों की 1.35 लाख एकड़ जमीन सरकार ने 'इवैक्यूई प्रॉपर्टी ट्रस्ट बोर्ड' को लीज पर दे दी। इनमें हिंदू, सिख और ईसाई धर्म स्थलों की जमीन थी। इवैक्यूई प्रॉपर्टी ट्रस्ट बोर्ड विस्थापितों की जमीन पर कब्जा करने का काम करता है।
पाकिस्तान सरकार के एक ताजा सर्वे के मुताबिक, साल 2019 में सिंध में 11, पंजाब में 4, बलूचिस्तान में 3 और खैबर पख्तूनख्वाह में 2 मंदिर चालू स्थिति में हैं। 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिराए जाने के बाद पाकिस्तान में 100 से अधिक मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया या तोड़ दिया गया। इमरान खान की सरकार ने पिछले साल 400 हिंदू मंदिरों को फिर से खोलने का फैसला किया था। पाकिस्तान में न सिर्फ हिन्दुओं के मंदिरों को बर्बाद किया गया बल्कि पुरातात्विक महत्त्व के ढेरों हिन्दू धर्मस्थलों को खंडहर कर दिया गया है। प्राचीन मंदिरों के संरक्षण के लिए कोई भी उपाय नहीं किये गए हैं। सिंध प्रान्त में रामकोट किले में ही मंदिर हैं जो संरक्षण के आभाव में खंडहर हो चुके हैं।
मिसाल के तौर पर पाकिस्तान के उत्तर पश्चिमी इलाके के स्वात जिले में पुरातात्विक खोदाई के दौरान बुद्ध की एक प्रतिमा मिली थी, जिसे मजदूरों ने टुकड़े-टुकड़े कर दिया था। पिछले साल पाकिस्तान की इमरान खान की सरकार ने इस्लामाबाद में कृष्ण मंदिर बनाने की मंजूरी दी थी। 20 हजार वर्ग फुट में बनने वाले इस मंदिर की अभी दीवार ही उठी थी कि कट्टरपंथियों ने इसे तोड़ डाला। इस मंदिर के लिए इमरान सरकार ने 10 करोड़ रुपये भी दिए थे लेकिन कट्टरपंथियों के दबाव में आकर सरकार ने मंदिर का निर्माण बंद करा दिया।
- पाकिस्तान में मौजूद काली बाड़ी मंदिर को एक होटल में तब्दील कर दिया।
- खैबर पख्तूनख्वा के बन्नू जिले में एक हिंदू मंदिर था जिसको तोड़ कर मिठाई की दुकान खोल दी गई।
- खैबर पख्तूनख्वा के ही करक जिले में पिछले साल कट्टरपंथियों की भीड़ ने एक हिंदू मंदिर को तोड़कर उसमें आग भी लगा दी थी।
- जनवरी 2020 में सिंध प्रान्त में भटियानी मंदिर पर हमला किया गया था।
- 2020 में ही गुरुद्वारा श्री जन्मस्थान पर हमला करके तोड़फोड़ की गयी।
- कराची में पिछले साल करीब 80 साल पुराना एक हनुमान मंदिर को तोड़ दिया गया। मंदिर में मौजूद मूर्तियां भी गायब कर दी गईं।
- सिंध के नगरपारकर में पिछले साल अक्टूबर में श्री राम नादिर पर हमला करके उसमें भरी तोड़फोड़ की गयी।
- इसी साल मार्च में रावलपिंडी में सौ साला पुराने हिन्दू मंदिर पर भीड़ ने हमला कर दिया था।
- कोहाट के शिव मंदिर में स्कूल खोल दिया गया।
- एब्टाबाद के गुरुद्वारा को तोड़कर उसे कपड़े की दुकान में बदल दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने बनाया था आयोग
पाकिस्तान का सुप्रीम कोर्ट देश में मौजूद मंदिरों की स्थिति पता करने के लिए एक आयोग भी बना चुका है। इस आयोग के मुखिया थे डॉ. शोएब संदल जबकि 3 सहायक सदस्य थे – सांसद डॉ. रमेश वंकवानी, साकिब जिलानी और पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल।
आयोग ने पाकिस्तान में हिन्दू मंदिरों की स्थिति पर रिपोर्ट तैयार की और उसे 5 फरवरी 2021 को पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश किया। रिपोर्ट में बताया गया है कि इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड आधे से अधिक प्राचीन हिन्दू मंदिरों को सुरक्षित रखने में असफल रहा है। आयोग ने चकवल स्थित कटसराज मंदिर और मुल्तान स्थित प्रहलाद मंदिर का दौरा किया था। रिपोर्ट में पाकिस्तान स्थित 4 प्राचीन हिन्दू स्थलों में 2 की जानकारी दी गई है। बताया गया है कि कैसे पिछले कुछ समय में इनका काफी नुकसान हुआ है।
रिपोर्ट में सिफारिश की गई कि पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड को आदेश दे कि वो खैबर पख्तूनखवा सरकार के साथ मिल कर, खंडित मंदिर 'टेरी' का पुनर्निर्माण शुरू करे। इसके अलावा रिपोर्ट में हिंगलाज मंदिर (लसबेला), प्रहलाद मंदिर (मुल्तान), कटस राज मंदिर (चकवल) और टेरी मंदिर (करक) के पुनर्निर्माण की बात भी कही गई है।
इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक़ पाकिस्तान में फ़िलहाल लगभग 365 मंदिर हैं, जिनमें से बोर्ड सिर्फ 13 मंदिरों का रखरखाव करता है। इसके अलावा लगभग 65 मंदिरों की देखभाल हिन्दू समुदाय के लोग खुद करते हैं और 287 मंदिरों पर भू माफ़ियाओं का कब्ज़ा है।
रिपोर्ट में इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। कहा गया है कि बीते 73 सालों में इनका प्रयास सिर्फ प्रवासी अल्पसंख्यकों की कीमती संपत्ति पर कब्ज़ा करना था। छोटे कस्बों से लेकर बड़े शहरों तक अल्पसंख्यक समुदाय के मंदिरों, पूजा स्थलों और भी कई प्रकार के धार्मिक स्थलों पर बोर्ड का कब्ज़ा है।
पाकिस्तान में हिन्दू
पाकिस्तान में हिन्दू देश की कुल जनसंख्या के लगभग 2 फीसदी हैं। पाकिस्तानी हिंदुओं को जाति और अनुसूचित जाति में विभाजित किया गया है।
1951 की जनगणना के अनुसार पश्चिमी पाकिस्तान में हिंदू जनसंख्या 1.6 फीसदी थी, जबकि पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में 22.05 फीसदी थी। 1998 की जनगणना के अनुसार तब तक पाकिस्तान की हिन्दू जनसंख्या में कोई वृद्धि नहीं हुई और पाकिस्तान में 2.5 लाख हिन्दू ही बचे थे। पाकिस्तान में अधिकतर हिंदू सिंध प्रांत में रहते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार भी पाकिस्तान में हिन्दुओं की कुल जनसंख्या 1.6 फीसदी बताई गयी है। यानी सन 51 से 2011 तक हिन्दुओं की संख्या वही बनी हुई है। इस गिनती में हिन्दू अनुसूचित जाति के लोग शामिल नहीं हैं। अगर इनको शामिल कर लिया जाये तब भी कुल हिन्दू जनसंख्या 2 फीसदी के करीब ही है।
कौन करता है हमले
हिन्दू धर्मस्थलों पर हमले के लिए कट्टरपंथी मौलवी उकसाते हैं। कई बार झूठे प्रचार करके लोगों की भावनाओं को भड़काया जाता है। बताया जाता है पाकिस्तान का हक्कानी तालिबान भी इनमें शामिल रहता है। चूँकि सरकार कोई सख्त कार्रवाई नहीं करती है सो कट्टरपंथियों के हौसले बुलंद रहते हैं। अल्पसंख्यकों पर पुलिस व प्रशासन का अप्रत्यक्ष दबाव रहता है कि वे समझौता कर लें और मामलों को अदालतों के बाहर ही निपटा लें। यही वजह है कि हाल में एक कृष्ण मंदिर पर हमला करने वाले लोग गिरफ्तार तो हुए लेकिन मंदिर के संचालकों और लोकल हिन्दू लोगों द्वारा माफ़ कर दिए गए। साफ़ है कि अप्ल्संख्यकों के सामने चुपचाप सहने के अलावा कोई और चारा नहीं है।