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इमरान सरकार पलटी अपने फैसले से, विरोधों के चलते उठाना पड़ा ये कदम

पाकिस्तान की इमरान सरकार ने लगातार घरेलू स्तर पर हो रहे विरोधों के चलते भारत से कपास और चीनी के आयात...

Vidushi Mishra
Published on: 1 April 2021 5:12 PM IST (Updated on: 1 April 2021 5:32 PM IST)
इमरान सरकार पलटी अपने फैसले से, विरोधों के चलते उठाना पड़ा ये कदम
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फोटो-सोशल मीडिया

इस्‍लामाबाद: पाकिस्तान की इमरान सरकार ने लगातार घरेलू स्तर पर हो रहे विरोधों के चलते भारत से कपास और चीनी के आयात के फैसले को बदल दिया है। ऐसे में पाकिस्‍तानी रिपोर्ट्स के अनुसार, इमरान खान की कैबिनेट ने भारत से कपास और चीनी आयात करने के कैबिनेट आर्थिक समन्‍वय समिति के फैसले को खारिज कर दिया है। ऐसे में पाकिस्तान भारत से कपास मंगाने की कपड़ा उद्योग मांग कर रहा है। लेकिन कट्टरपंथियों इस बात के लिए लगातार इमरान सरकार की तीखी आलोचना कर रहे थे कि वह कश्‍मीर में बदलाव हुए बिना ही भारत के सामने झुक गए।

फैसले पर रोक लगाने का अहम निर्णय

ऐसे में बृहस्पतिवार को पाकिस्‍तानी कैब‍िनेट के फैसले में कपास के आयात के फैसले पर रोक लगाने का अहम निर्णय हुआ। बता दें, इससे पहले पाकिस्‍तान की कैबिनेट आर्थिक समन्‍वय समिति ने बुधवार को भारत के साथ व्‍यापार को फिर से शुरू करने की इजाजत दे दी थी। इस बारे में समिति ने कहा था कि पाकिस्‍तान 30 जून 2021 से भारत से कॉटन का आयात करेगा। पाकिस्‍तान सरकार ने निजी क्षेत्र को भारत से चीनी के आयात को भी मंजूरी दे दी थी।

दरअसल पाकिस्‍तान ने सन् 2016 में भारत से कॉटन और अन्‍य कृषि उत्‍पादों के आयात पर रोक दिया था। सूत्रों से सामने आई जानकारी के मुताबिक, पाकिस्‍तान में चीनी की बढ़ती कीमतों और संकटों से जूझ रहे कपड़ा उद्योग को बचाने के लिए पाकिस्‍तान की इमरान खान सरकार ने भारत के साथ व्‍यापार की फिर से शुरुआत करने को इजाजत दी थी। जिसके चलते दोनों देशों में तनावपूर्ण रिश्‍तों के बीच संबंधों को फिर से सुधारने की दिशा में पहला बड़ा प्रयास माना जा रहा था।

भारी संकट

बता दें, कपास की कमी के कारण पाकिस्‍तानी कपड़ा उद्योग को भारी संकट के दौर से गुजरना पड़ रहा है। जबकि पाकिस्‍तान के कपड़ा मंत्रालय ने भारत से कपास के आयात पर लगे बैन को हटाने की सिफारिश की थी, जिससे कच्‍चे माल की कमी को दूर किया जा सके। वहीं इस दबाव में इमरान खान सरकार ने पहले कपास के आयात को इजाजत दी लेकिन जब राजनीतिक दलों ने उन्‍हें घेरना शुरू किया तो उसे खारिज कर दिया।



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Vidushi Mishra

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