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Pakistan Most Dangerous Country: सबसे खतरनाक देश पाकिस्तान!

Pakistan: अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बिडेन ने पिछले महीने पाकिस्तान को दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक करार दिया था।

Neel Mani Lal
Published on: 4 Nov 2022 3:36 PM IST
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Pakistan: सबसे खतरनाक देश पाकिस्तान!। (Social

Pakistan: अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बिडेन (US President Joe Biden) ने पिछले महीने पाकिस्तान को दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक करार दिया था। बिडेन की टिप्पणी पाकिस्तान सरकार को बहुत अखरी थी और इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी राजदूत को खरी खोटी सुनाई गई।

पाकिस्तान में हिंसा और हत्या का लंबा इतिहास

लेकिन पाकिस्तान वाकई में एक हिंसक और खतरनाक देश है। दरअसल पाकिस्तान में हिंसा और हत्या का लंबा इतिहास है। बंटवारे के दौरान जबर्दस्त खून खराबे से जन्मे इस देश के बनने के चार साल बाद ही पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की रावलपिंडी में एक सार्वजनिक बैठक में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

वैसे, सिर्फ राजनीतिक हिंसा ही नहीं,बल्कि युद्ध के रूप में भी हिंसा पाकिस्तान का हिस्सा रही है। खासकर भारत के साथ युद्ध। 1971 के युद्ध में भारत से करारी शिकस्त झेलने के बाद पाकिस्तान की सत्ता जुल्फिकार अली भुट्टो ने संभाली थी। लेकिन भुट्टो को एक सैन्य तख्तापलट में हटा दिया गया और जनरल जिया-उल हक ने दो साल बाद उन्हें फांसी पर लटका दिया। 1979 में एक विमान दुर्घटना में जिया की मृत्यु हो गई, जिसके बारे में कुछ लोगों का मानना है कि यह राजनीतिक रंजिश के कारण हुआ था।

हिंसा और संघर्ष के अन्य रूपों ने पाकिस्तानी राजनीति को किया प्रभावित

लेकिन हिंसा और संघर्ष के अन्य रूपों ने भी पाकिस्तानी राजनीति को प्रभावित किया है। स्थानीय पावरब्रोकरों ने लंबे समय से जोर-जबरदस्ती और डराने-धमकाने का इस्तेमाल किया है। जबकि अलगाववादियों ने मान्यता, स्वायत्तता और संसाधनों को हासिल करने के लिए शांतिपूर्ण विरोध के साथ-साथ बंदूकों और बम की लंबी लड़ाई भी लड़ी है। 1980 और 1990 के दशक के दौरान बढ़ते सांप्रदायिक तनाव ने पाकिस्तान में हिंसा की ऊंची लहरों को पैदा किया।सशस्त्र गिरोहों ने कराची या पेशावर जैसे शहरों में कई स्थानीय नेताओं सहित हजारों लोगों को मार डाला। दूसरी ओर सैनिकों और सुरक्षा बलों ने देश को तबाही से बचाने के नाम पर अंधाधुंध कार्रवाई कीं।

अमेरिका में 9/11 हमले के बाद पाकिस्तान में हिंसा का लंबा चला दौर

अमेरिका में 9/11 हमले के बाद पाकिस्तान में हिंसा का लंबा दौर चला। पाकिस्तान के अधिकांश हिस्सों में लड़ाई, बमबारी और हत्याएं हुईं। सुरक्षा बलों ने उन इस्लामी चरमपंथी गुटों से लड़ाई लड़ी, जिनकी गतिविधियों को देश या कम से कम इसके अभिजात वर्ग के लिए खतरा माना जाता था। लेकिन हमेशा की तरह, इन लड़ाई के ज्यादातर शिकार आम नागरिक या सैनिक ही हुए।

इसी दौर में बेनजीर भुट्टो भी हिंसा का शिकार हो गईं। दो बार की प्रधानमंत्री, बेनज़ीर भुट्टो कराची में 2007 में चुनाव प्रचार करते हुए एक बड़े आत्मघाती बम विस्फोट से बच गई थीं लेकिन रावलपिंडी में एक रैली में उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गई। उनके हत्यारे अभी तक पकड़े नहीं जा सके हैं। भुट्टो की मृत्यु के समय प्रभारी जनरल परवेज मुशर्रफ को भी बार-बार हत्या के प्रयासों का सामना करना पड़ा। एक पुल के नीचे एक बम विस्फोट में वह बच गए लेकिन 2008 में उन्हें पद छोड़ना पड़ा।

2011 में मंत्री शाहबाज भट्टी की इस्लामाबाद में की हत्या

हाल के वर्षों में हत्याओं का सिलसिला थमा नहीं है। 2011 में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शाहबाज भट्टी की इस्लामाबाद में हत्या कर दी गई। इस हत्या की जिम्मेदारी एक कट्टरपंथी इस्लामी समूह ने ली। शाहबाज़ भट्टी एक ईसाई थे। उसी वर्ष पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की उन्हीं के एक अंगरक्षक ने गोली मारकर हत्या कर दी। तासीर और भट्टी दोनों ही पाकिस्तान के ईशनिंदा कानूनों के आलोचक रहे हैं, जिनका उपयोग अक्सर धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए किया जाता है।

भुट्टो राजवंश पर एक पुस्तक के लेखक बेनेट-जोन्स के अनुसार, "राजनीतिक हिंसा का एक कारण यह है कि हत्यारों को दण्ड नहीं मिलता है।" "हत्यारों को पता है कि अगर उनके पास पर्याप्त राजनीतिक समर्थन है तो वे जेल नहीं जाएंगे।"

बहरहाल, अफगानिस्तान में अपेक्षाकृत शांति बहाल हो जाने के बाद पाकिस्तान में हिंसा और हत्याओं का सिलसिला कुछ कम हुआ है। लेकिन फिर भी किसी न किसी स्वरूप में आंतरिक संकट बना रहता है और सच्चाई ये है कि पाकिस्तान खुद अपने ही लोगों के लिए बेहद खतरनाक देश है।

Deepak Kumar

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