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पाकिस्तान रहे सावधान: तालिबान और चीन की पैनी नजर, हलात का फायदा उठाने की फिराक में दोनों देश
Pakistan Political Crisis: पाकिस्तान की राजनीतिक उथलपुथल का उसके पड़ोसियों और बाकी दुनिया पर भी कुछ न कुछ असर होना तय है। ऐसे में विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान की स्थिति का सबसे ज्यादा फायदा तालिबान और चीन उठाना चाहेंगे।
Pakistan: 22 करोड़ जनसंख्या वाला पाकिस्तान पश्चिम में अफगानिस्तान, उत्तर पूर्व में चीन और पूर्व में भारत के बीच स्थित है, जो इसे महत्वपूर्ण रणनीतिक महत्व का बनाता है। इस वजह से पाकिस्तान की राजनीतिक उथलपुथल का उसके पड़ोसियों और बाकी दुनिया पर भी कुछ न कुछ असर होना तय है। ऐसे में विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान की स्थिति का सबसे ज्यादा फायदा तालिबान और चीन उठाना चाहेंगे।
पाकिस्तान की सैन्य खुफिया एजेंसी और इस्लामी आतंकवादी तालिबान के बीच संबंध ढीले
अफगानिस्तान (Afghanistan) की बात करें तो हाल के वर्षों में पाकिस्तान की सैन्य खुफिया एजेंसी और इस्लामी आतंकवादी तालिबान (Taliban) के बीच संबंध ढीले हुए हैं। अब तालिबान शासित अफगानिस्तान फंड्स की कमी व अंतरराष्ट्रीय अलगाव के कारण आर्थिक और मानवीय संकट का सामना कर रहा है। ऐसे में कतर उनका सबसे महत्वपूर्ण विदेशी भागीदार है। अब अमेरिका को अपनी अफगान नीति के लिए पाकिस्तान की आवश्यकता नहीं है। अब कतर वह भूमिका निभा रहा है। दूसरी तरफ तालिबान और पाकिस्तान की सेना के बीच तनाव बढ़ गया है। सीमा पर कई हमले हो चुके हैं। पाकिस्तान चाहता है कि तालिबान चरमपंथी समूहों पर नकेल कसने के लिए और अधिक प्रयास करे और उसे चिंता है कि वे पाकिस्तान में हिंसा फैलाएंगे। अब तय है कि पाकिस्तान में उथलपुथल का फायदा अफगान के चरमपंथी गुट अवश्य उठाएंगे।
पाकिस्तान में चीन के चल रहे कई प्रोजेक्ट
चीन (China) की जहां तक बात है तो उसने पाकिस्तान में काफी निवेश कर रखा है। उसके कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं और पाकिस्तान पर उसका भारी कर्ज भी है। 60 अरब डॉलर का चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) इन दोनों पड़ोसियों को एक साथ बांधता है। इमरान के संभावित उत्तराधिकारी शाहबाज़ शरीफ ने चीन के साथ सीधे पंजाब के सीएम के रूप में सौदे किए थे। पूरी संभावना है कि शरीफ से अब चीन और सहयोग की उम्मीद करेगा। और यदि ऐसा हुआ तो चीन का दखल और भी बढ़ेगा। चीन को पाकिस्तान के रास्ते और आगे तक अपना दखल बढ़ाना है।।
अमेरिका (America) भी पाकिस्तान (Pakistan) को यूं ही हाथ से निकलने नहीं देगा। अमेरिका कतई नहीं चाहता कि इस रीजन में चीन रूस का गठजोड़ और विस्तार करे। लेकिन फिलहाल पाकिस्तान का राजनीतिक संकट राष्ट्रपति जो बिडेन (America President Joe Biden) के लिए प्राथमिकता होने की संभावना नहीं है, क्योंकि अभी पूरा ध्यान यूक्रेन युद्ध पर है। कुछ विश्लेषकों के अनुसार, पाकिस्तानी सेना द्वारा विदेश और सुरक्षा नीतियों पर परदे के पीछे के नियंत्रण को बनाए रखने के साथ, सरकार का परिवर्तन अमेरिका के लिए एक बड़ी चिंता का विषय नहीं था। अमेरिका को सिर्फ ये देखना है कि पाकिस्तानी सेना दाएं बाएं न जाये। एक्सपर्ट्स के अनुसार, अमेरिका को वास्तव में अफगानिस्तान, भारत और परमाणु हथियार की परवाह है। उसे पाकिस्तान की आंतरिक राजनीतिक स्थिति से चिंता नहीं है। इस्लामाबाद में एक नई सरकार कम से कम "कुछ हद तक" संबंधों को सुधारने में मदद कर सकती है।
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